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Do You Know: 'RIP' शब्द का आप खूब करते हैं इस्तेमाल, लेकिन जानते हैं इसकी शुरुआत कब, कैसे और क्यों हुई?

Updated Mar 30, 2022 | 15:28 IST

Rest in Peace (RIP) History in Hindi: पूरी दुनिया में किसी के मरने पर 'RIP' शब्द का जमकर इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन, इस शब्द का इतिहास काफी पुराना और दिलचस्प है।

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RIP शब्द का मजेदार इतिहास, (Photo- Istock)
मुख्य बातें
  • RIP शब्द को एक लैटिन फ्रेज से लिया गया है।
  • सबसे पहले ईसाई धर्म में इस शब्द का इस्तेमाल किया गया
  • बिना सोचे, समझे कई लोग इस शब्द का करते हैं इस्तेमाल!

Rest in Peace (RIP) History in Hindi: किसी के गुजर जाने पर लोग अपने-अपने अंदाज में दुख प्रकट करते हैं। लेकिन, आज कल ज्यादातर लोग जिस एक शब्द का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, वो 'RIP' है। हो सकता है आप में से कुछ लोगों को इसका मतलब पता हो, जबकि कुछ लोग इससे पूरी तरह अनजान हों। क्योंकि, कई बार लोग शब्दों का इस्तेमाल देखादेखी भी करते हैं। लेकिन, आज हम आपको इस शब्द का मतलब और इसकी शुरुआत कब, कहां और कैसे हुई इसके बारे में विस्तार से बताएंगे। ताकि, इस शब्द का इस्तेमाल आप सही समय और स्थान पर कर सकें।   

कई लोग RIP को अंग्रेजी शब्द 'Rip' समझते हैं, जिसका मतलब काटना होता है। लेकिन, आप यहां गलत है, क्योंकि RIP एक Acronym है। जिसका फुल फॉर्म 'रेस्ट इन पीस' होता है। इस शब्द की उत्पत्ति लैटिन फ्रेज 'Requiescat In Pace' से हुई है। जिसका मतलब होता है 'शांति से सोना' और इस संदर्भ में 'आत्मा को शांति मिले'। व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम, फेसबुक पर अक्सर आप लोगों को RIP शब्द का इस्तेमाल करते हुए देखते होंगे। खुद आपने भी इस शब्द का इस्तेमाल कई बार किया होगा। लेकिन, कभी सोचा है इस शब्द की शुरुआत कब और कैसे हुई? इस सवाल को सुनते ही ज्यादातर लोग सोच में पड़ गए होंगे। तो चलिए, आपको बता दें इस शब्द की शुरुआत कब हुई?

'18वीं शताब्दी से प्रचलन में आया RIP शब्द'

कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार,  RIP शब्द का इस्तेमाल 18वीं शताब्दी में शुरू हो गया था। लेकिन, पहले-पहल 5वीं शताब्दी में कब्रों पर 'Requiescat In Pace' शब्द के उल्लेख मिले हैं। 18वीं शताब्दी में पारंपरिक ईसाई सेवाओं और प्रार्थनाओं में RIP शब्द का इस्तेमाल किया जाता था। जब किसी दिवंगत व्यक्ति की मौत हो जाती थी तो आत्मा की शांति और आराम के लिए लोग इस शब्द का इस्तेमाल करते थे। वहीं, बाद में मृतकों की कब्र पर रखे जाने वाले पत्थर पर RIP लिखवाना आम हो गया था। आलम ये है कि यह प्रचलन आज भी हमारे बीच जारी है। 

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दिलचस्प है इसका इतिहास

इसके अलावा इस शब्द को लेकर लोगों का यह भी मानना है कि ईसाई धर्म में मृत्यु होने के बाद आत्मा शरीर से अलग हो जाती है। लेकिन, जजमेंट डे के दिन दोनों फिर से मिल जाएंगे। वहीं, Requiescat In Pace को लेकर कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति चर्च की शांति में मौत को गले लगाता है तो एक दिन उसकी आत्मा का मिलान जीसस क्राइस्ट से होगा। मसलन ये हुआ कि ईसाई धर्म से इस शब्द का प्रचलन बढ़ा और आज यह ग्लोबल हो गया है। इतना ही नहीं आज कल तो लोग इस पर एक से एक मजेदार मीम्स भी बनाकर वायरल करते रहते हैं। तो अब आप जब कभी और कहीं  RIP शब्द का इस्तेमाल करें तो इसका पूरा ध्यान रखें।