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Hindi Diwas 2021 Poems: हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है, पढ़िए हिंदी दिवस की कविताएं

Updated Sep 14, 2021 | 15:17 IST

Hindi Diwas 2021 Poem, Kavita,in Hindi: हिंदी दिवस आज यानी 14 सितंबर को मनाया जाता रहा है। हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है। आप इस मौके पर कविताओं के जरिए भी शुभकामना संदेश भेज सकते है।

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Hindi Diwas Poems
मुख्य बातें
  • हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है
  • हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है
  • हिंदी को सम्मान कविताओं के जरिए भी व्यक्त किया गया है

Hindi Diwas 2021 Poem, Kavita,in Hindi: हिंदी दिवस हिंदी के प्रति चेतना और प्रोत्साहन का संचार करता है। हिंदी हमारे देश की राष्ट्रभाषा है और हर भारतवासी का प्रेम और सम्मान अपनी राष्ट्रभाषा के प्रति होना बेहद जरूरी है।

हिंदी की महिमा, सम्मान और उसके प्रभाव के बारे में कवियों ने कविताओँ में भी पिरोया है। पेश है उन्हीं कविताओं में से कुछ कविताएं जिन्हें आप हिंदी दिवस के दिन भेज भी सकते हैं। पेश है हिंदी की कुछ कविताएं । 

1.एक डोर में सबको जो है बांधती

वह हिंदी है,

हर भाषा को सगी बहन जो मानती

वह हिंदी है।

भरी-पूरी हों सभी बोलियां

यही कामना हिंदी है,

गहरी हो पहचान आपसी

यही साधना हिंदी है,

सौत विदेशी रहे न रानी

यही भावना हिंदी है।

तत्सम, तद्भव, देश विदेशी

सब रंगों को अपनाती,

जैसे आप बोलना चाहें

वही मधुर, वह मन भाती,

नए अर्थ के रूप धारती

हर प्रदेश की माटी पर,

‘खाली-पीली-बोम-मारती’

बंबई की चौपाटी पर,

चौरंगी से चली नवेली

प्रीति-पियासी हिंदी है,

बहुत-बहुत तुम हमको लगती

‘भालो-बाशी’, हिंदी है।

उच्च वर्ग की प्रिय अंग्रेज़ी

हिंदी जन की बोली है,

वर्ग-भेद को ख़त्म करेगी

हिंदी वह हमजोली है,

सागर में मिलती धाराएँ

हिंदी सबकी संगम है,

शब्द, नाद, लिपि से भी आगे

एक भरोसा अनुपम है,

गंगा कावेरी की धारा

साथ मिलाती हिंदी है,

पूरब-पश्चिम/ कमल-पंखुरी

सेतु बनाती हिंदी है।

(गिरिजा कुमार माथुर)

2.करो अपनी भाषा पर प्यार

जिसके बिना मूक रहते तुम, रुकते सब व्यवहार

जिसमें पुत्र पिता कहता है, पतनी प्राणाधार

और प्रकट करते हो जिसमें तुम निज निखिल विचार

बढ़ायो बस उसका विस्तार

करो अपनी भाषा पर प्यार

भाषा विना व्यर्थ ही जाता ईश्वरीय भी ज्ञान

सब दानों से बहुत बड़ा है ईश्वर का यह दान

असंख्यक हैं इसके उपकार

करो अपनी भाषा पर प्यार

यही पूर्वजों का देती है तुमको ज्ञान-प्रसाद,

और तुमहारा भी भविष्य को देगी शुभ संवाद

बनाओ इसे गले का हार

करो अपनी भाषा पर प्यार

(मैथिलीशरण गुप्त)

3.गूंजी हिन्दी विश्व में,

स्वप्न हुआ साकार;

राष्ट्र संघ के मंच से,

हिन्दी का जयकार;

हिन्दी का जयकार,

हिन्दी हिन्दी में बोला;

देख स्वभाषा-प्रेम,

विश्व अचरज से डोला;

कह कैदी कविराय,

मेम की माया टूटी;

भारत माता धन्य,

स्नेह की सरिता फूटी!

(अटल बिहारी वाजपेयी)

4.भारत की गौरव-गरिमा का, गान बने हिंदी भाषा,

अंतरराष्ट्रीय मान और, सम्मान बने हिंदी भाषा।

स्वाभिमान-सद्भाव जगाती,संस्कृति की परिभाषा हिंदी,

बने विश्व की भाषा हिंदी, हम सब की अभिलाषा हिंदी।

गाँधीजी का सपना ही था, ऐसा हिंदुस्तान बने,

जाति-धर्म से ऊपर हिंदी, भारत की पहचान बने।

सर्वमान्य भाषा बनकर हो, पूरित जन की आशा हिंदी।

बने विश्व की भाषा हिंदी, हम सब की अभिलाषा हिंदी।

दुनिया भर की भाषाओं का, हिंदी में अनुवाद करें,

हम सब मिलकर विश्वमंच पर, हिंदी में संवाद करें।

निजभाषा-साहित्य-सृजन का, भाव जगाए भाषा हिंदी।

बने विश्व की भाषा हिंदी, हम सब की अभिलाषा हिंदी।

अन्य सभी चर्चित भाषाओं, सा ही प्यार-दुलार मिले,

विश्वपटल पर हिंदी को भी, न्यायोचित अधिकार मिले।

पूरे हों संकल्प सभी के,जन-गण-मन-अभिलाषा हिंदी।

बने विश्व की भाषा हिंदी, हम सब की अभिलाषा हिंदी।

हिंदी का सारी भाषाओं, से, रिश्ता है, नाता है,

भारतवंशी कहीं रहे, पर, हिंदी में इठलाता है।

समता-स्नेह-समन्वय का, संदेश बने जनभाषा हिंदी।

बने विश्व की भाषा हिंदी, हम सब की अभिलाषा हिंदी।

हिंदुस्तान बिना हिंदी के, अर्थहीन है, रीता है,

देश हमारा हिंदी में, सांसें ले-लेकर जीता है।

है स्वर्णिम भविष्य की सुंदर, मोहक-मधुर दिलाशा हिंदी।

बने विश्व की भाषा हिंदी, हम सब की अभिलाषा हिंदी।।

(शम्भुनाथ तिवारी)

5.हिंदी हमारी आन है हिंदी हमारी शान है

हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।

हिंदी हमारी वर्तनी हिंदी हमारा व्याकरण

हिंदी हमारी संस्कृति हिंदी हमारा आचरण

हिंदी हमारी वेदना हिंदी हमारा गान है।

हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।

हिंदी हमारी आत्मा है भावना का साज है

हिंदी हमारे देश की हर तोतली आवाज है

हिंदी हमारी अस्मिता हिंदी हमारा मान है।

हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।

हिंदी निराला, प्रेमचंद की लेखनी का गान है

हिंदी में बच्चन, पंत, दिनकर का मधुर संगीत है

हिंदी में तुलसी, सूर, मीरा जायसी की तान है।

हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।

जब तक गगन में चांद, सूरज की लगी बिंदी रहे

तब तक वतन की राष्ट्रभाषा ये अमर हिंदी रहे

हिंदी हमारा शब्द, स्वर व्यंजन अमिट पहचान है।

हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।

(सुनील जोगी)