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भारत दुनिया का सबसे बड़ा 'Milk Producer' वो भी सबसे कम खर्च पर, जानें कुछ रोचक जानकारियां

Updated Jun 06, 2021 | 12:17 IST

Milk Producer India:भारत गांवों में बसता है,७२ प्रतिशत से अधिक आबादी ग्रामीण है, ६० फीसदी लोग कृषि व्यवसाय से जुड़े हुए हैं, ७ करोड़ कृषक परिवार में प्रत्येक दो ग्रामीण घरों में से एक डेरी उद्योग से जुड़े हैं।

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भारत में दुग्ध उत्पादन का अपना ही विशेष महत्व है
मुख्य बातें
  • पहले के समय में मट्ठा को एक बेकार उत्पाद माना जाता था 
  • अधिकांश देश अपने देशों में ही दुग्ध उत्पादों का उत्पादन करते हैं
  • प्रमुख दुग्ध-उत्पादक देशों में सबसे अधिक दूध थोक बाजार के माध्यम से वितरित किया जाता है

World MilK Day 2021 पर विशेष

Milk Production: भारत में दूध की नदियां बहती हैं भारत में दूध-दही की कमी नहीं ऐसा सुनते हुए बड़े हुए हैं हम वहीं हम अंतर्राष्ट्रीय बाजार की बात करे तो भारत का यहां अपना विशेष स्थान है और यह विश्व में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक और दुग्ध उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। खास बात ये कि भारत विश्व में सबसे कम खर्च पर यानी २७ सेंट (27 cents) प्रति लीटर की दर से दूध का उत्पादन करता है जबकि  (अमरीका में 63 सेंट और जापान में 2.8)।
भारतीय दुग्ध उत्पादन से जुड़े महत्वपूर्ण सांख्यिकी आंकड़ों के अनुसार देश में ७० प्रतिशत दूध की आपूर्ति छोटे/ सीमांत/ भूमिहीन किसानों से होती है। भारत में कृषि भूमि की अपेक्षा गायों का ज्यादा समानता पूर्वक वितरण है। भारत की ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था को सुदृढ़ करने में डेरी-उद्योग की प्रमुख भूमिका है।

दुग्धशाला या डेरी में पशुओं का दूध निकालने तथा तत्सम्बधी अन्य व्यापारिक एवं औद्योगिक गतिविधियाँ की जाती हैं। इसमें प्रायः गाय और भैंस का दूध निकाला जाता है किन्तु बकरी, भेड़, ऊँट और घोड़ी आदि के भी दूध निकाले जाते हैं।

Some Interesting Information About Milk Production-

  • संयुक्त राज्य अमेरिका में एक फार्म जहां दूध निकालने का काम होता है मिल्किंग पार्लर के नाम से जाना जाता है
  • न्यूजीलैंड में ऐसी इमारत का ऐतिहासिक नाम मिल्कंग शेड है
  • हाल के कुछ वर्षों में प्रगतिशील परिवर्तन के फलस्वरूप इन इमारतों को फार्म डेयरी के नाम से पुकारा जाने लगा है
  • न्यूजीलैंड की अंग्रेजी में डेयरी शब्द का प्रयोग विशेष रूप से सुविधाजनक दुकान या सुपरएट को संदर्भित करता है
  • इसका उपयोग ऐतिहासिक है, क्योंकि ऐसी दुकानें लोगों के लिए एक आम जगह थी जहां से दूध उत्पाद खरीदे जाते थे
  • अधिकांश देश अपने देशों में ही दुग्ध उत्पादों का उत्पादन करते हैं, दुनिया के विभिन्न भागों में डेयरी उद्योग की संरचना भिन्न
  • प्रमुख दुग्ध-उत्पादक देशों में सबसे अधिक दूध थोक बाजार के माध्यम से वितरित किया जाता है
  • बड़ी मशीनों द्वारा थोक मात्रा में दूध को अलग कर क्रीम और मलाई निकाला जाता है 
  • पहले के समय में मट्ठा को एक बेकार उत्पाद माना जाता था 
  • यह ज्यादातर, निपटान के सुविधाजनक साधन के रूप में सूअरों को खिलाया दिया जाता था
  • क्रीम को हटाए जाने के बाद जो उत्पाद बचता है उसे स्किम्ड दूध कहते हैं
  • केसइन ताजे दूध में पाया जाने वाला प्रबल फॉसफ़ोप्रोटीन है। इस उत्पाद का विस्तृत रूप से उपयोग किया जाता है
  • चीज़ दूध से बनने वाला दूसरा उत्पाद है पूर्ण दूध से दही बनाकर उसे जमा कर, संसाधित कर और संग्रहीत कर चीज़ बनाया जाता है
  • जब हाथों से दुहना अक्षम या श्रम गहन हो गया तो गायों से दूध दुहने के लिए मशीनों का प्रयोग किया जाने लगा
  • अमूल भारत का एक दुग्ध सहकारी आन्दोलन है जिसका मूल आणंद (गुजरात) में है। यह एक ब्रान्ड नाम है 
  • अमूल अपने करीब 5 लाख दुग्ध उत्पादकों जोकि रोज़ाना 1,44,246 डेयरी कोआपरैटिव संस्थानों मे दुध की धारा बहाते है
  • डॉ. वर्गीज कुरियन के जन्मदिन पर हर साल 26 नवंबर को देश भर में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस  मनाया जाता है वे भारत में श्वेत क्रांति के जनक थे

Why Celebrate World Milk Day

1 जून यानी विश्व दुग्ध दिवस United Nation द्वारा हर साल इसे इसी दिन मनाया जाता है, इस दिन को मनाने की मकसद डेयरी या दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में स्थिरता, आजीविक और आर्थिक विकास का योगदान है, दुनियाभर में दूध से पोषित हो रहे लोगों व इससे चलने वाली आजीविका के कारण इस दिन को विशेष महत्व दिया जाता है, इस दिन को मनाने का मकसद दुनियाभर में दूध को वैश्विक भोजन के रूप में मान्यता देना है।
साल 2001 में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई थी।

Theme of year 2021 is special

हर साल दुग्ध दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक थीम निर्धारित किया जाता है, इस थीम का मकसद यह होता है कि लोगों तक दूध की पहुंच को आसान बनाया जा सके साथ ही लोगों को दूध के प्रति जागरूक भी किया जा सके इस साल की थीम है- 'पर्यावरण, पोषण और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के साथ-साथ डेयरी क्षेत्र में स्थिरता'

(सभी फोटो साभार-istock)