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2 साल के बच्चे को थी ऊंटनी के दूध की जरूरत, रेलवे ने 28 घंटे में कर दिया समाधान

Updated Apr 29, 2020 | 14:03 IST

Railways delivers camel milk: दो साल के बीमार बच्चे को ऊंटनी के दूध की जरूरत थी जिसकी वजह से उसके पिता परेशान थे। जब रेलवे तक यह बात पहुंची तो 28 घंटे में समस्या का समाधान हो गया।

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सांकेतिक फोटो (तस्वीर साभार- unsplash)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन लागू है। लॉकडाउन के दौरान इलाके में जरूरी सामान मिलने में ज्यादा परेशानी नहीं है, मगर आम लोगों के लिए दूसरे राज्यों से आने वाली चीजें आसानी से उपलब्ध नहीं हो रहीं। जब एक परिवार के सामने कुछ ऐसा ही मामला सामने आया तो रेलवे हमदर्द बनाकर खुद मदद को आगे आ गया। दरअसल, तेलंगाना के सि​कंदराबाद शहर का एक परिवार अपने दो साल के बच्चे के लिए राजस्थान से ऊंटनी का दूध मंगाता था लेकिन लॉकडाउन के की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पा रहा था। 

पिता ने रेलवे को बताया अपना दुख

इस बारे में जब बच्चे के पिता ने रेलवे को अपना दुख बताया तो रेलवे ने बिना हिचकिचाए उनकी मदद की। मुंबई के रेलवे के अधिकारियों ने पिता के निवेदन पर करीब 1500 किमी दूर 1 लीटर दूध पहुंचाकर उसकी समस्या का समाधान कर दिया। एनबीटी की रिपोर्ट की मुताबिक, परिवार अपने बच्चे के बीमार पड़ने पर राजस्थान से ऊंट का दूध मंगवाया करता था लेकिन लाकडाउन के चलते यातायात व्यवस्था बंद होने की वजह से दूध नहीं पहुंच पा रहा था। 

इसके बाद सिकंदराबाद तक दूध पहुंचाने के लिए परिवार ने राजस्थान के फालना के नोडल ऑफिसर से सहायता मांगी। नोडल ऑफिस ने सेंट्रल रेलवे के मुंबई डिवीजन के चीफ कमर्शल इंस्पेक्टर जितेंद्र मिश्रा को पूरी समस्या से अवगत करवाया। मामले की जानकारी मिलते ही जितेंद्र ने बच्चे तक जल्द दूध पहुचाने का फैसला लिया। दूध को कम समय में बच्चे तक पहुंचाने के लिए जितेंद्र ने राजस्थान, मुंबई और सिकंदराबाद के रेलवे के अधिकारियों से बात की। 

फालना से सिकंदराबाद के बीच सीधे पार्सल सेवा नहीं

फालना से सिकंदराबाद के बीच सीधे पार्सल सेवा नहीं होने की वजह से परिवार तक दूध नहीं पहुंच पा रहा था। इसके बाद जितेंद्र ने परिवार को सुझाव दिया कि अगर वह दूध बांद्रा तक भेज देंगे तो आसानी से पहुंचा दिया जाएगा। ट्रेन के बांद्रा पहुंचने के एक घंटे के भीतर ही दूध को विशेष वाहन के जरिए सीएसएमटी पहुंचाया गया। फिर दूध को सीएसएमटी -सिकंदराबाद पार्सल ट्रेन के जरिए परिवार तक पहुंचा दिया गया। बताया जा रहा है कि दूध को परिवार तक पहुंचने में 28 घंटे लगे।