नई दिल्ली : दुनियाभर में आज (8 सितंबर) अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना और मानव विकास व चेतना को बढ़ावा देना है। यह दिन हमें साक्षरता के महत्व की याद दिलाता है। यह दूसरी बार है जब साक्षरता दिवस वैश्विक कोरोना महामारी के बीच मनाया जा रहा है। बदले हालात में शिक्षा और सीखने का तौर-तरीका भी काफी बदल गया है और अब फिजिकल क्लासरूम की जगह ऑनलाइन एजुकेशन ने ले ली है।
साक्षरता क्या है?
साक्षरता क्या है, इसे लेकर कई तरह की परिभाषा है। भारत में साक्षरता का एक अर्थ यह भी है कि 7 वर्ष या उससे अधिक की उम्र के व्यक्ति अगर किसी भी भाषा को समझकर लिख-पढ़ लेते हैं तो वह साक्षर हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो किसी भी भाषा में अक्षरों का ज्ञान साक्षरता है। हालांकि इसका अर्थ केवल पढ़ना-लिखना या शिक्षित होना नहीं है, बल्कि यह लोगों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाने और सामाजिक विकास का आधार भी है।
कब से मनाया जा रहा साक्षरता दिवस?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साक्षरता दिवस 1966 से मनाया जा रहा है। इससे पहले 1965 में 8 से 19 सितंबर के बीच ईरान की राजधानी तेहरान में दुनिया भर के शिक्षा मंत्रियों का एक सम्मेलन हुआ था, जिसमें इस पर चर्चा की गई थी। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने हर साल 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की, जिसके बाद से यह दिवस दुनियाभर में इस दिन मनाया जाता है।
क्या है साक्षरता दिवस की थीम?
साक्षरता दिवस का मुख्य मकसद लोगों को शिक्षा के लिए प्रेरित करना है। कोरोना वायरस संक्रमण महामारी के कारण बदले वैश्विक परिदृश्य में ऑनलाइन एजुकेशन जैसी नई चीज सामने आई है। हालांकि समाज का एक वर्ग ऐसा भी है, जिसके लिए वर्चुअल एजुकेशन हासिल कर पाना कई कारणों से मुश्किल है। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2021 की थीम भी इसी को ध्यान में रखकर तय की गई है। इस बार अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम 'मानव-केंद्रित पुनर्प्राप्ति के लिए साक्षरता : डिजिटल विभाजन को कम करना' है।