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Walk-in Sample Kiosk: साउथ कोरिया की तर्ज पर भारत में यहां इस तरह लिए जा रहे सैंपल, समय-पैसे की हो रही बचत

Updated Apr 07, 2020 | 23:58 IST

Walk-in Sample Kiosk: केरल के एर्नाकुलम जिले में कोरोना वायरस की जांच के लिए सैंपल लेने के लिए वॉक-इन सैंपल कियोस्क (WISK) बनाया गया है। इसमें बेहद आसान तरीके से सैंपल लिए जाते हैं और ये सस्ता भी है।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
वॉक-इन सैंपल कलेक्शन कियोस्क
मुख्य बातें
  • कोरोना वायरस की जांच के लिए सैंपल लेने के लिए लगाए गए बूथ
  • इस वॉक-इन सैंपल कियोस्क में 2 मिनट से भी कम का समय लगता है
  • साउथ कोरिया की तर्ज पर अपनाया गया ये मॉडल सस्ता भी है, स्वास्थ्यकर्मियों के लिए PPE किट की भी जरूरत नहीं है

नई दिल्ली: केरल के एक अस्पताल ने उन लोगों की जांच के लिए वॉक-इन सैंपल कलेक्शन कियोस्क (WISK) विकसित किया है, जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण दिख रहे हैं। दक्षिण कोरिया में इस्तेमाल किए जाने वाले इस मॉडल पर स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रोटेक्टिव किट पहनने की आवश्यकता नहीं है। ये 2 मिनट से भी कम समय लेता है और PPE किट की भी जरूरत नहीं है।

इसको आप ऐसे समझ सकते हैं कि एक छोटा सा बूथ है, जिसमें आगे शीशा लगा हुआ है और स्वास्थ्यकर्मी उसके अंदर है, जबकि जांच कराने वाला उस बूथ के बाहर है। शीशे में दो छेद हैं, जिसमें ग्लव्स लगे हुए हैं, स्वास्थ्यकर्मी इन्हीं ग्लव्स में हाथ डालकर सैंपल लेता है। इसके बाद उस ग्लव्स को सैनेटाइज कर दिया जाता है और नया सैंपल लिया जाता है। ये सैंपल लेने वाले और देने वाले दोनों के लिए बेहद सुरक्षित है।  

एर्नाकुलम जिले के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ये कियोस्क स्थापित किया गया है। एर्नाकुलम कलेक्टर एस सुहास ने कहा, इसे दक्षिण कोरिया से प्रेरित होकर डॉक्टरों, जनप्रतिनिधियों और स्वास्थ्य अधिकारियों की एक टीम ने विकसित किया है। उन्होंने बताया, 'एक सामान्य परिदृश्य में प्रत्येक रोगी के नमूने एकत्र करने के लिए 1,000 रुपए के सुरक्षात्मक गियर्स का उपयोग किया जाता था, लेकिन इस कियोस्क ने इसे शून्य कर दिया है। इसकी कीमत 40,000 रुपए है। मेडिकल कॉलेज में दो कियोस्क स्थापित किए जाएंगे और जल्द ही अन्य अस्पतालों में स्थापित किए जाएंगे।' 

जिला चिकित्सा अधिकारी, एनके कुट्टप्पन ने कहा, 'वर्तमान में एर्नाकुलम में चार अस्पताल संदिग्ध रोगियों से नमूने ले रहे हैं। मौजूदा नमूना-संग्रह प्रणाली को बदलने के लिए उन सभी में कियोस्क स्थापित किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, कम्यूनिटी ट्रांसमिशन को रोकने के लिए सार्वजनिक हॉटस्पॉट और हवाई अड्डों पर कियोस्क स्थापित किए जाएंगे।'