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अनोखी प्रेम कहानी: गर्लफ्रेंड के प्यार में दीवाना शेर, हर पखवाड़े मिलने के लिए 60 किमी की दूरी करता है तय

Updated Feb 08, 2020 | 13:10 IST

Lion Lioness Love Story: इंसानों की लव स्टोरी के बारे में आपने खूब देखा सुना होगा लेकिन क्या कभी जंगल के राजा शेर की लवस्टोरी के बारे में सुना है। पढ़ें ये दिलचस्प स्टोरी-

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
शेर शेरनी की लवस्टोरी चौंका देगी आपको (Source: Pixabay)

नई दिल्ली : एक लवर अपनी गर्लफ्रेंड से कितनी देर दूर रह सकता है? अगर प्रेम सच्चा हो तो वह अपने लवर से क्षण भर भी दूर नहीं रह सकता है और उससे मिलने के लिए वह किसी भी सरहद को पार कर सकता है। इंसानों के बीच इस तरह की कई खबरें सामने आ चुकी है लेकिन क्या कभी आपने जानवरों में इस तरह का प्यार पनपते देखा है। अगर नहीं तो हम आपको यहां एक बेहद दिलचस्प वाक्या बताने जा रहे हैं जो वास्तविक है। 

मामला है गुजरात का। ये कहानी है दो शेर की एक नर एक मादा शेर की। हालांकि इन्हें अपने प्रेम के लिए सात समंदर पार नहीं करना पड़ता है लेकिन इस केस में शेर को शेरनी से मिलने के लिए कम से कम 50 से 60 किलोमीटर की दूरी सफर करनी पड़ती है।

शेर अपनी गर्लफ्रेंड शेरनी से मिलने के लिए हर 15 दिनों के भीतर राजुला से 50 से 60 किमी की दूरी तय कर सावरकुंडला जाता है और अपनी गर्लफ्रेंड से मुलाकात करता है। इस दौरान उसके तीन दोस्त शेर भी साथ होते हैं।

शेरों की इस हरकत को लायन ट्रेकर्स और राजुला सावरकुंडला के स्थानीय ग्रामीणों ने नोटिस किया। उनका कहना है कि पिछले एक साल वे शेरों की इस प्रेम कहानी के गवाह रहे हैं। 

ये चारों नर शेर 4-5 साल की उम्र के बताए जाते हैं। इन्होंने राजुला जंगल के बड़े इलाके में अपना वर्चस्व स्थापित किया हुआ है, जिसमें भावनगर का जिला भी शामिल है। राजुला से उनका सफर शुरू होकर सावरकुंडला तक जाता है और वहां जाकर फिर वे शेरनी से मुलाकात करते हैं। 

दिलचस्प बात ये है कि बाकी तीन दोस्त शेर शेरनी के बीच कबाब में हड्डी नहीं बनना चाहते हैं इसलिए वे वहां से दूर खड़े हो जाते हैं ताकि वे आराम से एक दूसरे के साथ प्यारभरा समय बिता सकें। अमरेली के एक लायन ट्रेकर ने ये बातें बताई जो कई सालों से फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के साथ काम कर रहा है।  

बताते हैं कि ये शेर पहले गिर के जंगलों में रहते थे लेकिन बाद में एक साल के पहले ये राजुला के पास डुंगर के जंगलों में आ गए थे। इन्होंने अपनी बादशाहत महुआ और भावनगर जिलों में तटीय इलाकों में भी स्थापित कर ली थी।