भोपाल : कौए आम तौर पर काले रंग के देखने को मिलते हैं, पर मध्य प्रदेश के बड़वानी में एक कौआ इन दिनों सभी के कौतूहल का कारण बना हुआ है, जो काले रंग का नहीं, बल्कि सफेद है। इसे बड़वानी में नर्मदा नदी के किनारे दतवाड़ा गांव के चंगा आश्रम में देखा गया है और पिछले चार-पांच दिनों से यहां देखा जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह दुर्लभ कौआ है, जो इलाके में पहले कभी नहीं देखा गया।
इससे पहले मध्य प्रदेश के सतना में 2017 में इस तरह का कौआ देखा गया था। इस कौए के बारे में लोगों का यह भी कहना है कि यह आम कौओं से न केवल रंग के मामले में अलग है, बल्कि यह कई अन्य मायनों में भी काले रंग के कौओं से अलग होता है। काले रंग के कौओं को जहां आम तौर पर समूह में देखा जाता है, जबकि यह अक्सर अकेला ही दिखाई देता है। इस सफेद दिखने वाले कौए को 'अमेरिकन क्रो' भी कहा जाता है, जो दुनिया के कई अन्य हिस्सों में भी पाया जाता है। हालांकि यह दुर्लभ प्रजाति का है और इसलिए आम तौर पर नहीं नजर आता।
वैज्ञानिक इसके सफेद रंग की वजह एक तरह की आनुवांशिक बीमारी को बताते हैं, जो इंसानों में भी होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह एल्बीनिजम जैसी आनुवांशिक बीमारी का नतीजा है, जो सभी प्राणियों में होता है और कौआ भी इसका अपवाद नहीं है। उनका यह भी कहना है कि दुनियाभर में कौए की कई प्रजातियां हैं, जिनके शरीर पर कहीं न कहीं सफेद धब्बा पाया जाता है।
वैज्ञानिक जहां कौए के सफेद होने की वजह आनुवांशिक बीमारी को बताते हैं, वहीं पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि कौए का रंग काला एक ऋषि के शाप की वजह से पड़ा। कहा जाता है कि ऋषि ने एक सफेद कौए को अमृत ढूंढने भेजा था, लेकिन उसे साफ मना किया था कि वह लौटकर सिर्फ जानकारी दे, अमृत पिए नहीं। पर कौआ अमृत ढूंढने के बाद खुद को रोक नहीं पाया और उसे पीने के बाद ही ऋषि को इस बारे में बताया, जिससे नाराज होकर ऋषि ने उसे शाप दिया कि वह काले रंग का हो जाएगा और लोग उसे अशुभ मानते हुए उससे नफरत करेंगे।