जयपुर : धर्म और संप्रदाय को लेकर कई तरह की लड़ाइयों के बीच राजस्थान में एक शख्स ने इंसानियत की मिसाल कायम करते हुए कोरोना के मरीजों को अपना प्लाज्मा डोनेट करने के लिए रमजान का उपवास तोड़ दिया। उसे सोशल मीडिया के जरिये पता चला था कि दो कोविड मरीजों को प्लाज्मा की जरूरत है। इसके बाद उन्होंने उन मरीजों को प्लाज्मा डोनेट करने के लिए अपना रोजा तोड़ने का फैसला किया।
यह मामला राजस्थान के उदयपुर का है, जहां एक शख्स ने बुधवार को कोरोना वायरस से संक्रमित दो महिला रोगियों को प्लाज्मा दान करने के लिए रमजान का अपना पहला उपवास तोड़ दिया। इस शख्स का नाम अकील मंसूरी है, जो एक सिविल कॉन्ट्रैक्टर के तौर पर काम करता है। ये सोचते हुए कि यह नेकी का काम है, उसने बिना किसी सोच-विचार के रोजा तोड़ने का फैसला किया, जिसके लिए हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है।
तीन बार किया प्लाज्मा डोनेट
अकील मंसूरी को इस बारे में सोशल मीडिया के जरिये पता चला था कि दो महिलाओं निर्मला (36) और अलका (30) को ब्लड ग्रुप ए+ प्लाज्मा की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने तुरंत उन्हें प्लाज्मा डोनेट करने का फैसला किया है। अकील खुद भी संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं, जिसके बाद वह इससे उबरने में कामयाब रहे। इसके बाद उन्होंने तीन बार प्लाज्मा डोनेट किया है। सितंबर 2020 में कोविड-19 से उबरने के बाद वह 17 बार ब्लड डोनेशन भी कर चुके हैं।
इससे पहले डॉक्टर्स ने उनका एंडीबॉडी टेस्ट किया था और उन्हें प्लाज्मा डोनेशन के लिए पूरी तरह फिट पाया था। रजमान के दौरान जब उन्हें दो महिलाओं को प्लाज्मा की जरूरत के बारे में पता चला और वह इसके लिए गए तो डॉक्टर ने उन्हें इसके लिए पहले कुछ खाने को कहा, क्योंकि यह उनकी सेहत की दृष्टि से सही था। ऐसे में उन्होंने अपना उपवास तोड़ने और ब्लड प्लाज्मा डोनेट करने का फैसला किया।