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सलाम है इस शख्स को! महामारी की शुरूआत से 190 अवारा कुत्तों को खिला रहा है चिकन बिरयानी

Updated May 20, 2021 | 09:59 IST

जब से कोरोना महामारी आई है तब से रंजीत नाथ 190 आवारा कुत्तों को चिकन बिरयानी खिला रहे है। रंजीत कुत्तों के अलावा आवारा जानवरों को भी खाना खिलाते हैं।

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190 अवारा कुत्तों को चिकन बिरयानी खिला रहा है यह शख्स
मुख्य बातें
  • रोज 190 स्ट्रीट डॉग्स को चिकन बिरयानी खिलाते हैं नागपुर के रंजीत नाथ
  • उन्हें आवारा या कुत्ता कहते अच्छा नहीं लगता, ये मेरे बच्चे हैं- रंजीत नाथ

नागपुर: कोरोना महामारी के इस दौर में जहां कई लोगों एक वक्त का भोजन मुश्किल से मिल रहा है और लोग घर से बाहर निकलने में कतरा रहे हैं, वहीं एक शख्स ऐसा है जो हर रोज घर से बाहर इसलिए निकलता है तांकि आवारा कुत्ते भूखे ना रह जाए। इस शख्स का नाम है रंजीत नाथ, जो नागपुर के रहने वाले हैं। रंजीत कोरोना महामारी की शुरूआत से हीलगभग 190 आवारा कुत्तों को हर चिकन बिरयानी खिलाते हैं। लोग प्यार से उन्हें रंजीत दादा भी कहते हैं।

30-40 किलो बिरयानी होती है तैयार
रंजीत नाथ महामारी की शुरुआत के बाद से रोजाना लगभग 40 किलोग्राम बिरयानी पका रहे हैं। वह करीब 190 आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं। बुधवार को एएनआई से बात करते हुए, रंजीत नाथ ने कहा, "मैं बुधवार, रविवार और शुक्रवार को व्यस्त रता हूं हूं क्योंकि मैं इन कुत्तों के लिए 30-40 किलोग्राम बिरयानी तैयार करता हूं। वे अब मेरे बच्चों की तरह हैं। मैं अपने जिंदा रहने तक यह काम करूंगा। यह मुझे खुशी प्रदान करता है।"

वो मेरे बच्चे हैं- नाथ
रंजीत नाथ के दिन की शुरुआत बिरयानी की तैयारी से होती है। वह इसे दोपहर से पकाना शुरू कर देता है और रोजाना शाम 5 बजे अपनी बाइक पर एक बड़ा सा बर्तन लेकर आवारा कुत्तों को खिलाने के लिए शहर का चक्कर लगाते हैं।  नाथ बताते हैं,  'मेरे पास 10-12 निश्चित स्थान (लोकेशन) हैं और मेरे 'बच्चे' उन जगहों के बारे जानते हैं। जैसे ही वे मुझे देखते हैं, वे मेरी ओर दौड़ने लगते हैं। एक बार सड़कों पर, मैं आवारा जानवरों के साथ भेदभाव नहीं करता। मैं बिल्लियों को भी खिलाता हूं।' 

अब लोग कर रहे हैं डोनेट
रंजीत नाथ आगे बताते हैं,'चिकन बिरयानी में मांस कम और हड्डियां ज्यादा होती हैं। मुझे चिकन का हड्डी वाला हिस्सा सस्ते दाम पर मिल जाता है जिससे मुझे ज्यादा कुत्तों को खिलाने में मदद मिलती है। पिछले महीने तक ज्यादातर खर्च मेरी जेब से होता था।' पिछले कुछ दिनों से रंजीत दास को अब लोगों से डोनेशन भी मिल रहा है, हालांकि यह जानवरों को खिलाने के लिए पर्याप्त नहीं है।