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एक पैर से तय किया 2800 KM का सफर, 42 दिन में साइकिल से की जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा

Updated Jan 11, 2021 | 08:59 IST

Para cyclist Tanya Daga: पैरा साइक्लिस्ट तान्या डागा ने जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक 2800 किलोमीटर का सफर 42 दिनों में पूरा किया।

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तान्या डागा

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की पैरा साइक्लिस्ट तान्या डागा ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने 42 दिन में साइकिल से 2800 किलोमीटर का सफर तय किया है। इन 42 दिनों में तान्या ने जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी तय की। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तान्या की तारीफ में लिखा, 'साहस और हौसला हो, तो बाधाएं; नतमस्तक हो जाती हैं। हमारी पैरा साइक्लिस्ट बेटी तान्या ने जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी तय कर मध्यप्रदेश का शीश गौरव से ऊंचा कर दिया है। बेटी जीवन की हर चुनौती को परास्त कर ऐसे ही आगे बढ़ती रहो, मेरी शुभकामनाएं सदैव तुम्हारे साथ हैं।'

तान्या जब अपने अभियान पर थीं, तब उनके पिता की भी मौत हो गई। वह एक सप्ताह के लिए वापस चली गई और इसके बाद अपनी यात्रा फिर से शुरू की और अपना मिशन पूरा किया। वह अभियान इन्फिनिटी राइड K2K 2020 का एक हिस्सा थी। 

30 सदस्यीय टीम में तान्या अकेली पैरा साइकलिस्ट थीं। यह पूरे भारत में पैरा स्पोर्ट्स के बारे में पैसे जुटाने और जागरूकता पैदा करने के लिए एक चैरिटी मिशन था। इसका आयोजन आदित्य मेहता फाउंडेशन और बीएसएफ ने किया।

पिता ने तान्या को किया प्रोत्साहित

'द टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर के अनुसार, दो साल पहले उसकी जिंदगी बदल गई। तान्या ने कहा, 'मेरे साथ एक दुर्घटना हुई जिसके बाद मैंने अपना बायां पैर खो दिया। मैं छह महीने से बिस्तर पर थी और यह मेरी जान गंवाने जैसा था। ऐसी स्थिति में मेरे पिता ने मुझे यह साबित करने के लिए प्रोत्साहित किया कि शरीर का एक हिस्सा खोने से आप जीवन में अपना लक्ष्य प्राप्त करने से नहीं रोक सकते। मैंने 19 नवंबर, 2020 को अपना अभियान शुरू किया था। लेकिन जीवन ने 18 दिसंबर, 2020 को फिर से मेरी परीक्षा ली जब मैंने अपने पिता आलोक डागा को खो दिया। मैं हैदराबाद में अभियान के बीच में थी। मैं वापस आ गई और अपने परिवार के साथ रहने लगी।'

पिता के लिए मिशन पूरा किया

तान्या ने आगे कहा कि यह मेरे पिता का सपना था कि मैं मिशन को पूरा करूं। मैं उनके सपने को पूरा करना चाहती थी। मैं उनकी मृत्यु के बाद पूरी तरह से बिखर गई थी, फिर भी मैं उनके सपने को जीने के लिए अभियान में शामिल हुई। वह मेरे आदर्श थे। भविष्य की योजना पर डागा ने कहा, 'मैं पैरा साइक्लिस्ट के लिए काम करती रहूंगी और जागरूकता फैलाऊंगी कि कोई भी जीवन में कुछ भी हासिल कर सकता है।'