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Do You Know: देश का इकलौता अनोखा रेलवे स्टेशन, जिसका कोई नाम नहीं, दिलचस्प है कारण

Updated Nov 01, 2021 | 14:33 IST

भारतीय रेल एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल रेलवे स्टेशन की संख्या तकरीबन 8000 के करीब है। इतना ही नहीं देश में कई रेलवे स्टेशन हैं, जो अलग-अलग कारणों से काफी मशहूर है। हर स्टेशन का अपना कोई ना कोई नाम जरूर होता है। लेकिन, क्या ऐसा संभव है कि बिना नाम का भी कोई स्टेशन हो?

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बिना नाम का रेलवे स्टेशन
मुख्य बातें
  • एक ऐसा रेलवे स्टेशन जिसका कोई नाम नहीं है
  • यह अजीबोगरीब रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल में है
  • दो गांवों की लड़ाई के कारण बिना नाम का है ये स्टेशन

इस दुनिया में ऐसी कई चीजें हैं, जिनके बारे में जानकर काफी हैरानी होती है। कई बार तो उनपर यकीन करना मुश्किल हो जाता है। आज हम आपको एक ऐसे ही मामले से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं, जिसके बारे में सुनकर हो सकता है आपको यकीन करना मुश्किल हो जाए। क्योंकि, इस देश में एक ऐसा अनोखा रेलवे स्टेशन है जिसका कोई नाम है। इसके बावजूद इस स्टेशन पर ट्रेन रुकती है और यात्री भी आते-जाते हैं। हो सकता है इस मामले को लेकर लेकर आपके मन में कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे, जिसका जवाब आपको आज यहां मिल जाएगा?

ये तो हम सब जानते हैं कि भारतीय रेल एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल रेलवे स्टेशन की संख्या तकरीबन 8000 के करीब है। इतना ही नहीं देश में कई रेलवे स्टेशन हैं, जो अलग-अलग कारणों से काफी मशहूर है। हर स्टेशन का अपना कोई  ना कोई नाम जरूर होता है। लेकिन, क्या ऐसा संभव है कि बिना नाम का भी कोई स्टेशन हो? आप में से ज्यादातर लोगों का जवाब ना ही होगा। लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है जिसका कोई नाम नहीं है। इतना ही नहीं उसकी अपनी कोई पहचान तक नहीं है। यह स्टेशन पश्चिम बंगाल में है जिसका कोई नाम नहीं है।

ये है पीछे का करण

जानकारी के मुताबिक, बर्धमान से लगभग 35 किलोमीटर दूरी बांकुरा-मैसग्राम रेल लाइन पर स्थित यह स्टेशन दो गांवों रैना और रैनागढ़ के बीच में पड़ता है। एक समय था जब इस स्टेशन को रैनागढ़ के नाम से जाना जाता था। लेकिन,  रैना गांव के लोगों को यह बात पसंद नहीं थी। क्योंकि स्टेशन का निर्माण रैना गांव की जमीन पर किया गया था। इसलिए, वहां के लोग चाहते थे कि स्टेशन का नाम रैना हो। इस बात को लेकर दोनों गांवों के बीच झगड़ा शुरू हो गया। मामला इतना बिगड़ गया कि यह झगड़ा रेलवे बोर्ड तक पहुंच गया। जब कोई समाधान नहीं निकला तो रेलवे ने यहां लगे सभी साइन बोर्ड्स से स्टेशन का नाम मिटा दिया। तब से लेकर आज तक इस स्टेशन का कोई नाम नहीं पड़ा। हालांकि, टिकट अब भी रैनागढ़ के नाम से ही काटी जाती है। लेकिन, स्टेशन परिसर में आपको कोई नाम नजर नहीं आएगा।