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माता वैष्णो देवी के दरबार में भक्तों ने दिल खोलकर दिया दान, 20 सालों में चढ़ा दिया इतना सोना, चांदी  

Updated Mar 25, 2021 | 11:22 IST

कुमायूं के आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गौनिया ने यह आरटीआई दाखिल की थी। टीओआई से बातचीत में हेमंत ने बताया कि उन्होंने दान की जानकारी पाने के लिए लेफ्टिनेंट गवर्नर के कार्यालय में आरटीआई दाखिल की थी।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
माता वैष्णो देवी के दरबार में भक्तों ने दिल खोलकर दिया है दान।
मुख्य बातें
  • पिछले 20 सालों में श्रद्धालुओं ने दिल खोलकर माता वैष्णो देवी मंदिर को दान दिया है
  • माता का दामन सोना, चांदी और नकदी से भर दिया, आरटीआई से मिली जानकारी
  • हर साल लाखों की संख्या में यहां पहुंचते हैं श्रद्धालु, कोरोना संकट का भी दिखा असर

नई दिल्ली : दान-पुण्य करना भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। भक्त और श्रद्धालु देश भर के मंदिरों में चढ़ावे के रूप में रुपया, सोना और चांदी अर्पित करते आए हैं। माता वैष्णो देवी मंदिर में भी हर साल दान के रूप में करोड़ों रुपए मूल्य के सोना-चांदी चढ़ाए जाते हैं। एक आरटीआई के तहत पता चला है कि साल 2000 से 2020 के दौरान यानि पिछले 20 सालों में माता वैष्णो देवी को दान के रूप में 1,800 किलो से ज्यादा सोना और 4,700 किलो से ज्यादा चांदी प्राप्त हुई है। इसके अलावा भक्तों ने करीब 2000 करोड़ रुपए दान के रूप में दिया है। 

आरटीआई से दान के बारे में मिली जानकारी
कुमायूं के आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गौनिया ने यह आरटीआई दाखिल की थी। टीओआई से बातचीत में हेमंत ने बताया कि उन्होंने दान की जानकारी पाने के लिए लेफ्टिनेंट गवर्नर के कार्यालय में आरटीआई दाखिल की थी। बाद में इस आरटीआई को कटरा स्थित श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को भेज दिया गया।

उन्होंने बताया, 'मैं जानता चाहता था कि इन वर्षों के दौरान मंदिर को दान के रूप में कितनी राशि प्राप्त हुई। प्रति वर्ष इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु आते हैं। मुझे उम्मीद नहीं थी कि इन वर्षों में मंदिर को सोना, चांदी और नकदी के रूप में इतनी बड़ी मात्रा में दान मिला होगा।'

हिंदू आस्था का बड़ा केंद्र है यह मंदिर
वैष्णो देवी मंदिर हिंदू आस्था का एक बड़ा केंद्र है। वर्षों से बरीदार इस मंदिर का पूजापाठ एवं इसका प्रबंधन करते आए थे लेकिन साल 1986 में सरकार ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया और श्राइन बोर्ड का गठन किया। इसके बाद से यह बोर्ड मंदिर की देखरेख और प्रबंधन करता है। 

कोरोना संकट का मंदिर पर दिखा असर
कोरोना महामारी के संकट का असर इस मंदिर पर भी दिखाई पड़ा है। आरटीआई से पता चला है कि कोरोना के चलते श्रद्धालुओं की संख्या में बड़ी गिरावट आई है। साल 2000 के बाद से यहां हर साल 50 लाख से ज्यादा भक्त आते रहे हैं। साल 2018 और 2019 में यह संख्या बढ़कर करीब 80 लाख हो गई। साल 2020 में केवल 17 लाख श्रद्धालु मंदिर दर्शन करने आए। कोरोना संकट के चलते श्रद्धालुओं की संख्या में 78 फीसदी की गिरावट आई।