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Restaurants की तरफ से लगाया गया सर्विस चार्ज है पूरी तरह से गैरकानूनी, रोकने के लिए सरकार लाएगी कानून 

Updated Jun 03, 2022 | 08:54 IST

Restaurant Service Charges: उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने गुरुवार को साफ कर दिया है कि रेस्‍टोरेंट माल‍िकों की तरफ से ब‍िल पर लगाए गए सर्व‍िस चार्ज पूरी तरह से गैरकानूनी है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
सेवा शुल्क लेने से रोकने के लिए सरकार बनाएगी कानूनी ढांचा
मुख्य बातें
  • रेस्तरांओं को 'सेवा शुल्क' लगाने से रोकेगी सरकार
  • सेवा शुल्क लेने से रोकने के लिए सरकार बनाएगी कानूनी ढांचा
  • सरकार ने रेस्तरा संघों के साथ की बैठक

NEW DELHI: उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने गुरुवार को होटल और रेस्तरां संघों को अपने बिलों में "सेवा शुल्क" को रोकने को कहा। इसे अवैध बताते हुए सरकार ने कहा कि मंत्रालय इस प्रथा को समाप्त करने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करेगा। मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इस कर से जुड़ी कोई कानूनी वैधता नहीं है और मंत्रालय के अधिकारियों ने रेस्तरां और होटल मालिकों के संघों के प्रतिनिधियों को बताया कि उपभोक्ता अक्सर सेवा शुल्क को 'सेवा कर' के रूप में समझते हैं और इसका भुगतान करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे विभिन्न रेस्टोरेंट इसे बिल में शामिल करने के लिए अलग-अलग दर वसूलते हैं।

मंत्रालय ने की बैठक

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने गुरुवार को नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई), फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) और उपभोक्ता संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की। बैठक के बाद रोहित कुमार सिंह ने कहा कि रेस्तरां और होटल उद्योग संघों का दावा है कि यह व्यवहार कानूनी रूप से गलत नहीं है। वहीं उपभोक्ता मामलों के विभाग का विचार है कि यह ग्राहकों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। साथ ही यह ‘अनुचित व्यापार व्यवहार’ है।

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बैठक के दौरान उपभोक्ताओं द्वारा विभाग की राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर सेवा शुल्क से संबंधित प्रमुख मुद्दों को उठाया गया जैसे सेवा शुल्क की अनिवार्य वसूली, उपभोक्ता की सहमति के बिना डिफॉल्ट रूप से शुल्क जोड़ना, इस तरह के शुल्क को वैकल्पिक और स्वैच्छिक और उपभोक्ताओं को शर्मिदा करना यदि वे इस तरह के शुल्क आदि का भुगतान करने का विरोध करते हैं, पर चर्चा की गई। अधिकारियों ने कहा कि सेवा शुल्क या टिप स्वैच्छिक है और इसलिए इसे बिल में शामिल नहीं किया जा सकता है।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि बैठक के दौरान विभाग की राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर उपभोक्ताओं द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दों पर भी चर्चा की गई। बयान के अनुसार, उपभोक्ता संगठनों ने कहा कि ‘सेवा शुल्क’ लगाना पूरी तरह से 'मनमाना' है और 'उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम' के तहत यह अनुचित है। साथ ही यह प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार की श्रेणी में आता है।

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