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जल्द ही झटका देगा आरबीआई! दोबारा बढ़ सकती है लोन की ईएमआई

Updated May 23, 2022 | 18:01 IST

पिछली बैठक में बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखते हुए मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने सर्वसम्मति से रेपो रेट बढ़ाने का फैसला लिया था।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
झटका देगा आरबीआई!गवर्नर ने दिया रेपो दर में बढ़ोतरी का संकेत
मुख्य बातें
  • पिछले चार महीने से देश में रिटेल इंफ्लेशन आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर है।
  • वित्त वर्ष 2022-23 के लिए राजकोषीय घाटा 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है।
  • मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 6 जून से 8 जून को होगी।

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने सोमवार को लोन ग्राहकों को बड़ा झटका दिया। जून की शुरुआत में होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा (RBI Monetary Policy) में रेपो रेट में दोबारा वृद्धि हो सकती है। नीतिगत दरों में एक और बार बढ़ोतरी का संकेत खुद आरबीआई गवर्नर ने दिया है। बढ़ती मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय बैंक लगातार दूसरी बार यह कदम उठा सकता है।

इस संदर्भ में सीएनबीसी-टीवी18 से बातचीत के दौरान शक्तिकांत दास ने कहा कि, 'नीतिगत दर में दोबारा बढ़ोतरी की संभावना है। इसमें ज्यादा कुछ सोचने वाली बात नहीं है। लेकिन रेपो रेट में वृद्धि कितनी होगी, अभी इसपर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।'

पिछले महीने कम किया था जीडीपी का अनुमान
हाल ही में आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को 4.5 फीसदी से बढ़ाकर 5.7 फीसदी कर दिया था। इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमान को 7.8 फीसदी से कम करके 7.2 फीसदी कर दिया था। इसके लिए केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति समीक्षा में रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से ग्लोबल स्तर पर बढ़ते तनाव का हवाला दिया था।

4 मई 2022 को महंगाई को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई ने एक अनिर्धारित पॉलिसी रिव्यू में रेपो रेट को 40 बीपीएस बढ़ा दिया था, जिसके बाद से रेपो रेट 4.40 फीसदी है। इसके बाद से लगभग सभी बैंकों ने लोन ग्राहकों को झटका देते हुए ईएमआई में बढ़ोतरी की है।

शक्तिकांत दास ने कहा कि पिछले दो से तीन महीनों में रिजर्व बैंक ने महंगाई को काबू में लाने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार भी महंगाई को कम करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक को रिटेल मुद्रास्फीति को दो से छह फीसदी के दायरे में रखने की जिम्मेदारी दी है।