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Loan लेना हुआ और महंगा! इन दो Banks ने MCLR दर में किया इजाफा, जानें- आप पर कितना पड़ेगा असर?

Updated Sep 10, 2022 | 11:19 IST

MCLR का फुल फॉर्म Marginal Cost of Funds Based Lending Rate है। यह किसी भी बैंकिंग/वित्तीय संस्थान के लिए एक तरह का रेफरेंस रेट या इंटरनल बेंचमार्क होता है।

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तस्वीर साभार:&nbspGetty Images
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।
मुख्य बातें
  • एमसीएलआर दरों में 0.10 फीसदी तक का इजाफा
  • नई ऋण दरें 12 सितंबर से प्रभावी होंगी- बीओबी
  • 10 सितंबर, 2022 से लागू हो गई नई दर- आईओबी

अगर आप बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) या फिर इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) से लोन (Loan) लेने के बारे में प्लान कर रहे हैं, तब आपके लिए यह अहम खबर है। 

दरअसल, इन दोनों ही बैंकों से लोन लेना अब महंगा हो गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन ओवरसीज बैंक ने कर्ज वितरण की अपनी एमसीएलआर दरों में 0.10 फीसदी तक का इजाफा कर दिया है। 

बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी एक-वर्षीय एमसीएलआर को बढ़ाकर 7.80 प्रतिशत कर दिया है। छह महीने की एमसीएलआर अब 7.65 प्रतिशत जबकि तीन साल की एमसीएलआर 7.50 प्रतिशत हो गई है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने बताया कि नई ऋण दरें 12 सितंबर से प्रभावी होंगी।

इस बीच, इंडियन ओवरसीज बैंक की तरफ से जारी की गई एक नियामकीय सूचना में बताया गया कि तमाम राशि खंडों में अपनी एमसीएलआर दरों में 0.10 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई है। शनिवार (10 सितंबर, 2022) से नई दर के लागू होने से उपभोक्ताओं के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा।

सीमांत लागत-आधारित उधारी दर (एमसीएलआर) में बढ़ोतरी होने से सभी तरह के कर्ज महंगे हो जाएंगे। इनमें कार (Car Loan), व्यक्तिगत (Personal Loan) और आवासीय ऋण (Home Loan) शामिल हैं। एक साल के लिए एमसीएलआर अब 7.65 प्रतिशत, जबकि दो साल और तीन साल का एमसीएलआर 7.80 प्रतिशत हो गया है। 

MCLR का मतलब Marginal Cost of Funds Based Lending Rate है। यह किसी भी बैंकिंग/वित्तीय संस्थान के लिए एक तरह का रेफरेंस रेट या इंटरनल बेंचमार्क होता है।