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फिक्स्ड डिपॉजिट करना चाहते हैं? जानिए मौजूदा वक्त में कहां बेहतर होगा FD करना 

Updated May 12, 2022 | 22:10 IST

हाल के वर्षों में फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाली ब्याज दरें काफी कम है। लेकिन आप बेहतर चाहते हैं। ऐसे में कहां एफडी करना चाहिए? यह एक मुश्किल प्रश्न है। फिर भी हम आपको सामाधान का रास्ता बता रहे हैं जिसके जरिये आप तय कर सकते हैं।

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एफडी कहां करना उचित होगा?

 फिक्स्ड डिपॉजिट पर पिछले कुछ समय से ब्याज की दरें काफी कम रही हैं। अर्थव्यवस्था की हालत को देखते हुए यह जरूरी है कि ब्याज दरें कम रहे और महंगाई दर 6 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। लेकिन, एक से दो वर्ष की अवधि की एफडी पर टैक्स से पहले 4.9-5.1 प्रतिशत का रिटर्न मिल रहा है। टैक्स के बाद रियल रिटर्न -3 प्रतिशत से कम हो सकता है। इस प्रकार की स्थिति में, डिपॉजिट से आपके पैसे में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। बल्कि यह कम हो रहा है। अभी दरें बढ़नी शुरू हुई हैं। लेकिन ये इंन्क्रीमेंट बहुत ही कम हैं। अगर महंगाई ऐसे ही बढ़ती रही तो रियल रिटर्न नेगेटिव बने रह सकते हैं। इसके कारण ब्याज आय पर निर्भर रहने वाले लोगों के लिए बहुत गहरी समस्याएं पैदा हो रही हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए उनकी ब्याज आय में कमी हुई है और उनकी रहन-सहन की लागतों में बहुत अधिक बढ़ोतरी हुई है। इस स्थिति में आपको क्या करना चाहिए?

लंबी बनाम छोटी अवधि

सरकारी बैंक डिपॉजिट के साथ सबसे अच्छी दरें खास तौर पर 5 वर्ष की ऊपर की अवधि के लिए मिलती हैं। वर्तमान में सबसे बड़े सरकारी बैंकों द्वारा 4.9 से 5.50 प्रतिशत दरों को ऑफर किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, केनरा बैंक 5 से 10 वर्ष की अवधि के लिए 5.50 प्रतिशत प्रदान करता है जबकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह 6 प्रतिशत है। तीन वर्ष तक की अवधियों के लिए दरें 4.9 प्रतिशत से 5.3 प्रतिशत है। कुछ बैंक 5.45 प्रतिशत दर प्रदान करते हैं। दूसरी ओर डाकघर में एक, दो और तीन वर्षों की सावधि जमाओं के लिए 5.5 प्रतिशत की दर प्रदान की जाती है और लेकिन पांच वर्षों के लिए उच्चतम 6.7 प्रतिशत दर ऑफर की जाती है।

प्राईवेट बैंकों के साथ भी ऐसा ही है। लंबी अवधि के लिए ब्याज दरें 6.25 प्रतिशत से 6.5 प्रतिशत तक के बीच में हैं। उदाहरण के लिए इंडसइंड बैंक दो वर्ष से अधिक लेकिन 61 महीनों से कम अवधि के लिए 6.5 प्रतिशत का विज्ञापन देता है, और वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह 7 प्रतिशत है। अनेक बैंक 5.75 से ऊपर की दर प्रदान करते हैं। वे आपसे उम्मीद करते हैं कि आप उच्च दरों के लिए लंबी अवधियों के लिए उनके साथ जुड़े रहें। लेकिन बात वहीं की वहीं हैं। वर्तमान माहौल में उच्चतम दरें भी पर्याप्त नहीं हैं। समाधान क्या है?

प्राईवेट बैंकों और सरकारी बैंकों के बीच में दरों में साफ तौर पर फर्क नजर आता है। यदि आप 5 प्रतिशत से बेहतर रिटर्न की सोच रहे हैं, तो आप प्राईवेट बैंकों में जमा करने पर विचार कर सकते हैं। दूसरा, लंबी अवधि के लिए बेहतर दरें मिलती हैं, आप अभी हो सकता है कि उनमें लॉक-इन न करना चाहें। जल्द ही दरें बढ़नी शुरू हो जाएंगी। छोटी अवधि की जमाओं के साथ बने रहना समझदारी हो सकती है, फिर चाहे दरें कम ही क्यों न हों। फिर जब, दरें बढ़ें, तो आप फिर से उन्हें लॉक-इन कर सकते हैं। जैसाकि नज़र आ रहा है, इस बात की संभावना है कि 2022 में एक से अधिक बार दरों में बढ़ोतरी हो सकती है।

छोटे बनाम बड़े बैंक

दरों के बारे में एक अन्य विभाजन आप बड़े बैंकों और छोटे बैंकों के बीच में देख सकते हैं। बड़े बैंकों को सुरक्षित माना जाता है, जमाकर्ता के लिए उनमें जोखिम कम होते हैं, और इसलिए, वे छोटे बैंकों की तुलना में निम्न दरें ऑफर करते हैं। बैंक चाहे प्राईवेट हो या सरकारी, यह दोनों के मामले में सच है। उदाहरण के लिए, एचडीएफसी तथा आईसीआईसीआई बैंकों द्वारा पांच वर्ष से अधिक की अवधियों के लिए 5.45 प्रतिशत तथा वरिष्ठ नागरिकों के लिए 6.35 ब्याज दरों के विज्ञापन दिए जाते हैं। यह उसी अवधि के लिए एसबीआई की दरों के लगभग समान ही हैं, 5.5 प्रतिशत और 6.3 प्रतिशत। जोखिमों के बावजूद, छोटे बैंकों को भी अपना कारोबार बढ़ाने की जरूरत है। इसलिए, वे नए जमाकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए उच्च दरें प्रदान करते हैं।

खास तौर पर सबसे अच्छी दरें छोटे फाइनेंस बैंकों द्वारा ऑफर की जाती हैं। उदाहरण के लिए, तीन वर्ष की अवधि के लिए सूर्योदय स्माल फाइनेंस बैंक द्वारा 7 प्रतिशत की दर ऑफर की जाती है, और वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह दर 7.5 प्रतिशत है। जमा करने के लिए छोटे बैंकों को चुनते समय, ग्राहकों को बैंक की स्थिरता पर जरूर विचार करना चाहिए।

उदाहरण के लिए, वे सभी बैंक जिनका हाल ही में आरबीआई ने अनेक कारणों से लाईसेंस रद्द किया है, वे को-ऑपरेटिव बैंक थे। सभी छोटे बैंक जोखिम भरे नहीं होते हैं। आपको केवल उन्हीं बैंकों से दूर रहने की जरूरत है जिनके साथ समस्या के स्पष्ट संकेत नजर आते हैं जैसे बैड-डेट्स का उच्च अनुपात है। आप किसी भी छोटे बैंक में 5 लाख रूप से कम की राशि को जमा करवा कर खुद को सुरक्षा कवच प्रदान कर सकते हैं। यह वह सीमा है जिससे आपको आरबीआई की बीमा डिपॉजिट स्कीम से कवरेज मिल जाएगी, यदि बैंक फेल हो जाता है।

बैंक बनाम कंपनियां

यदि आप ब्याज आय पर निर्भर हैं, तो आप कंपनी जमा को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। बहुत उच्च रेटिंग वाली कंपनियों को चुनना महत्वपूर्ण होता है जो आपको ब्याज और मूल राशि का समयबद्ध रूप से वापसी कर सकें। इस बारे में एएए (AAA)-रेटेड कंपनी एफडी सबसे अच्छे साबित होते हैं। उदाहरण के लिए, एचडीएफसी लिमिटेड द्वारा 99 महीनों के लिए 6.8 प्रतिशत की विशेष एफडी दरों का विज्ञापन दिया है, जिसमें वरिष्ठ नागरिकों को 25 बेसिस प्वाइंट्स अतिरिक्त की ऑफर की जाती है।

यदि आप उच्च रिवार्ड के लिए उच्च जोखिम उठाना चाहते हैं, तो आपको निम्न रेटिंग्स वाली कंपनियों को चुनना होगा। उदाहरण के लिए, श्रीराम सिटी द्वारा एए (AA) रेटिंग के साथ 60 महीनों के लिए 7.75 प्रतिशत दर ऑफर की जाती है जिसमें वरिष्ठ नागरिकों को 8.05 प्रतिशत की दर दी जाती है। कंपनी डिपाज़िट्स में निवेश करते समय, अपनी जमा को अपने जोखिम के अनुसार तय कर लें। याद रखें कि कंपनी डिपॉजिट्स के साथ बैंक जमाओं पर मिलने वाला डिपाजिट बीमा उपलब्ध नहीं होता है। क्रेडिट जोखिम का आंकलन करने के लिए रेटिंग्स एक उपयोगी तरीका है।

उच्चतर रियल-टर्म रिटर्न के लिए, सावधि जमाओं के अलावा निवेश के अन्य पहलुओं पर विचार करें। मार्केट इंस्ट्रुमेंट्स जैसे ईक्विटीज, म्यूचल फंडस्, बॉंड फंड्स, तथा राज्य, केन्द्रीय सरकार, तथा कार्पोरेट बांड्स बेहतर रिटर्न प्राप्त करने के तरीके हैं। आखिरकार, बैंक डिपॉजिट बचत के साधन हैं तथा उनसे बचत जैसे रिटर्न ही मिलते हैं। इंफ्लेशन से अधिक रिटर्न पाने के लिए, आपको मार्केट में जाना होगा।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर:  ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)