वाराणसी: भगवान शिव की नगरी काशी यूं ही तीनों लोकों में न्यारी है। इस बार देव दीपावली (30 नवंबर) को इसी के अनुरूप काशी के लोग इसे सजाने में लगे हैं। अपने सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में उतावले काशी के लोगों का पूरा प्रयास है कि इस बार काशी को कुछ इस तरह सजाएं मानों धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। मालूम हो कि यह पहली देव दीपावली है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाग ले रहे हैं। ऐसे में इस आयोजन को दिव्य और भव्य बनाने में काशी के लोग कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते।
पिछली बार से डेढ़ गुना ज्यादा जलेंगे दीप
काशी के सभी 84 घाट हर देव दीपावली पर दीयों की रौशनी से जगमग होते हैं। उस समय अद्धचंद्राकार गंगा से इन घाटों का नजारा अद्भुत होता है। लगता है मानों गंगा ने दीपों का हार पहन रखा है। हर साल लाखों की संख्या में देश दुनिया से लोग इस भव्य नजारे को देखने आते हैं। पर इस बार की देव दीपावली अपने खास अतिथियों के कारण खास होगी। देव दीपावली को भव्य बनाने के लिए 15 लाख से अधिक दीप जलेंगे। पिछली बार यह संख्या 10 लाख के करीब थी। यहां एक बड़ा प्रकाश उत्सव आयोजित होगा। देव दीपावली के दिन 20-25 घाटों पर बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होंगे।
खजूरी में जनसभा करेंगे पीएम मोदी
गंगा पार रेती से लेकर मंदिर, मठ और कुंड, सरोवर भी दीपों से जगमग होंगे। सोलह घाटों के सामने उनसे जुड़ी कथा कहते हुए बालू से कलाकृतियां बनाई जा रही हैं। जैन घाट के सामने भगवान जैन की आकृति, तुलसी घाट के सामने विश्वप्रशिद्ध नागनथैया का कालिया नाग की आकृति और ललिता घाट के सामने मां अन्नपूर्णा देवी की आकृति भी बनाई जा रही है। पंद्रह घाटों पर संस्कृति विभाग द्वारा 20 से अधिक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खजुरी में जनसभा करेंगे और राजातालाब से हंडिया तक बने सिक्स लेन सड़क का उद्घाटन भी करेंगे।
देव दीपावली पर प्रधानमंत्री खुद भी दीपदान करेंगे। फिर क्रूज पर बैठकर मां गंगा की गोद से अर्धचन्द्राकार घाटों पर जल रहे दीपों का नयनाभिराम नजारा देखेंगे,जो मां गंगा के गले में दीपों का हार जैसा प्रतीत होगा। पीएम मोदी चेत सिंह घाट पर लाइट एंड साऊंड के जरिए पौराणिक प्रसंग पर आधारित कार्यक्रम का लेजर शो भी देखेंगे। इसके बाद वह श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के काम की प्रगति भी देखेंगे और काशी पुराधपति के दर्शन भी करेंगे।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि के चलते किसी भी तरह के ड्रोन उड़ाने पर 1 दिसंबर तक प्रतिबंध लगा दिया है। पर्यटक एवं श्रद्धालु इस साल अस्सी घाट से ललिता घाट तक नौका विहार कर सकेंगे। ललिता घाट से राजघाट तक उच्च स्तरीय सुरक्षा के कारण जनसामान्य के लिए नौकायन शाम 6:30 बजे के बाद चालू होगा। सुरक्षा के लिए प्रत्येक नाव में सवार होने वाले यात्रियों की चेकिंग जाएगी। जो संस्थाएं पारंपरिक रूप से घाटों पर आरती या सांस्कृतिक कार्यक्रम करती हैं, वे इस बार भी उत्साह से कार्यक्रम कर सकती हैं। तेज आवाज में डीजे नही बजाएं जाएंगे। केवल एक घाट पर सुनाई दे इतनी ही आवाज में आरती या कार्यक्रम होंगे।
देव दीपावली की अहमियत
माना जाता है कि देव दीपावली के दिन सभी देवता बनारस के घाटों पर आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के वध के बाद सभी देवी-देवताओं ने मिलकर खुशी मनाई थी। काशी में देव दीपावली का अद्भुत संयोग माना जाता है। इस दिन दीपदान करने का पुण्य फलदायी व विशेष महत्व वाला होता है। मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ ने खुद धरती पर आकर तीन लोक से न्यारी काशी में देवताओं के साथ गंगा के घाट पर दिवाली मनाई थी। इसीलिए इस देव दीपावली का धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है।