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हाव भाव से कम्प्यूटर चला सकेंगे दृष्टिहीन, इस साल लोगों के बीच पहुंचेगी तकनीक, हजारों लोगों को होगा फायदा

Updated Jun 17, 2022 | 23:11 IST

IIT BHU: दृष्टिहीन और दृष्टिबाधित लोग अपने हाव भाव से ही कम्पयूटर और कम्प्यूटरीकृत प्रणालियों के संचालन में दक्षता हासिल कर सकेंगे। इस पर आईआईटी बीएचयू और सीडब्ल्यूआर विश्वविद्यालय अमेरिका के शोधकर्ताओं ने शोध किया है।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
आईआईटी बीएचयू ने की शोध अब दृष्टिहीन चला सकेंगे कम्प्यूटर
मुख्य बातें
  • आईआईटी बीएचयू और सीडब्ल्यूआर विश्वविद्यालय अमेरिका के शोधकर्ताओं को बड़ी कामयाबी
  • दृष्टिहीन और दृष्टिबाधित लोगों की उंगलियों के इशारे और हावभाव से चलेंगे कंप्यूटर
  • आठ साल तक चली शोध प्रक्रिया

IIT BHU: दृष्टिहीन और दृष्टिबाधित भी हाव भाव से आम आदमी की तरह कंप्यूटर का उपयोग कर सकेंगे। दृष्टिहीन की उंगलियों के इशारे पर कंप्यूटर एप्लीकेशन काम करेंगी। दृष्टिहीन और दृष्टिबाधित लोग अपने हाव भाव से ही कम्पयूटर और कम्प्यूटरीकृत प्रणालियों के संचालन में दक्षता हासिल कर सकेंगे। आईआईटी बीएचयू और सीडब्ल्यूआर विश्वविद्यालय अमेरिका के शोधकर्ताओं की टीम ने दावा किया है कि, दृष्टिहीन के लिए डैक्टोइलोलॉजी के जरिये कंप्यूटर के उपयोग को सहज बनाया जाएगा। इस साल के आखिर तक यह तकनीक लोगों की पहुंच में होगी।
इस शोध को करने में बीएचयू के प्रतिनिधित्व मनोविज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. तुषार सिंह और शोध छात्रा ऐश्वर्य जायसवाल शामिल हैं। डॉ. तुषार ने बताया कि, यह अपनी तरह का पहला प्रयोगात्मक काम था, जिसमें दृष्टिबाधित लोगों के हाव-भाव पर आधारित मानव-कम्प्यूटर संवाद की तकनीक डैक्टाइलोलॉजी की मदद से कम्प्यूटर के प्रयोग पर अध्ययन हुआ है।

दृष्टिहीन बिना ब्रेल के उंगलियों के इशारे और अपने हावभाव से कंप्यूटर चलाएंगे

डॉ. तुषार ने बताया कि, डैक्टोइलोलॉजी के उपयोग से दृष्टिहीन बिना ब्रेल के उंगलियों के इशारे और अपने हावभाव से कंप्यूटर चलाएंगे। आठ साल तक यह शोध प्रक्रिया चली। आईआईटी बीएचयू व अमेरिकी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की टीम को इसमें अच्छे नतीजे प्राप्त हुए हैं। इस तकनीक से दृष्टिहीन लोगों की दुनिया में पूरी तरह से बदलाव आ जाएगा। डॉ. तुषार सिंह के अनुसार, जर्नल आई ट्रांसएक्शन ऑन ह्यूमन-मशीन सिस्टम में प्रकाशित शोध ने दृष्टिहीन लोगों के लिए स्थापित कंप्यूटर इनपुट तकनीक ब्रेल पर हाव-भाव आधारित तकनीक के सापेक्ष महत्व का मूल्यांकन किया तो पता चला कि, यह तकनीक दृष्टिहीन और दृष्टिबाधित लोगों के लिए बेहतर और आसान है।

श्रीहनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय के 40 छात्रों पर हुआ परीक्षण

वहीं, शोध टीम में शामिल छात्रा ऐश्वर्या जायसवाल के अनुसार, यह तकनीक बीएचयू के पूर्व शोध छात्र डॉ. गौरव मोदनवाल ने बनाई है। विकसित करने और टेस्टिंग में हम लोग शोध टीम में शामिल हुए। श्रीहनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय के 40 छात्रों पर डैक्टाइलोलॉजी तकनीक का परीक्षण किया गया है। परिणाम शत प्रतिशत रहे। ऐश्वर्या ने कहा कि, 13 से 16 वर्ष के ऐसे छात्रों इसके लिए चुने गए, यह वो छात्र थे जो ना तो डैक्टाइलोलॉजी को जानते थे और न ही ब्रेल लिपि के बारे में कोई जानकारी थी। उन्हें डैक्टाइलोलॉजी और ब्रेल लिपि का करीब 30 दिन तक प्रशिक्षण दिया। फिर डैक्टाइलोलॉजी तकनीक का इस्तेमाल करके कंप्यूटर का संचालन किया। इन छात्रों ने बिना किसी गलती के हावभाव से कंप्यूटर पर टाइपिंग की, साथ ही एप्लीकेशन का भी उपयोग किया।
 

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