- राम मंदिर के भूमि पूजन को लेकर लगातार बढ़ते जा रहा है विवाद
- वाराणसी के संतों ने कहा- पांच अगस्त को नहीं है कोई भी शुभी मुहुर्त
- पीएम मोदी पांच अगस्त राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में होंगे शामिल
वाराणसी: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन को लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं। पीएम मोदी द्वारा 5 अगस्त को अयोध्या में भव्य राम मंदिर का भूमि पूजन होना है जिसे लेकर सोमवार को शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि 5 अगस्त का मुहूर्त ठीक नहीं है और यह अशुभ मुहूर्त है। उन्होंने यह भी कहा है कि मंदिर के निर्माण में आम लोगों की इच्छाओं का ध्यान भी रखना चाहिए। अब शंकराचार्य की ही बात को आगे बढ़ाते हुए कहा है कि पांच अगस्त का मुहूर्त अशुभ है और इस दिन शिलान्यास कार्यक्रम नहीं होना चाहिए।
नरेंद्रानंद महाराज ने कहा ये शुभ मुहुर्त नहीं
शुमेरूपीठ शंकराचार्य नरेंद्रानंद महाराज ने इस बारे में बात करते हुए कहा, 'किसी भी पंचाग में पांच अगस्त को ग्रह्मागम या शिलान्यास का मुहूर्त नहीं है। 5 अगस्त 1990 को तत्कालीन संघ प्रमुख, विहिप प्रमुख के द्वारा शिलान्यास का कार्यक्रम हो चुका है। मंदिर का कार्य होना चाहिए, अच्छा काम है, सबकी इच्छा है कि अयोध्या में विशाल, भव्य और विराट राम मंदिर बने। सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश है कि विधिवत कार्य का आरंभ हो। कोई भी मुहूर्त शास्त्र के अनुरूप होना चाहिए जो सुखद होता है, आनंददायक होता है। मंदिर का कार्य में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, या विभिन्न दलों के लोगों को रहना चाहिए और इसका शिलान्यास शंकराचार्य, बल्लभाचार्य, वासुदेवाचार्य जैसे लोगों को पांच शिलाओं के जरिए कराना चाहिए।'
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बोले- ये संघ कार्यालय बन रहा है
वहीं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'राम मंदिर का शिलान्यास कहां हो रहा है? वो होता तो वह मुहूर्त में होता। ये तो संघ का कार्यालय बन रहा है जी। संघ के कार्यालय के लिए वो अपनी सुविधा देख रहे हैं इसलिए प्रधानमंत्री जब चाह रहे हैं तब आ रहे हैं। अगर मंदिर बनता तो वह मुहूर्त में बनता क्योंकि हिंदुओं का कोई भी कार्य बिना मुहूर्त के नहीं होता है। मुहुर्त ही नहीं है कोई। काशी विद्युत परिषद ने धर्मशास्त्र के विरुद्ध जाकर काशी में मंदिर तोड़ने का कार्य किया है। काशी विद्युत परिषद के नाम पर अशास्त्रीय बातें कही जा रही हैं। बिना मुहूर्त के जो कार्य किया जाता है वो नुकसानदायक होता है। अगर मुहूर्त के बिना भी अयोध्या में कार्य होता है तो वह शुभारंभ नहीं कुआरम्भ होगा। और उसका परिणाम देश की जनता भोगेगी।'