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Taliban के लिए 'कब्रगाह' साबित हो रही पंजशीर घाटी, फिर मारे गए 13 लड़ाके

Updated Sep 02, 2021 | 08:12 IST

तालिबान भले ही काबुल की गद्दी पर बैठ गया हो लेकिन अफगानिस्तान में ही एक ऐसी जगह है जहां उसे मुंह की खानी पड़ रही है। पंजशीर घाटी में उसके 13 लड़ाके फिर से मारे गए हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspAP
Taliban के लिए 'कब्र' साबित हुई पंजशीर घाटी, 13 लड़ाके ढेर
मुख्य बातें
  • तालिबान के लिए कब्रगाह साबित हो रही है पंजशीर घाटी
  • पंजशीर में फिर ढेर हुए तालिबान के 13 लड़ाके
  • अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद कर रहे हैं तालिबान के खिलाफ चले रहे अभियान का नेतृत्व

काबुल: अफगानिस्तान में सरकार बनाने जा रहे तालिबान को अभी भी यहां के एक प्रांत में मुंह की खानी पड़ रही है और इस प्रांत का नाम है पंजशीर घाटी। यह वहीं पंजशीर घाटी है जो अभी तक अजेय और अभेद्य रही है। तालिबान लगातार इस प्रांत में प्रवेश करने की कोशिशों में जुटा हुआ है लेकिन उसे बार-बार मायूसी हाथ लरही है। पंजशीर के नेता और अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद तालिबान के खिलाफ चले रहे अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। इस बीच पंजशीर में खड़े Second Resistance Front ने ट्वीट कर बताया है कि यहां तालिबान के 13 और लड़ाके मारे गए हैं। 

फिर से 13 लड़ाके ढेर
पंजशीर प्रोविंस नाम के ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में बताया गया, 'पंजशीर प्रांत के चिक्रिनो जिले में National resistance द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में तालिबान के 13 सदस्य मारे गए और उनका एक टैंक नष्ट हो गया।' इससे पहले भी अहमद मसूद के नेतृत्व वाले नॉर्दर्न अलायंस ने दावा किया था कि उन्होंने 350 तालिबानी लड़ाके को मार गिराया है। दरअसल तालिबान लगातार पंजशीर में घुसने का प्रयास कर रहा है लेकिन अभी तक उसे सफलता नहीं मिल सकी है।

पंजशीर में बंद किया इंटरनेट

इससे पहले तालिबान के खिलाफ पंजशीर में खड़े आंदोलन के एक नेता ने दावा किया था कि अंदरब के रास्ते तालिबान ने कई बार पंजशीर में घुसने का प्रयास किया जिसमें उसके 40 लड़ाकों को मौत के घाट उतार दिया गया और कई गाड़ियों को नष्ट कर दिया गया। तालिबान ने इस इलाके में इंटरनेट भी बंद कर दिया है। पंजशीर में घुसने के तमाम प्रयास विफल हो जाने के बाद तालिबान बौखलाया हुआ है।

अभेद्य रहा है पंजशीर

पंजशीर घाटी काबुल से करीब 150 किलोमीटर दूर है। यहां का इतिहास रहा है कि अभी तक इसे कोई हासिल नहीं कर पाया है। अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह भी यहीं शरण लिए हुए हैं। आपको बता दें कि अमेरिकी सेना ने जैसे ही अफगानिस्तान छोड़ा तो तालिबान ने अपना अभियान शुरू कर दिया। पंजशीर पर कब्जा करने के लिए हजारों लड़ाके भेजे गए लेकिन तालिबान को कोई सफलता हाथ नहीं लग पाई है। पंजशीर अफगानिस्तान का इकलौता ऐसा प्रांत है जिस पर तालिबान कब्जा नहीं कर सका है।