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भारत और चीन के बीच 16वें दौर की बातचीत 17 जुलाई को, इन इलाकों से 'डिसएंगेजमेंट' पर जोर देगा भारत 

शिवानी शर्मा | Deputy News Editor
Updated Jul 13, 2022 | 18:19 IST

talks between India and China:एलएसी पर गलवान में हुए खूनी संघर्ष को पूरे दो साल से ज्यादा हो चुके हैं इन 25 महीनों में भारतीय सेना ने एलएसी पर अपने जवानों और हथियारों की तैनाती में बड़े फेरबदल किए है।

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भारत और चीन के बीच 16वें दौर की बातचीत 17 जुलाई को (प्रतीकात्मक फोटो)

भारत और चीन के बीच एलएसी तनाव को कम करने के लिए 17 जुलाई रविवार को दोनों पक्षों के बीच 16वें दौर की बातचीत होनी है। कोर कमांडर लेवल की इस बातचीत में भारत एक बार फिर बचे हुए फ्रिक्शन पॉइंट से डिसइंगेजमेंट पर जोर देगा। भारत ने अपनी ताकत और सूझबूझ से पैंगोंग त्सो, गोगरा- हॉट स्प्रिंग के तनावपूर्ण इलाकों से चीन को डिसइंगेजमेंट के लिए मजबूर किया लेकिन अब भी पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई ऐसे फ्रिक्शन पॉइंट है जहां भारत और चीन की सेना आमने सामने है।

मार्च में भारत और चीन के बीच 15वें दौर की बातचीत हुई थी लगभग 4 महीने बाद अब एक बार फिर दोनों देशों के कमांडर आमने सामने होंगे। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की टुकड़ियों के गलवान घाटी में घुसने के दो साल बाद, पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीनी सेना के बीच एक असहज गतिरोध बना हुआ है, 15 दौर की बातचीत के बावजूद लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर कई बिंदु ऐसे हैं जहां अब भी भारत और चीन की सेना आमने सामने है। यह दूरी कई बार इतनी कम हो जाती है एक और संघर्ष की स्थिति की आशंका बन जाती है।

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पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर मौजूद कोंगका ला पर अभी चीन की सेना एलएसी के बेहद नजदीक है यहां अब तक डिसएंगेजमेंट नहीं हो सका है इस इलाके को मिलिट्री नक्शे पर पेट्रोलिंग पॉइंट् 15 के नाम से भी जाना जाता है। पीपी 15 के अलावा देपसांग प्लेन के इलाके में भी पेट्रोलिंग को लेकर विवाद बना हुआ है।तीसरी जगह जहां अब भी तनाव बरकरार है वह है डैमचौक का इलाका। डैमचौक में भी पीएलए और भारतीय सेना लगभग आमने-सामने है और यहां भी कई बार स्थिति बेहद संवेदनशील हो जाती है। 

अप्रैल 2020 के स्टेटस क्वो की मांग कर रहा है भारत 

भारत ने कई बार चीन को इस विवाद को सुलझाने के लिए पीछे हटने को कहा है लेकिन अब तक चीन  डिस्इंगेजमेंट के लिए तैयार नहीं हुआ है। पूर्वी लद्दाख में चीन अपनी अलग क्लेम लाइन का दावा करता है इस क्लेम लाइन पर कई ऐसे बिंदु हैं जहां चीन और भारत की सेना बेहद नजदीक है यहां भी कई बार डिफरेंस इन परसेप्शन का हवाला देते हुए चीन घुसपैठ की कोशिश करता है और भारतीय सेना उसे नियंत्रित करती है मगर स्थिति कई बार तनावपूर्ण हो जाती है। पिछले 25 महीनों में भारत और चीन के बीच 15 दौर की बातचीत की जा चुकी है जिसमें भारत हर बार चीन को अप्रैल 2020 के स्टेटस कुओ पर लौटने को कहता आया है।

फरवरी 2021 में हुआ था डिसएंगेजमेंट 

11 दौर की बातचीत के बाद फरवरी 2021 में भारत ने चीन को पैन्गौन्ग सो के दक्षिणी छोर से पीछे हटने को मजबूर कर दिया था जिसके बाद अगस्त 2021 में गोगरा हॉटस्प्रिंग इलाके से भी डिसएंगेजमेंट कामयाब रहा लेकिन अब भी चीन कई स्टैंड ऑफ प्वाइंट्स पर आक्रामक तेवर अपनाने की कोशिश करता है। 

 तनाव के बीच एलएसी पर मुस्तैद है भारतीय सेना 

भारतीय सेना चीन को नियंत्रित करते हुए लगातार डिसएंगेजमेंट पर जोर देती आई है आज भी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर भारत और चीन के लगभग 60,000 सैनिक डिप्लॉयड है भारत ने इन 2 सालों में अपने जवानों और हथियारों की तैनाती को री बैलेंस किया है देश के पश्चिमी और उत्तरी मोर्चों से कई टुकड़ियों को पूर्वी लद्दाख में लाकर तैनात किया गया है K9 वज्र के अलावा कई और बड़ी आर्टिकल को आर्टिलरी गन को पहली बार 15000 से ऊंची चोटियों पर पहुंचाया गया।

इंडियन एयर फोर्स  ने बढ़ाई निगरानी 

इंडियन एयरफोर्स ने पूर्वी लद्दाख में अपने लड़ाकू विमानों से सक्रिय निगरानी मिशन जारी रखा लेकिन अब भी भारत की कोशिश है कि बातचीत से एलएसी के तनाव को सुलझाया जा सके। 31 मई को भारत और चीन के बीच डब्ल्यूएमसीसी की बैठक हुई जिसमें कमांडर लेवल वार्ता को आगे बढ़ाने पर सहमति जाहिर की गई।  अब एक बार फिर 16 वे दौर की बातचीत होनी है जिसमें भारत, दौलत बेग ओल्डी के नजदीक देपसॉन्ग, डैमचौक और कोंगका ला से डिसइंगेजमेंट के लिए जोर देगा।