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36 साल पहले जब हवा में उड़ा दिया गया था एयर इंडिया विमान, 329 यात्रियों की हुई थी मौत

Updated Jun 23, 2021 | 06:00 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Air India Flight 182 Crash: 23 जून 1985 को एक बड़ा विमान हादसा हुआ था। एयर इंडिया 182 विमान को बीच हवा में उड़ा दिया गया था और इसमें 329 लोगों की जान चली गई थी।

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Air India plane crash 1985Air India plane crash 1985
फाइल फोटो

नई दिल्ली: आज से ठीक 36 साल पहले यानी 23 जून 1985 को एक विमान हादसा हुआ। दरअसल, एयर इंडिया का एक यात्री विमान आयरलैंड तट के करीब हवा में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और इस हादसे में 329 यात्रियों की मौत हो गई थी। हादसे के समय विमान अपने गंतव्य हीथ्रो हवाई अड्डे से मात्र 45 मिनट की दूरी पर था। एयर इंडिया फ्लाइट 182 मॉन्ट्रियल-लंदन-दिल्ली मार्ग पर चलने वाली एयर इंडिया की उड़ान थी। बीच हवा में विमान में तेज धमाका हुआ और प्लने समुद्र में गिर गया।

सिख चरमपंथियों पर एयर इंडिया के विमान में गड़बड़ करने का आरोप लगा था और एक संदिग्ध को 2003 में दोषी ठहराया गया था। फ्लाइट 182 टोरंटो से लंदन के रास्ते में थी। मॉन्ट्रियल में कनाडाई अधिकारियों ने विमान से तीन संदिग्ध पैकेजों को हटाया था। यहां से उड़ान लंदन के लिए रवाना हुई और हीथ्रो हवाई अड्डे के टॉवर के साथ संचार स्थापित किया। लेकिन अपने गंतव्य से महज 45 मिनट की दूरी पर जेट हवा में ही क्रैश हो गया।

131 शव मिले

कोई चेतावनी या आपातकालीन कॉल जारी नहीं की गई थी। जैसे ही विमान रडार स्क्रीन से गायब हो गया, हीथ्रो कर्मचारियों ने आपातकालीन बचाव दल को भेजा, लेकिन कोई भी जीवित नहीं मिला। समुद्र से केवल 131 शव निकाले गए। दुर्घटना के कारणों का तत्काल पता नहीं चल पाया, लेकिन एयरलाइन के अधिकारियों को सिख चरमपंथियों पर विमान में बम लगाने का संदेह था।

एक दोषी को हुई सजा

आपदा के पांच महीने बाद दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया था। कनाडाई पुलिस का मानना था कि संदिग्धों में से एक तलविंदर सिंह परमार हमले का मास्टरमाइंड था, लेकिन उसके खिलाफ आरोप अंततः हटा दिए गए थे। बाद में उसे भारत में पुलिस ने मार डाला। एक अन्य संदिग्ध वैंकूवर में रहने वाला एक सिख इंद्रजीत सिंह रेयात को दोषी ठहराया गया और 2003 में पांच साल जेल की सजा सुनाई गई।

जांच में सामने आई कमी

इस हादसे में 329 लोगों की मृत्यु हुई, जिनमें अधिकांश भारत में जन्मे या भारतीय मूल के 280 कनाडाई नागरिक और 22 भारतीय शामिल थे। बम से चालक दल के सभी 22 कर्मी और 307 यात्री मारे गए। इस हादसे की जांच के लिए 2006 में कनाडाई आयोग नियुक्त किया गया। 2010 में रिपोर्ट जमा की गई और यह पाया गया कि कनाडा सरकार, रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस और कैनेडियन सेक्युरिटी इंटलिजेन्स सर्विस द्वारा 'त्रुटियों की क्रमिक श्रृंखला' की वजह से आतंकवादी हमले को मौका मिला।