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चीन और रूस के बीच सहयोग से क्यों नाराज हुआ अमेरिका?

Updated Jun 01, 2022 | 15:20 IST

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की सरकार ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले घोषणा की थी कि उनकी और रूस की मित्रता की ‘कोई सीमा नहीं’है। मेरिका, यूरोप और जापान ने संयुक्त राष्ट्र के पास जाए बिना रूस को बाजार और वैश्विक बैंकिंग प्रणाली से अलग-थलग कर दिया है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP
चीन और रूस के बीच सहयोग से क्यों नाराज हुआ अमेरिका?

बीजिंग : तेल एवं गैस खरीदारी के जरिए रूस को चीन की ओर से मिल रहा समर्थन अमेरिका की नाराजगी और अमेरिकी कार्रवाई के खतरा को बढ़ा रहा है, लेकिन इस बात का कोई संकेत नहीं है कि चीन यूक्रेन पर रूसी हमले के कारण लगाए गए प्रतिबंधों से बचने में रूस की मदद कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने यह राय व्यक्त की है। 27 देशों वाले यूरोपीय संघ (ईयू) के नेताओं ने इस साल के अंत तक रूसी तेल के अधिकांश आयात को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है। यूरोपीय नेताओं ने सोमवार रात को रूस से किए जाने वाले 90 फीसदी तेल आयात को रोकने का फैसला लिया। इस फैसले को अगले छह महीनों में लागू कर दिया जाएगा।

चीन ने अमेरिकी प्रतिबंधों को गैर कानूनी बताया है
ऐसे में रूस के लिए चीन की महत्ता और बढ़ गई है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की सरकार ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले घोषणा की थी कि उनकी और रूस की मित्रता की ‘कोई सीमा नहीं’है। अमेरिका, यूरोप और जापान ने संयुक्त राष्ट्र के पास जाए बिना रूस को बाजार और वैश्विक बैंकिंग प्रणाली से अलग-थलग कर दिया है। चीन ने इन प्रतिबंधों को गैर कानूनी बताया है।

प्रतिबंधों के बावजूद रूस से तेल खरीद रहे कई देश
इन प्रतिबंधों के बावजूद चीन, भारत और कई अन्य देश रूस से तेल और गैस खरीद रहे हैं, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने शी को चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने प्रतिबंधों से बचने में रूस की मदद की, तो चीन को इसके परिणाम भुगतने होंगे। यानी चीनी कंपनियों पर पश्चिमी बाजार तक पहुंच समाप्त होने का खतरा हैष चीन प्रतिबंधों का पालन करता दिख रहा है, लेकिन सरकारी कंपनियां रूस से और तेल एवं गैस खरीद रही हैं। वे पश्चिमी कंपनियों के जाने के बाद रूसी ऊर्जा परियोजनाओं की संभावित निवेशक भी हैं।

‘यूरेशिया ग्रुप’ के नील थॉमस ने एक ईमेल में कहा, ‘रूस के प्रति चीन के सहयोग से बाइडन प्रशासन संभवत: और नाराज हो जाएगा।’
थॉमस ने कहा कि इससे ‘बीजिंग को सजा देने के लिए एकतरफा कदम उठाए जाने’ और ‘चीन से निपटने के लिए आर्थिक सुरक्षा उपायों के संदर्भ से सहयोगी देशों के समन्वय’से कदम उठाए जाने की संभावना है। अमेरिका ताइवान, हांगकांग, मानवाधिकार, व्यापार, प्रौद्योगिकी और बीजिंग की सामरिक महत्वाकांक्षाओं के कारण पहले ही चीन से नाराज है।