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हिंदू विरोधी हिंसा पर भड़कीं तस्लीमा नसरीन कहा-'जिहादिस्तान' बनता जा रहा है बांग्लादेश

Updated Oct 19, 2021 | 17:53 IST

Taslima Nasreen on Bangladesh: अभी हाल ही में बांग्लादेश में हिंदू विरोधी हिंसा के मामले सामने आए वहां के प्रसिद्ध इस्कॉन मंदिर पर भी हमला किया गया था, इस सबको लेकर मशहूर लेखिका तसलीमा नसरीन ने अपना गुस्सा जाहिर किया है।

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तसलीमा अपने लेखन के कारण हमेशा कट्टरपंथियों के निशाने पर रहीं हैं

नयी दिल्ली: बांग्लादेश में हिंदू विरोधी हिंसा की हालिया घटनाओं से क्षुब्ध मशहूर लेखिका तसलीमा नसरीन(Taslima Nasreen) ने कहा है कि उनका देश अब 'जिहादिस्तान' (Jihadistan) बनता जा रहा है जहां सरकार अपने सियासी फायदे के लिये मज़हब का इस्तेमाल कर रही है और मदरसे कट्टरपंथी पैदा करने में लगे हैं।

बांग्लादेश से 28 वर्ष पहले निष्कासित लेखिका ने एक इंटरव्यू में कहा , 'मैं अब इसे बांग्लादेश नहीं कहती । यह जिहादिस्तान बनता जा रहा है । सभी सरकारों ने अपने राजनीतिक लाभ के लिये धर्म का इस्तेमाल किया । उन्होंने इस्लाम को राजधर्म बना दिया जिससे वहां हिंदुओं और बौद्धों की स्थिति दयनीय हो गई है ।'

दुर्गापूजापंडाल में कथित ईशनिंदा के बाद हिंदू मंदिरों पर हमले किए गए

पिछले सप्ताह बांग्लादेश में, कोमिला इलाके में दुर्गापूजा के एक पंडाल में कथित ईशनिंदा के बाद हिंदू मंदिरों पर हमले किए गए और कोमिला, चांदपुर, चटगांव, कॉक्स बाजार, बंदरबन, मौलवीबाजार, गाजीपुर, फेनी सहित कई जिलों में पुलिस और हमलावरों के बीच संघर्ष हुआ। हमलावरों के एक समूह ने रंगपुर जिले के पीरगंज गांव में हिंदुओं के करीब 29 घरों में आग लगा दी।

तस्लीमा ने प्रधानमंत्री शेख हसीना पर भी उठाए सवाल

अपने लेखन के कारण हमेशा कट्टरपंथियों के निशाने पर रहीं तसलीमा ने कहा कि हिंदू विरोधी भाव बांग्लादेश में नया नहीं है और यह हैरानी की बात है कि इसके बावजूद दुर्गापूजा के दौरान हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का प्रबंध नहीं किया गया ।उन्होंने कहा , 'प्रधानमंत्री शेख हसीना को बखूबी पता है कि दुर्गापूजा के समय हमेशा हिंदुओं पर जिहादियों के हमले का खतरा रहता है तो उनकी सुरक्षा के उपाय क्यों नहीं किये गए ?'

उन्होंने कहा , 'मुझे लगता है कि अब दहशत के कारण बचे खुचे हिंदू भी वहां नहीं रहेंगे । सरकार चाहती तो उनकी रक्षा कर सकती थी । यह हिंदू विरोधी मानसिकता चिंताजनक है । विभाजन के समय वहां 30 प्रतिशत अल्पसंख्यक थे जो अब घटकर नौ प्रतिशत रह गए हैं तथा आने वाले समय में और कम होंगे ।'

तसलीमा को 1993 में उनके चर्चित उपन्यास 'लज्जा' के प्रकाशन के बाद बांग्लादेश से निष्कासित कर दिया गया था । भारत में 1992 में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद बांग्लादेश में हिंदू विरोधी दंगों की पृष्ठभूमि में उन्होंने  'लज्जा' लिखी थी।उन्होंने कहा , 'मैने 1993 में लज्जा लिखी, जिसकी कहानी एक हिंदू परिवार पर केंद्रित थी जो कट्टरपंथी हिंसा के बाद देश छोड़ने को मजबूर हो गया था । ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ 1993 की बात है , यह सिलसिला लगातार चला आ रहा है । मुस्लिम चाहते हैं कि हिंदू बांग्लादेश छोड़ दें ताकि वे उनकी जमीन हथिया सकें ।'

'बांग्लादेश में बेवजह इतनी मस्जिद और मदरसे बनाये जा रहे हैं'

तसलीमा ने बेशुमार संख्या में मदरसों और मस्जिदों के निर्माण का विरोध करते हुए कहा ,'बांग्लादेश में बेवजह इतनी मस्जिद और मदरसे बनाये जा रहे हैं । मजहबी उपदेशों की वाज महफिलों का भी चलन बढ़ गया है जो अनपढ़ गरीबों को इस्लाम के नाम पर कट्टरपंथी बना रही हैं । कुरान अरबी में है और हर कोई पढ़ नहीं सकता लिहाजा ये कट्टरपंथी अपने हिसाब से उसकी व्याख्या करते हैं । ऐसे में जब कुरान की निंदा की अफवाह फैलती है तो ये लोग मारने पर उतारू हो जाते हैं।'

'आप देश को क्या बनाना चाहते हैं ? दूसरा तालिबान ?

तसलीमा ने कहा , 'आप देश को क्या बनाना चाहते हैं ? दूसरा तालिबान ? सारी आर्थिक प्रगति बेकार है अगर दिमाग में ऐसा जहर भरा जा रहा है । इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है लेकिन वहां इसकी शिक्षा दी ही नहीं जा रही ।' उन्होंने कहा , 'मैं पूरे जीवन कट्टरपंथियों के निशाने पर रही क्योंकि मैंने महिलाओं और मानवाधिकार के मसले पर लिखा । मुझे मेरे देश से 28 साल पहले निकाल दिया गया और किसी सरकार ने मुझे दोबारा आने नहीं दिया । लज्जा आज तक वहां प्रतिबंधित है और किसी ने इसका विरोध भी नहीं किया। मुझे बहुत दुख होता है ।'

'सरकार को मदरसों पर पूरा नियंत्रण रखना चाहिये'

तसलीमा ने कहा कि सरकार को मदरसों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी चाहिये और धर्म को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिये । उन्होंने कहा , 'सरकार को मदरसों पर पूरा नियंत्रण रखना चाहिये । इसके अलावा बच्चों को धर्मनिरपेक्ष स्कूलों में भेजना चाहिये ताकि उनके दिमाग में इस्लाम और कुरान को लेकर कट्टरवाद पैदा ना हो और वे दूसरों के धर्म का भी सम्मान करना सीखें ।' उन्होंने कहा ,'राजनीति को धर्म से अलग रखना जरूरी है । हिंदू दुकानों, घरों या मंदिरों में आग लगाने वाले लोग अकेले दोषी नहीं है । सरकारों ने इतने साल वोट बैंक की राजनीति के लिये उन्हें ऐसा करने का आधार दिया । इस पर रोक लगनी चाहिये । यह अच्छी बात है कि चटगांव में इस हिंसा के विरोध में रैली में इतनी बड़ी तादाद में लोगों ने भाग लिया जिनमें मुस्लिम भी थे । इसका बड़ा श्रेय सोशल मीडिया को जाता है ।'