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बीजिंग से चुन-चुन कर मिटाए जा रहे हैं इस्‍लामिक प्रतीक व अरबी भाषा में लिखे शब्‍द

Updated Aug 01, 2019 | 16:17 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

चीन की राजधानी बीजिंग में कई रेस्‍टोरेंट और दुकानों को अपने साइनबोर्ड से इस्‍लामिक प्रतीक चिह्न और अरबी भाषा में लिखे शब्‍दों को हटाने के लिए कहा गया है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
शिंजियांंग में उइगर मुसलमानों के खिलाफ ज्‍यादती को लेकर दुनियाभर में विरोध-प्रदर्शन होते रहे हैं
मुख्य बातें
  • चीन शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के प्रति ज्‍यादती को लेकर पहले ही आलोचना के केंद्र में है
  • अब बीजिंग में कई दुकानों और रेस्‍टोरेंट्स को साइनबोर्ड से इस्‍लामिक प्रतीक चिह्न हटाने को कहा गया है
  • चीन में इस्‍लामिक ही नहीं, कई अन्‍य धार्मिक स्‍थलों व प्रतीक चिह्नों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है

बीजिंग : शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के प्रति ज्‍यादती को लेकर पहले ही दुनियाभर की आलोचना झेल रहे चीन की राजधानी बीजिंग में अब एक नया अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत रेस्‍टोरेंट और दुकानों से इस्‍लामिक प्रतीकों को हटाया जा रहा है। प्रशासन के निर्देश पर यहां हलाल रेस्टोरेंट से लेकर कई फूड स्टाल तक अरबी भाषा में लिखे शब्दों और इस्लाम से जुड़े प्रतीकों को मिटाया जा रहा है।

बीजिंग में हलाल उत्‍पादों को बेचने वाले कई रेस्टोरेंट और दुकानों के कर्मचारियों ने बताया कि हाल के दिनों में चीनी प्रशासन के कई अधिकारियों ने उनकी दुकानों व रेस्‍टोरेंट का दौरा किया और कहा कि वे चांद सहित इस्‍लाम से जुड़े अन्‍य प्रतीक चिह्नों, अरबी भाषा में लिखे हलाल शब्‍द और ऐसे अन्‍य संकेतों को अपने साइन बोर्ड से हटा लें। एक रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग में नूडल्स की एक दुकान के मैनेजर ने तो यहां तक कहा कि चीनी प्रशासन के अधिकारियों ने जब उनसे हलाल शब्द को ढकने के लिए कहा तो वह इसे देखने के लिए काफी देर तक वहां रुके रहे कि ऐसा वास्‍तव में किया जा रहा है या नहीं। अधिकारियों ने दुकानदार से यह भी कहा कि यह विदेशी संस्कृति है और सभी को चीनी सभ्यता व संस्‍कृति को अधिक से अधिक अपनाना चाहिए।

चीन में 2016 से ही अरबी भाषा और इस्लामिक संकेतों के इस्‍तेमाल के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है, जो विगत कुछ समय में तेज हुआ है। दरअसल, चीन अपने देश के भीतर सभी धर्मों को अपनी मुख्‍यधारा की संस्‍कृति के अनुरूप करना चाहता है और इसी कोशिश के तहत यहां न केवल इस्‍लामिक, बल्कि अन्‍य धार्मिक स्‍थलों व प्रतीक चिह्नों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। चीन ने अपने इस अभियान के तहत मध्य-पूर्वी शैली में बनी कई मस्जिदों के गुंबद तोड़ डाले हैं और उन्हें चीनी शैली के पगौडा में बदल दिया है।

चीन में मुसलमानों की आबादी करीब 2 करोड़ है। आधिकारिक तौर पर हालांकि यहां लोगों को धार्मिक आजादी का अधिकार मिला हुआ है, पर वास्‍तव में यहां हर किसी को सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा के प्रति वफादार रहने के लिए बाध्‍य किया जा रहा है। चीन में सिर्फ इस्‍लामिक धार्मिक स्‍थलों को ही नुकसान नहीं पहुंचाया जा रहा है, बल्कि कई चर्च भी बंद करवा दिए गए हैं, जबकि कई जगह चर्च के ऊपर लगे क्रॉस के निशान को अवैध घोषित करते हुए हटा दिया गया है।

चीन में मुसलमानों के खिलाफ यह सख्‍ती 2009 में शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम समुदाय और हान समुदाय के चीनी नागरिकों के बीच भड़के दंगे के बाद की जा रही है। इस घटना के बाद चीन ने शिनजियांग में उइगर मुसलमानों के खिलाफ अभियान शुरू किया, जिसे उसने आतंकवाद के खिलाफ अभियान बताया। इसके तहत उइगर मुसलमानों से न केवल अनुचित व्‍यवहार किया जा रहा है, बल्कि उन पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है और उन्‍हें सामूहिक हिरासत केंद्रों में भी रखा जा रहा है। चीन के इस कदम के खिलाफ जहां उइगर मुसलमान विभिन्‍न अंतरराष्‍ट्रीय मंचों पर अपना विरोध जताते रहे हैं, वहीं पश्चिमी देश चीन की इसे लेकर कड़ी आलोचना करते रहे हैं।