- फोर्ब्स पत्रिका का दावा ग्वादर बंंदरगाह में नौसैनिक बेस का निर्माण कर रहा चीन
- इसके लिए सैटेलाइट तस्वीरों का दिया गया है हवाला, कंपांउंड में है भारी सुरक्षा
- बंदरगाह बन जाने के बाद हिंद महासागर में चीन के पांव और मजबूत होंगे
ग्वादर (पाकिस्तान): पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के ग्वादर बंदरगाह के पास चीन गोपनीय तरीके से अति सुरक्षित कंपाउंड का निर्माण कर रहा है और आने वाले समय में वह इसका इस्तेमाल नौसेना के बेस के रूप में कर सकता है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक एरोस्पेस एवं रक्षा पत्रिका फोर्ब्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि विशेषज्ञों ने ग्वादर में एक बहु-प्रतीक्षित चीनी नौसैनिक अड्डे की पहली झलक देखी है।
यह जिबूती सैन्य अड्डे का पूरक
मैगजीन ने कहा है, 'यह सैन्य बेस जिबूती में बने सैन्य अड्डे का एक पूरक है। इस नौसैनिक अड्डे से हिंद महासागर में चीन के पांव और मजबूत होंगे। सैटेलाइट की हाल की तस्वीरें यही इशारा करती हैं कि यहां पिछले कुछ वर्षों में कई नए परिसरों का निर्माण हुआ है। यहां परिसरों का निर्माण करने वाली एक कंपनी ऐसी है जो चीन के लिए बंदरगाह का निर्माण करती आई है।' ग्वादर पोर्ट पाकिस्तान के पश्चिमी छोर पर स्थित है।
बंदरगाह बन जाने से चीन को होगा फायदा
समझा जाता है कि यह बंदरगाह चीन की महात्वाकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है। इस बंदरगाह के बन जाने के बाद चीन को अपने व्यापार में काफी सहूलियत होगी। दक्षिण एशिया के बाजारों तक उसे अपना माल पहुंचाना के लिए लंबा रास्ता तय नहीं करना पड़ेगा। जनवरी 2018 में ऐसी रिपोर्टों आई थीं कि चीन ग्वादर में अपना नौसैनिक ठिकाना बना रहा है। हालांकि, कभी आधिकारिक रूप से नौसैनिक अड्डे की रिपोर्ट की पुष्टि नहीं की गई।
कंपाउंड में भारी सुरक्षा व्यवस्था
मैगजीन में आगे कहा गया है, 'उच्च सुरक्षा के घेरे में मौजूद इस कंपाउंड का इस्तेमाल चीन कम्यूनिकेशंस कंस्ट्रक्शन कंपनी (सीसीसीसी लिमिटेड) कर रही है। यह प्रमुख रूप से सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी है जो चीन की बहुत सारी सिविल इंजीनियरिंग परियोजनाओं में भागीदार है।' पत्रिका का कहना है कि इस इलाके में थोड़ी-बहुत सुरक्षा का होना सामान्य बात है लेकिन इस कंपाउंड में उच्च स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था ज्यादा ही व्यापक है।
पाकिस्तान में चीन का है भारी निवेश
चीन अपने व्यापारिक हितों को पूरा करने के लिए चीन में भारी मात्रा में निवेश किया है। बताया जाता है कि चीन ने अपने सीपेक परियोजना पर करीब 50 अरब डॉलर का निवेश किया है। सीपेक को लेकर पाकिस्तान में विरोध के स्वर भी उठते हैं। वहां के कुछ लोगों का कहना है कि इस परियोजना की कीमत पाकिस्तान के लोगों को चुकानी पड़ रही है। कुछ का मानना है कि चीन अपने कर्ज के जाल में पाकिस्तान को बुरी तरह फंसा चुका है।