- अपने राष्ट्रीय दिवस एक अक्टूबर के बाद से ज्यादा आक्रामक हुआ है चीन
- ताइवान की तरफ बार-बार भेज रहा अपने लड़ाकू विमान, ताइपे भी अलर्ट
- ताइवान के पीएम ने कहा कि देश को मजबूत बनाने एवं एकजुट रहने की जरूरत
नई दिल्ली : चीन अपने से कमजोर और अपने पड़ोसी देशों से किस तरीके से सीनाजोरी करता है और कैसे अपनी सैन्य ताकत के प्रदर्शन से उन्हें डराता है, इसका स्पष्ट उदाहरण ताइवान के साथ देखने को मिल रहा है। पिछले एक अक्टूबर से चीन ने अब तक इस स्वायत्त देश की तरफ अपने 148 लड़ाकू विमानों को उड़ा चुका है। चीन की इस हरकत से ताइवान डरा नहीं है बल्कि बीजिंग की तरफ से होने वाली किसी भी आक्रामक कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार है। ताइवान का कहना है कि वह चीन की ओर से लगातार लड़ाकू विमान उड़ाए जाने पर 'अलर्ट' है।
ताइवान की वायु सेना भी अलर्ट मोड पर
चीन ने शुक्रवार को अपने राष्ट्रीय दिवस के मौके पर 38 और शनिवार को 39 लड़ाकू विमानों को ताइवान की ओर भेजा। रविवार को उसने 16 अतिरिक्त विमानों को उसकी ओर भेजा था। सोमवार को ताइवान की तरफ उड़ान भरने वालों में लड़ाकू विमानों में 34 जे-16 लड़ाकू विमान और 12 एच-6 बमवर्षक प्लेन शामिल थे। चीन की हालिया हरकतों को देखते हुए ताइवान की वायुसेना पहले से तैयार थी और उसने चीन के लड़ाकू विमानों को वापस लौटने पर मजबूर किया। साथ ही अपनी वायु रक्षा प्रणाली पर चीनी युद्धक विमानों की गतिविधियों पर नजर रखी।
'चीन की कार्रवाई से क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को खतरा'
चीन की ओर से अपने वायु क्षेत्र का हो रहे बार-बार उल्लंघन पर प्रधानमंत्री सू सेंग चांग ने ताइवान को अलर्ट रहने के लिए कहा है। चांग का कहना है कि चीन की इस कार्रवाई से क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को खतरा बना हुआ है। अलजजीरा के रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने मीडिया से कहा, 'ताइवान को अवश्य सतर्क रहना चाहिए। चीन के लड़ाकू विमान और अधिक संख्या में हमारी ओर आ रहे हैं। चीन क्षेत्रीय शांति का बार-बार उल्लंघन और ताइवान पर दबाव डाल रहा है, इसे दुनिया ने देख रही है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि ताइवान को मजबूत बनाने और एकजुट रहने की जरूरत है।
ताइवान को अपना हिस्सा मानता है चीन
चांग ने कहा, 'ऐसा करने पर ही, ऐसे देश जो ताइवान को अपने में ताकत के बल पर शामिल करना चाहते हैं, वे बल का इस्तेमाल नहीं करेंगे। हम जब अपनी मदद करेंगे तभी दुनिया भी सहायता के लिए आगे आएगी।' गौरतलब है कि बीजिंग 'वन चाइना पॉलिसी' के तहत ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है। उसका इरादा इस देश को अपने में शामिल करना है जबकि ताइवान इसका विरोध करता है। चीन चाहता है कि दुनिया के अन्य देश भी उसकी इस पॉलिसी को मान्यता दें। ताइवान में लोकतंत्र है जबकि चीन में साम्यवादी सरकार है।