- 'वैक्सीन डिप्लोमेसी' के तहत चीन ने करीब 80 देशों को भेजा है अपना कोरोना टीका
- सिनोवैक और सिनोफार्म की इफिकेसी पर सऊदी अरब सहित कई देशों को है संदेह
- यूएई और बहरीन में लगा है चीन का टीका, अब लोगों को लगेगा फाइजर का बूस्टर डोज
नई दिल्ली : कोरोना संक्रमण से लड़ाई के लिए चीन की ओर से तैयार दो टीकों सिनोवैक और सिनोफार्म को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मंजूरी दे चुका है। इन टीकों का इस्तेमाल पाकिस्तान सहित दुनिया के कई देशों में हो रहा है लेकिन सऊदी अरब और मध्य पूर्व के कई देश ऐसे हैं जिन्हें इन टीकों पर भरोसा नहीं हो पाया है। इन देशों ने टीकों की विश्वसनीयता एवं प्रामाणिकता पर कहीं न कहीं अविश्वास जताया है। ऐसा करने के पीछे इन देशों का अपना तर्क और दलीलें हैं। वहीं, टीकों पर सवालिया निशान लगने से चीन की अपनी 'वैक्सीन डिप्लोमेसी' को झटका लगा है।
चीन ने करीब 80 देशों में टीकों का निर्यात किया
कोरोना का टीका बनाने के बाद चीन ने अपनी 'वैक्सीन डिप्लोमेसी' को आगे बढ़ाने के लिए करीब 80 देशों को अपने टीकों का निर्यात किया। हाल के दिनों में कई देशों ने चीन के टीकों के प्रति संदेह जताया है। सेशेल्स एक छोटा देश है। सेशल्स दुनिया का ऐसा पहला देश है जहां उसकी आबादी के लिहाज से सर्वाधिक टीका लगा है। सेशेल्स में ज्यादातर लोगों को चीन की सिनोफार्म वैक्सीन लगाई गई लेकिन गत मई में वहां कोरोना के मामलों में तेजी देखी गई। सेशेल्स की सरकार ने कहा कि जिन लोगों को सिनोफार्म लगा उनमें 37 प्रतिशत लोगों में दोबारा संक्रमण पाया गया।
सऊदी अरब सहित कई देशों ने टीकों पर संदेह जताया
सेशेल्स के बाद सऊदी अरब, यूएई, बहरीन और फिलिपींस जैसे देश चीन के टीकों की एफिकेसी एवं प्रामाणिकता पर अपनी चिंताएं जाहिर कर चुके हैं। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक फिलिपींस के राष्ट्रपति रॉड्रिगो डुटेर्टे ने मई में कहा था कि सुरक्षा एवं इफिकेसी को ध्यान में रखते हुए वह खासकर चीन की वैक्सीन नहीं लेना चाहते। चीन के टीकों पर सबसे ज्यादा संदेह सऊदी अरब ने जताया है। खाड़ी के सबसे ताकतवर मुल्क ने अपने यहां चीन के टीकों के इस्तेमाल की मंजूरी नहीं दी है। भारत ने भी इन टीकों के लिए अपने बाजार नहीं खोले हैं।
यूएई और बहरीन में लगेगा फाइजर का बूस्टर डोज
सऊदी अरब ने अपने यहां अस्ट्राजेनेके के टीके कोविशील्ड, मॉडर्ना, फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन के टीकों को मंजूरी दी है। सऊदी में इन टीकों को छोड़कर यदि किसी ने अन्य वैक्सीन लगवाई है उनसे क्वरंटाइन के सख्त प्रोटोकॉल का पालन कराया गया है। चीन टीकों पर निर्भर रहने वाले देशों के बीच अब ऊहापोह की स्थिति बन गई है। वे तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए। यूएई औ बहरीन ने कहा है कि चीन की वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को फाइजर टीके की बूस्टर डोज दी जाएगी। यूएई और बहरीन ने अपने यहां लोगों को सिनोफार्म का टीका दिया है लेकिन वहां कोविड-19 के मामलों में तेजी पाई गई है।
चीनी टीकों की इफिकेसी पर पर्याप्त डाटा नहीं
फोर्ब्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के टीकों पर संदेह पैदा होने के पीछे क्लिनिकल परीक्षणों एवं वैक्सीन की इफिकेसी पर उचित एवं पर्याप्त डाटा का उपलब्ध न होना है। चीनी टीकों की इफिकेसी पर सार्वजनिक हुए डाटा ने विशेषज्ञों के बीच संदेह उत्पन्न किया है। सिनफार्म वैक्सीन के बारे में डब्ल्यूएचओ ने कहा कि 60 साल से ज्यादा की उम्र वाले लोगों से जुड़ा डाटा पर्याप्त नहीं है। संगठन ने यह भी कहा कि कोरोना का संक्रमण रोकने में चीन की वैक्सीन कारगर है, इसे बताने के लिए 'पर्याप्त डाटा' उपलब्ध नहीं है।