- फ्रांस की नौसेना के सबसे बड़े युद्धपोत 'चार्ल्स डी गॉल' पर कोरोना का संक्रमण
- एयरक्राफ्टर कैरियर पर तैनात कम से कम 50 नौसैनिकों में कोविड-19 वायरस की पुष्टि
- परमाणु शक्ति से चलने वाले जंगी जहाज पर तैनात रहते हैं राफेल फाइटर जेट
नई दिल्ली: दुनिया पर महामारी बनकर छाया एक जानलेवा वायरस जिसने कई बड़े और शक्तिशाली देशों को घुटनों पर ला खड़ा किया है। कोरोना के जरिए प्रकृति ने एक बार फिर दिखा है कि तमाम संसाधनों और आधुनिक विज्ञान के बावजूद उसके आगे इंसान कितना बेबस है। सैन्य ताकत में दुनिया के सबसे अग्रिणी देश एक वायरस की वजह से त्राहिमाम कर रहे हैं। और अब तो जंग के लिए तैयार किए गए युद्धपोत भी इससे अछूते नहीं हैं। दुनिया में घातक हमले का बेहद शक्तिशाली हथियार माना जाने वाला एक परमाणु शक्ति संपन्न एयरक्राफ्ट कैरियर कोरोना के अटैक से जूझ रहा है। जी हां... हम बात कर रहे हैं फ्रांस की नौसेना के सबसे बड़े युद्धक जहाज चार्ल्स डी गॉल की, जिस पर तैनात कम से कम 50 नौसैनिकों के कोविड-19 की चपेट में आने की पुष्टि हुई है।
फ्रांस सशस्त्र बल मंत्रालय की ओर से मिल रही जानकारी के अनुसार एयरक्राफ्ट कैरियर के कई हिस्सों को लॉकडाउन किया गया है। अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार चालक दल के 50 से ज्यादा सदस्यों में COVID-19 लक्षणों के संकेत मिलने के बाद कोरोनो वायरस संक्रमण के परीक्षण के लिए मेडिकल उपकरणों से लैस एक टीम बुधवार को जहाज पर भेजी गई थी।
सशस्त्र बल मंत्रालय ने इस बारे में कहा, '66 टेस्ट के परिणामों में चार्ल्स डी गॉल पर सवार COVID-19 के 50 से ज्यादा पॉजिटिव मामले सामने आए। बीते गुरुवार को तीन संक्रमित नौसैनिकों एयरलिफ्ट करके टूलॉन शहर स्थित एक अस्पताल ले जाया गया। फ्रांस के एकलौते विमान वाहक पोत चार्ल्स डी गॉल पर करीब 1,760 कर्मचारी सवार हैं।'
बाल्टिक सागर भेजा गया था एयरक्राफ्ट कैरियर: परमाणु शक्ति चालित युद्ध पोत की तैनाती बाल्टिक सागर में उत्तरी यूरोपीय नौसेनाओं के साथ अभ्यास में भाग लेने के लिए की गई थी। अब यह पोत टूलॉन की ओर ले जाया जा रहा है जहां इसे आने वाले दिनों में संक्रमण मुक्त करने के लिए बंदरगाह पर डॉक किया जाएगा।
मंत्रालय की ओर से कहा गया, 'टूलॉन में विमानवाहक पोत के जल्दी लौटने का इंतजार किया जा रहा है। चालक दल की सुरक्षा और वायरस के प्रसार को रोकने के लिए अतिरिक्त उपाय किए गए हैं।'
अमेरिकी नौसैनिक अधिकारी भी चिंतित! पिछले सप्ताह, अमेरिका के विमानवाहक पोत थियोडोर रूजवेल्ट के कप्तान को कथित तौर पर एक पत्र लीक होने के बाद उनकी कमान की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया था। उनका अधिकारियों को लिखा गया एक पत्र लीक हुआ था जिसमें उन्होंने कोरोनो वायरस संक्रमण से बचाव के उपायों के लिए अपने जंगी जहाज पर जरूरी कदम उठाने की बात कही थी। यह फ्रांस से आई खबर से यह बात साफ हो गई है कि जमीन से बहुत दूर समुद्र में तैरने वाले नौसैनिक जहाज भी इससे पूरी तरह सुरक्षित नहीं कहे जा सकते हैं।
राफेल लड़ाकू विमान (Photo- Getty Images)
कितना ताकतवर है फ्रांस का 'चार्ल्स डी गॉल': अमेरिका के अलावा फ्रांस अकेला ऐसा देश है जिसके पास परमाणु शक्ति संपन्न एयरक्राफ्ट कैरियर है। यह फ्रांस का अकेला विमानवाहक पोत है जिस पर राफेल फाइटर जेट तैनात रहते हैं। यह फ्रेंच नेवी का सबसे बड़ा और मारक हथियार है जिस पर तैनात राफेल सैकड़ों किलोमीटर की रेंज में मौजूद किसी भी दुश्मन ठिकाने को तबाह कर सकते हैं। इस युद्धपोत का नाम दूसरे विश्वयुद्ध के समय सेवारत एक आर्मी अफसर 'चार्ल्स आंद्रे जोसेफ मैरी डी गॉल' के नाम पर रखा गया है।