दुनिया भर में कोरोना का कहर बढ़ता ही जा रहा है वहीं चीन जहां से इसकी उत्पत्ति हुई थी वहां इसे काफी हद तक कंट्रोल कर लिया गया है, जी हां कम से कम आंकड़े तो यही बताते हैं, वुहान जहां इसके सबसे ज्यादा केस सामने आए थे वहां पर सोमवार को कोविड-19 संक्रमण का केवल एक मामला सामने आया है, यानि साफ है कि चीन ने इस घातक बीमारी पर काफी हद तक काबू पा लिया है।
चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक घातक बीमारी कोविड-19 का प्रकोप चीन में धीरे-धीरे कम हो रहा है, बीमारी के चलते मरने वालों की कुल संख्या 3,226 हो गई है।
वुहान में दिसंबर में सबसे पहले वायरस का पता चला था
वुहान और पूरे हुबई प्रांत की सीमाएं 23 जनवरी से बंद पड़ी हैं और यहां यातायात के साथ ही आवाजाही पूर्ण प्रतिबंधित है। वुहान के स्वास्थ्य आयोग ने बताया कि प्रांत में सोमवार को कोरोना वायरस संक्रमण का एक मामला और 12 लोगों की मौत की जानकारी सामने आई। नये मामलों के साथ हुबेई प्रांत में कुल 67,799 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई।
आयोग ने बताया कि अस्पताल में भर्ती 8,004 मरीजों में से 2,243 की स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है और अन्य 539 की हालत नाजुक है। सर्वाधिक प्रभावित इलाकों वुहान और हुबेई में वायरस का प्रकोप घटने के साथ इन दोनों स्थानों पर तैनात हजारों चिकित्सा कर्मियों को क्रमबद्ध तरीके से वापस बुलाने की योजना की चीन ने सोमवार को घोषणा की।
वहीं एक शीर्ष चिकित्सा विशेषज्ञ ने बताया कि कोरोना वायरस का प्रकोप देश में 'लभगभ खत्म होने की तरफ है' लेकिन इस बारे में पक्के तौर पर एक महीने बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने कहा कि सोमवार को चीनी मुख्य भूभाग में संक्रमण के 21 नये मामले सामने आए जबकि 13 लोगों की मौत हो गई। आयोग ने बताया कि 45 संदिग्ध मामले भी सामने आए हैं।
सोमवार तक चीन में कुल 80,881 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई। इनमें बीमारी से मरने वाले 3,226 लोग, इलाज करा रहे 8,976 मरीज और 68,679 ऐसे लोग शामिल हैं जिन्हें सेहत में सुधार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इस बीच, सोमवार को विदेश से संक्रमण लेकर आने वाले 20 मामले सामने आने के बाद ऐसे कुल मामले 143 पर पहुंच गए। नौ मामले बीजिंग में सामने आए।
कोरोना वायरस से जूझ रहे चीन ने फैविपिरावीर का क्लीनिकल शोध पूरा किया
यह एक एंटीवायरल दवा है जिससे कोविड-19 के खिलाफ अच्छे क्लीनिकल संकेत मिले थे। चीन के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी डेवलपमेंट के निदेशक झांग शिनमिन ने कहा कि फैविपीरावीर एंफ्लुएंजा की दवा है जिसे जापान ने 2014 में क्लीनिकल प्रयोग के लिए मंजूरी दी थी। इसकी क्लीनिकल परीक्षण के दौरान विपरीत प्रतिक्रिया नहीं दिखी।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय से जुड़े केंद्र के निदेशक झांग की घोषणा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए अभी तक कोई प्रभावी उपचार नहीं है। हालांकि चीन और कई अन्य देशों ने एचआईवी के साथ ही इबोला वायरस रोगियों के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं का प्रयोग इस महामारी के इलाज में किया।
झांग ने बताया कि शांगजेन के द थर्ड पीपुल्स हॉस्पीटल में क्लीनिकल परीक्षण में 80 से अधिक रोगियों ने हिस्सा लिया जिसमें से 35 रोगियों को फैविपिरावीर दिया गया और 45 रोगी नियंत्रित समूह में रहे।
उन्होंने कहा कि परिणाम में दिखा कि जिन रोगियों को फैविपिरावीर दिया गया उनमें नियंत्रित समूह की तुलना में कम समय में वायरस जांच में नकारात्मक पाया गया।