- फ्रांस में हाल के समय में हुई हैं आतंकी और चरमपंथी घटनाएं
- पिछले साल एक शिक्षक की हत्या ने पूरे फ्रांस को झकझोरा
- इस्लामी चरमपंथ पर रोक लगाने के उपाय कर रही मैंक्रो सरकार
पेरिस : देश में आतंकवाद एवं चरमपंथी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए फ्रांस की सरकार ने एक विधेयक पारित किया है। नेशनल असेंबली में मंगलवार को पारित इस विधेयक में मुख्य रूप से शहरों एवं कस्बों में इस्लामी चरमपंथ के फैलाव पर रोक लगाने की व्यवस्था की गई है। फ्रांस की सरकार का कहना है कि इस्लामी चरमपंथ से उसकी राष्ट्रीय एकता को खतरा बना हुआ है। हालांकि, इस विधेयक में किसी खास धर्म का जिक्र नहीं किया गया है लेकिन इसमें जबरन शादी और वर्जिनिटी टेस्ट जैसी प्रथाओं के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान बनाया गया है।
मुख्यधारा से बाहर के स्कूलों पर होगी सख्ती
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति ऑनलाइन हिंसा को बढ़ावा देता पाएगा तो सरकार उसके साथ सख्ती से निपटेगी। यही नहीं विधेयक में धार्मिक संगठनों की निगरानी सख्त करने और मुख्यधारा के स्कूलों से बाहर छात्रों को शिक्षा देने वाले संस्थानों पर कड़े नियम एवं शर्त लगाने की व्यवस्था की गई है। तुर्की, कतर और सऊदी अरब से मस्जिदों को होनी वाली फंडिंग पर चिंता जताते हुए धार्मिक संगठनों को विदेश से प्राप्त होने वाले फंड की जानकारी देने और अपने बैंक अकाउंट को प्रमाणित कराने के लिए कहा गया है।
फ्रांस में हाल के समय में हुए हैं आतंकी हमले
फ्रांस में मुस्लिम समुदाय की आबादी पचास लाख होने का अनुमान है। हाल के समय में इस देश को कई इस्लामी आतंकवादी हमलों एवं चरमपंथी घटनाओं का सामना करना पड़ा है। फ्रांस में अगले साल राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। इसे देखते हुए माना जा रहा है कि चुनाव में राष्ट्रीय सुरक्षा एक अहम मुद्दा होगा। नेशनल असेंबली में इस विधेयक को पारित कराने में राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों की पार्टी ने अपना पूरा जोर लगा दिया।
अब सीनेट में पारित होने के लिए जाएगा विधेयक
इस विधेयक के समर्थन में 347 सांसदों ने वोट किया जबकि विपक्ष में 151 वोट पड़े। वोटिंग के दौरान 65 सदस्य अनुपस्थित रहे। असेंबली से यह विधेयक तो पारित हो गया है लेकिन अब इसकी अगली परीक्षा सीनेट में होनी है। सीनेट में मैंक्रो की पार्टी के पास बहुमत नहीं है। फ्रांस में इस विधेयक का विरोध भी शुरू हो गया है। वामपंथी झुकाव रखने वाले कुछ सांसदों ने इसे इस्लाम पर हमला बताया है। जबकि गृह मंत्री गेराल्ड डारमैनिन का कहना है कि धर्मनिरपेक्ष देश ने इस विधेयक के जरिए 'ताकतवर आक्रामकता' का प्रदर्शन किया है।