लाइव टीवी

George Floyd Death: अमेरिका की सड़कों पर हिंसा एवं उपद्रव, 'ट्रंप राज' में हिंसा पर चीन ने दी नसीहत

Updated Jun 01, 2020 | 17:28 IST

Protests in US over death of George Floyd: जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमेरिका के कई शहर हिंसा एवं उपद्रव की चपेट में हैं। लंदन, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया में भी प्रदर्शन हुए हैं।

Loading ...
जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के खिलाफ अमेरिका के शहरों में हो रहे हैं हिंसक प्रदर्शन। सभी तस्वीरें-AP
मुख्य बातें
  • मिनीपोलिस में गत 25 मई को पुलिस अधिकारी ने टखने से दबाया था जॉर्ज फ्लॉयड का गला
  • फ्लॉयड की मौत के बाद से अमेरिका की शहरों में उग्र हुए विरोध-प्रदर्शन, हजारों लोग गिरफ्तार
  • प्रदर्शन की आंच ह्वाइट हाउस तक पहुंची, चीन ने अमेरिका को दी नस्लीय भेदभाव खत्म करने की नसीहत

वाशिंगटन : अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद अमेरिका के कई शहरों में हिंसक विरोध-प्रदर्शन जारी हैं। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई जगहों पर झड़प होने की घटना सामने आई है। उपद्रव, हिंसा एवं लूटपाट के दौर को देखते हुए करीब 40 शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। न्यूयॉर्क, शिकागो, लॉस एजेंलिस और फिलाडेल्फिया सहित कई शहरों में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे जहां पुलिस के साथ उनका संघर्ष हुआ। रविवार को प्रदर्शन की आंच ह्वाइट हाउस तक पहुंच गई जिसके बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सुरक्षित वहां बने बंकर में शिफ्ट किया गया।  

अधिकारियों को कोविड-19 फैलने की आशंका
जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमेरिका के तकरीबन सभी शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। फ्लॉयड को न्याय देने और दोषी पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। सड़कों पर लोगों की इतनी बड़ी संख्या देखकर अधिकारी परेशान हैं। अधिकारियों को लगता है कि कोरोना का संक्रमण और तेजी से लोगों को अपनी चपटे में ले सकता है। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक देश में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 100,000 को पार कर गई है। रविवार को महामारी की संख्या में करीब 20 हजार केस की वृद्धि हुई। सोमवार सुबह तक करीब 18 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। मिनेसोटा के गवर्नर टिम वाल्ज ने कहा कि प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग हिस्सा ले रहे हैं इससे कोविड-19 की संख्या में वृद्धि हो सकती है। 

चीन ने कहा-नस्लीय भेदभाव रोके अमेरिका
इस बीच, चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका से अल्पसंख्यकों के खिलाफ नस्लीय भेदभाव रोकने की अपील की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने कहा, 'हम जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद से ताजा हालातों पर नजर बनाए हुए हैं। अश्वेत लोगों का जीवन मायने रखता है और मानवाधिकारों की सुरक्षा होनी चाहिए।' प्रवक्ता ने कहा कि 'अमेरिका में अल्पसंख्यकों के खइलाफ नस्लीय भेदभाव एक सामाजिक बुराई है। अभी हाल में जो कुछ हुआ है उससे वहां की गंभीर समस्या उभरकर सामने आई है और इसका तत्काल समाधान किए जाने की जरूरत है। यह नस्लीय भेदभाव है। हमें उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप अमेरिकी सरकार जातीय अल्पसंख्यकों के कानूनी अधिकारों की सुरक्षा एवं सभी तरह के नस्लीय भेदभाव खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाएगी।'

अब तक 4000 लोगों की हुई गिरफ्तारी
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद से अलग-अलग शहरों में हुए विरोध प्रदर्शनों में करीब 4000 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। इस मामले में गिरफ्तारियों का दौर 26 मई से शुरू हुआ। अमेरिका में हुई इस वारदात के खिलाफ अन्य देशों में भी विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। फ्लॉयड को न्याय दिलाने के समर्थन में रविवार को लंदन के ट्राफालगर स्क्वॉयर पर बड़ी संख्या में भीड़ जुटी। इस दौरान वहां लोगों ने लॉकडाउन एवं सोशल डिस्टेंसिंग नियमों की परवाह नहीं की। नियमों का उल्लंघन करने पर यहां कुछ 23 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया गया।

न्यूजीलैंड, बर्लिन और ऑस्ट्रेलिया में प्रदर्शन
मिनीपोलिस में गत 25 मई को फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत हुई। यहां एक पुलिसकर्मी अपने टखने से जमीन पर गिरे फ्लॉयड की गर्दन तब तक दबाकर रखा जब तक कि उनकी मौत नहीं हो गई। इस घटना के बाद अमेरिका के शहरों में शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन दुनिया के कई देशों में फैल गया है। फ्लॉयड के समर्थन में न्यूजीलैंड, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया में प्रदर्शन हुए हैं। न्यूजीलैंड के ऑकलैंड, वेलिंगटन और क्राइस्टचर्च में और जर्मनी के बर्लिन में विरोध हुए हैं। जिस पुलिसकर्मी ने फ्लॉयड की गर्दन अपने टखने से दबाई थी उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।