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खरपतवार हटाने के लिए धड़ल्‍ले से हो रहा ग्लाइफोसेट का इस्‍तेमाल, जो कैंसर के लिए है जिम्‍मेदार

Updated Jul 05, 2021 | 11:00 IST

दुनियाभर में घास और खरपतवार हटाने के लिए व्‍यापक पैमाने पर ग्लाइफोसेट आधारित दवा का इस्‍तेमाल हो रहा है, जिससे कैंसर तक का खतरा है। इसे बनाने वाली कंपनी पर 125000 मुकदमे भी दर्ज हो चुके हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
कैंसर का खतरा बढ़ाता है ग्लाइफोसेट, फिर भी हो रहा इस्‍तेमाल (साभार : iStock)
मुख्य बातें
  • खरपतवार हटाने के लिए दुनियाभर में धड़ल्‍ले से ग्लाइफोसेट आधारित दवा का इस्‍तेमाल हो रहा है
  • जबकि ग्‍लाइफोसेट उन रासायनिक तत्‍वों में शामिल है, जिससे इंसानों में कैंसर का खतरा होता है
  • खरपतवार नाशक ऐसी दवा बनाने वाली कंपनी पर 125000 मुकदमे भी दर्ज हो चुके हैं

बफेलो/ब्लूमिंग्टन/डेविस (अमेरिका) : उत्तरी अमेरिका में गर्मी बढ़ने के साथ माली नए पौधे रोप रहे हैं और झाड़ियों-खरपतवार को हटाने में व्यस्त हैं तथा कर्मचारी पार्क में घास काट रहे हैं और जमीन को समतल बनाने में जुटे हैं। कई लोग राउंडअप जैसे खरपतवार नाशक का इस्तेमाल कर रहे हैं जो कि 'होम डिपो' और 'टार्गेट' जैसे स्टोर पर उपलब्ध हैं।

ग्लाइफोसेट से कैंसर का खतरा!

पिछले दो साल में तीन अमेरिकी जूरी ने याचिकाकर्ताओं को करोड़ों डॉलर जुर्माना देने का फैसला सुनाया, जिन्होंने कहा था कि खरपतवार नाशक दवा राउंडअप में मुख्य घटक ग्लाइफोसेट के कारण एक प्रकार का कैंसर होता है। जर्मन कंपनी बेयर ने 2018 में राउंडअप की खोज करने वाली कंपनी मोनसेंटो को खरीद लिया और उसे विरासत में 125,000 लंबित मुकदमे भी मिले, जिसमें से उसने करीब 30,000 को छोड़कर बाकी सभी को निपटा दिया है।

कंपनी अब राउंडअप की अमेरिका में खुदरा बिक्री को समाप्त करने पर विचार कर रही है ताकि इसके उपयोगकर्ताओं से आगे मुकदमों के जोखिम को कम किया जा सके। वैश्विक व्यापार, खाद्य प्रणालियों और पर्यावरण पर उनके प्रभावों का अध्ययन करने वाले शोधकर्मी मामले में एक बड़ी तस्वीर देखते हैं। जेनेरिक ग्लाइफोसेट का दुनिया भर में इस्तेमाल होता है। किसान इसका उपयोग कृषि क्षेत्रों में करते हैं। खेत में खरपतवार नाशक के रूप में ग्लाइफोसेट का छिड़काव किया जाता है।

व्‍यापक रूप से हो रहा इस्‍तेमाल

ग्लाइफोसेट का असर अब मनुष्यों पर दिखाई दे रहा है लेकिन वैज्ञानिक अभी भी इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर बहस कर रहे हैं। हालांकि, एक बात स्पष्ट है, चूंकि यह एक प्रभावी और बहुत सस्ता खरपतवार नाशक है इसलिए व्यापक रूप से इसका इस्तेमाल होता है। जब 1974 में राउंडअप ब्रांड नाम के तहत ग्लाइफोसेट को बाजार में उतारा गया, तो इसे व्यापक रूप से सुरक्षित माना गया। मोनसेंटो के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि यह लोगों या अन्य गैर-लक्षित जीवों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा और मिट्टी और पानी में नहीं टिकेगा।

वैज्ञानिक समीक्षाओं ने निर्धारित किया कि यह जानवरों के ऊतकों में नहीं बनता है। ग्लाइफोसेट पहले या बाद में किसी भी अन्य खरपतवार नाशक की तुलना में अधिक कारगर रहा। धीरे-धीरे अन्य जगहों पर भी किसानों ने अगले फसल चक्र की तैयारी के लिए इसे खेतों में छिड़कना शुरू कर दिया।

भारत, चीन को लेकर क्‍या है स्थिति?

कीटनाशक उद्योग क्षेत्र में अब भी चीन का दबदबा है। उसने 2018 में दुनिया भर में इसका 46 प्रतिशत निर्यात किया लेकिन अब अन्य देश भी इस व्यापार में शामिल हो रहे हैं, जिसमें मलेशिया और भारत शामिल हैं। कीटनाशकों की पहले यूरोप और उत्तरी अमेरिका से विकासशील देशों में आपूर्ति होती थी, लेकिन अब विकासशील देश धनी देशों को कई कीटनाशकों का निर्यात करते हैं।

स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के कारण कई उत्पाद बाजार में आए लेकिन उसके हानिकारक परिणाम से इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए बेहतर विकल्प की जरूरत है क्योंकि खरपतवार ग्लाइफोसेट से धीरे-धीरे प्रतिरोधी होते जा रहे हैं। शोधकर्ताओं की राय में ग्लाइफोसेट की प्रभावशीलता और संभावित स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में बढ़ती चिंताओं के कारण रासायनिक खरपतवार नियंत्रण के वैकल्पिक समाधानों के अनुसंधान में तेजी आनी चाहिए।