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क्या है चीन की 'वैक्सीन डिप्लोमेसी', कोरॉना के दाग से बिगड़ी छवि को चमकाना चाहता है 'ड्रैगन' 

Updated Jan 12, 2021 | 09:19 IST

चीन को लगता है कि दुनिया के ज्यादातर देशों में अपना टीका पहुंचाने में यदि वह सफल रहा तो कोरोना के फैलाव को लेकर जो उसकी एक खराब छवि बनी है उसमें सुधार होगा।

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क्या है चीन की 'वैक्सीन डिप्लोमेसी'।

नई दिल्ली : दुनिया के देशों में कोरोना का टीका पाने की जद्दोजहद शुरू हो गई है। खासकर दुनिया के वे देश जो गरीब है और जिनके पास टीका विकसित का संसाधन नहीं है, वे पूरी तरह से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और दूसरे देशों से मिलने वाले टीकों पर निर्भर है। कोरोना महामारी को लेकर दुनिया भर के निशाने पर आया चीन टीके की आपूर्ति को अपने लिए छवि सुधारने के एक मौके के रूप में देख रहा है। इसलिए उसने गरीब मुल्कों को अपना टीका पहुंचाने की बात कही है। दरअसल, कोरोना महामारी से चीन जिस तरह से निपटा उसे लेकर दुनिया भर में उसके खिलाफ गुस्सा देखा गया।

बिगड़ी छवि सुधारना चाहता है चीन 
चीन को लगता है कि दुनिया के ज्यादातर देशों में अपना टीका पहुंचाने में यदि वह सफल रहा तो कोरोना के फैलाव को लेकर जो उसकी एक खराब छवि बनी है उसमें सुधार होगा। साथ ही बड़े पैमाने पर टीकों का उत्पादन होने पर उसकी बॉयोटेक कंपनियों को आने वाले समय में फायदा पहुंचेगा। इस दिशा में वह तेजी से काम कर रहा है।  महामारी का फैलाव होने के बाद चीन ने यूरोप और अफ्रीका के कई देशों में मास्क एवं पीपीई किट का निर्यात किया और अपनी मेडिकल टीमें कई देशों में भेजीं।

बाजार में अपना टीका पहुंचाने की दौड़ में चीन
इस समय दुनिया भर की दवा कंपनियां कोरोना का टीका बाजार में उतारने की कवायद में जुट गई हैं। ऐसे में चीन भला क्यों पीछे रहता। वह भी अपने टीका लेकर आ रहा है। चीन टीके के लिए ऐसे देशों के साथ भी टीके के लिए करार कर रहा है जिनके साथ उसके संबंध ठीक नहीं रहे हैं। साउथ चाइना सी में चीन के विस्तारवाद पर सवाल उठाने वाले देशों मलेशिया और फिलिपींस के साथ उसने टीकों का करार किया है। 

एजेंडा बढ़ाने के लिए करेगा 'वैक्सीन डिप्लोमेसी' का इस्तेमाल
अंतरराष्ट्रीय संबंधों का जानकारों का कहना है कि चीन यदि देशों को 'डोनेशन' के रूप में अपना टीका यदि दे रहा है तो उसके पीछे उसकी लंबी सोच है और रणनीति है। वह आगे अपनी 'वैक्सीन डिप्लोमेसी' का इस्तेमाल अपना एजेंडा बढ़ाने के लिए करेगा। खासकर दक्षिण चीन सागर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर वह 'लाभ' लेने की कोशिश कर सकता है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने टीके को 'मानवता की भलाई' में लगाने की बात कही है। उनके इस बयान में चीन को दुनिया के स्वास्थ्य क्षेत्र का ग्लोबल पावर के रूप में पेश करने की भावना भी छिपी है। 

टीके के उत्पादन में जुटीं चीनी कंपनियां
दुनिया में अपना कोरोना टीका पहुंचाने के लिए चीन की दवा कंपनियां रात-दिन वैक्सीन के निर्माण में जुटी हैं। चीन की कोशिश आने वाले दिनों में एक अरब टीके का उत्पादन करने की है ताकि वह अपनी वैक्सीन को दुनिया के अन्य हिस्सों में भेज सके। चीन की नजर अपने टीके के जरिए वैक्सीन मार्केट पर अपनी पकड़ बनाने की भी है। हांगकांग स्थित ब्रोकरेज फर्म एसेंस सेक्युरिटीज का कहना है कि मध्यम एवं निम्न आय वाले देशों के 15 प्रतिशत बाजार पर भी यदि चीन की पहुंच हो जाती है तो वह 2.8 अरब डॉलर की कमाई कर लेगा। कंपनी के एक विश्लेषक का कहना है कि सभी टीका पाने की दौड़ में हैं और चीन अपने सस्ते वैक्सीन से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना चाहेगा। 

कोल्ड स्टोरेज का निर्माण किया
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अपनी वैक्सीन पहुंचाने के लिए चीन ने कोल्ड स्टोरेज केंद्रों का निर्माण किया है। ई-कॉमर्स के दिग्गज अलीबाबा ने इथोपिया और दुबई में गोदामों के निर्माण कराए हैं। यहां से अफ्रीकी एवं मध्य पूर्व के देशों तक टीका पहुंचाया जाएगा। चीन ब्राजील, मोरक्को और इंडोनेशिया में अपने उत्पादन केंद्रो पर टीकों का निर्माण करने में जुटा है। यही नहीं उसने लैटिन अमेरिकी एवं कैरेबियाई देशों को टीकों की खरीद के लिए एक अरब डॉलर का कर्ज देने का वादा किया है। 

चीन के चार टीके ट्रायल के दौर में
चीन के कोरोना टीके सोनिफॉम को घरेलू इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल गई है और उसके चार अन्य टीके अपने ट्रायल के तीसरे चरण में हैं। अभी इन टीकों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं मिली है। अन्य वैक्सीन की तरह चीन के इन टीकों को स्टोरेज के लिए अत्यधिक निम्न तापमान की जरूरत नहीं है। इसकी वजह से इन टीकों को दूसरी जगह भेजा जाना ज्यादा आसान है। 

चीनी उत्पादों की तरह टीके पर भी सवाल
हालांकि, चीन के उत्पादों की तरह उसके टीकों पर भी सवाल उठे हैं। दरअसल, मॉडर्ना, एस्ट्राजेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन ने अपने कोरोना टीकों के परीक्षण के बारे में जितना डाटा सामने रखा है उसकी तुलना में चीन ने अपने टीके की प्रभावोत्पादकता एवं सुरक्षा पर कम जानकारी सार्वजनिक की है। चीन के टीके पर पारदर्शित का अभाव है। इसे देखते हुए विदेशी ग्राहक चीन के टीके को संशय भरी नजरों से देख रहे हैं।