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राजनीतिक अस्थिरता का शिकार हुआ इजरायल, संसद हुई भंग, 2 साल में चौथी बार होंगे चुनाव

Updated Dec 23, 2020 | 08:40 IST

पीएम नेतन्याहू और उनके गठबंधन के ब्लू एंड ह्वाइट पार्टी के सहयोगी बेन्नी गैंट्ज ने इस राजनीतिक संकट के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है। नेतन्याहू की गठबंधन वाली सरकार सात महीने चली है।  

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राजनीतिक अस्थिरता का शिकार हुआ इजरायल।

तेल अवीव : इजरायल में एक बार फिर सियासी संकट गहरा गया है। दरअसल, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की गठबंधन सरकार बजट पारित कराने में असफल हो गई है, इसके बाद संसद को भंग कर दिया गया। राजनीतिक अस्थितरता के दौर से देश को उबारने के लिए यहां एक बार फिर से चुनाव होंगे। पिछले दो साल में यह चौथी बार होगा जब इजरायल की जनता नई सरकार के लिए मतदान करेगी। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक पीएम नेतन्याहू और उनके गठबंधन के ब्लू एंड ह्वाइट पार्टी के सहयोगी बेन्नी गैंट्ज ने इस राजनीतिक संकट के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है। नेतन्याहू की गठबंधन वाली सरकार सात महीने चली है।  

हम चुनाव से डरे नहीं-नेतन्याहू
संसद भंग होने के बाद नेतन्याहू ने कहा, 'ब्लू एंड ह्वाइट पार्टी समझौतों (वास्तविक गठबंधन करारों में बदलाव) से पीछे हट गई। उसके इस रवैये की वजह से कोरोना संकट के दौरान देश को गैर-जरूरी चुनाव में जाना पड़ेगा।' इजरायल कोरोना महामारी की संकट से जूझ रहा है और नेतन्याहू को शनिवार को कोरोना का टीका लगा। वह टीका लेने वाले इजरायल के पहले व्यक्ति बने हैं। उन्होंने कहा, 'हम चुनाव नहीं चाहते लेकिन हम चुनाव से डरे हुए भी नही हैं क्योंकि हम चुनाव जीतेंगे।'

गैट्ज ने नेतन्याहू पर बोला हमला
वहीं, गैंट्ज ने नेतन्याहू पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का हवाला देते हुए कहा, 'मुझे दुख है कि प्रधानमंत्री ने अपने खिलाफ चलने वाले मुकदमेबाजी में व्यस्त हैं। उन्हें देश और लोगों के हितों की चिंता नहीं है। उन्होंने आर्थिक स्थिरता एवं अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने की जगह देश को राजनीतिक अस्थिरता की तरफ धकेल दिया है।' इस साल की शुरुआत से अब तक इजरायल में तीन बार चुनाव हो चुके हैं लेकिन किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला जिसके बाद मुश्किल से एक गठबंधन सरकार बनी। 

सरकार बचाने के लिए बजट पारित करना जरूरी था
नई गठबंधन सरकार में यह सहमति बनी है कि पहले नेतन्याहू देश के प्रधानमंत्री होंगे और 18 महीने के बाद वह गैंट्स के लिए पीएम पद छोड़ देंगे। सरकार को बचाए रखने के लिए मंगलवार आधी रात से पहले बजट पारित करना जरूरी था लेकिन सांसदों के बीच इसके लिए सहमति नहीं बन पाई जिसके बाद संसद को भंग करना पड़ा।