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कनाडा के PM ट्रूडो ने दिखाई दिलेरी, बोले-आतंकी है तालिबानी, बैन लगाने पर बात करे दुनिया

Updated Aug 24, 2021 | 13:33 IST

Afghanistan Crisis Updates : अफगानिस्तान संकट पर चर्चा के लिए मंगलवार को दुनिया के सात अमीर देशों-कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका की वर्चुअल बैठक हो रही है।

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जस्टिन ट्रूडो तालिबान पर बैन लगाने के पक्ष में।

मॉन्ट्रिएल : तालिबान को मान्यता देने और उसके साथ रिश्ता रखने के बारे में दुनिया के देश अभी फैसला नहीं कर पा रहे हैं। दुनिया अभी 'रुको और प्रतीक्षा करो' की नीति का अनुसरण कर रही है लेकिन इसी बीच कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने तालिबान को लेकर बड़ा बयान दिया है। ट्रूडो ने साफ शब्दों में कहा है कि तालिबान के लोग आतंकवादी हैं और दुनिया को इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। ट्रूडो ने सोमवार को कहा कि अफगानिस्तान पर नियंत्रण करने वाला तालिबान 'आतंकवादी पहचान' रखता है।

कनाडा तालिबान को आतंकवादी मानता है-ट्रूडो
एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक मीडिया से बातचीत में ट्रूडो ने कहा, 'कनाडा बहुत पहले से ही यह मानता आ रहा है कि तालिबान के लोग आतंकवादी हैं। वे आतंकियों को संरक्षण देते है। इसीलिए वे आतंकवाद की सूची में हैं। इसलिए हम लोग तालिबान पर प्रतिबंध लगाने के बारे में बातचीत कर सकते हैं।' अफगानिस्तान पर तालिबान का नियंत्रण हो जाने के बाद इस देश के हालात तेजी से खराब हुए हैं। बड़ी संख्या में लोग अफगानिस्तान छोड़कर अन्य देशों में शरण ले रहे हैं। 

अफगानिस्तान पर जी-7 की बैठक
इस बीच अफगानिस्तान संकट पर चर्चा के लिए मंगलवार को दुनिया के सात अमीर देशों-कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका की वर्चुअल बैठक हो रही है। इस बैठक से पहले ट्रूडो का यह बयान काफी अहमियत रखता है। ट्रूडो ने कहा कि वह जी-7 के नेताओं के साथ इस बारे में चर्चा के लिए काफी उत्सुक हैं। हम मिलकर सोचेंगे कि आगे क्या किया जा सकता है। 

तालिबान पर प्रतिबंध उसके रवैये पर निर्भर करेगा-ब्रिटेन
इस बार जी-7 बैठक की अध्यक्षता कर रहे ब्रिटेन ने कहा है कि तालिबान पर प्रतिबंध उसके रवैये पर निर्भर करेगा। अफगानिस्तान में 20 साल बाद तालिबान की वापसी एक बार फिर हुई है। साल 2001 में अमेरिकी एवं नाटो सैन्य बलों ने उसे सत्ता से बेदखल कर दिया था। लेकिन अब अमेरिकी और विदेशी बलों की वापसी शुरू होने पर तालिबान ने एक-एक कर जिलों पर कब्जा करना शुरू किया। अब पंजशीर को छोड़कर उसका देश के समूचे भू-भाग पर कब्जा हो गया है। गत 15 अगस्त को राजधानी काबुल पर भी उसका कब्जा हो गया। इस बीच, अफगानिस्तान से भागकर अन्य देशों में पहुंचे अफगान नागरिकों ने तालिबान की बर्बरता एवं अत्याचार के बारे में बताया है। संयुक्त राष्ट्र एवं दुनिया के सामने अफगान शरणार्थी संकट पैदा हो गया है। 

तालिबान को मान्यता देने पर देशों का रुख अभी साफ नहीं
तालिबान को मान्यता दिए जाने को लेकर दुनिया के देश अभी अपना रुख तय नहीं कर पाए हैं। वे अफगानिस्तान से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए अभियान चला रहे हैं। अमेरिका ने कहा है कि वह 31 अगस्त से पहले अपने सभी सैनिकों को वहां से निकाल लेगा। हालांकि, मौजूदा परिस्थितियां और अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी को देखते हुए इस बात की अटकलें लग रही हैं कि राष्ट्रपति बाइडन इस अंतिम समय सीमा को आगे बढ़ा सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो अमेरिका के लिए चुनौती बढ़ सकती है क्योंकि तालिबान पहले ही कह चुका है कि राष्ट्रपति बाइडन ने समयसीमा अगर बढ़ाई तो इसका खामियाजा उन्हें भुगतना होगा।