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किम जोंग-उन के राज में दाने-दाने के मोहताज हुए उत्‍तर कोरियाई, ₹3000 में बिक रहा 1 किलो केला

Updated Jun 18, 2021 | 09:43 IST

किम जोंग-उन के शासन वाला उत्‍तर कोरिया भीषण आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। यहां जरूरी चीजों की कीमत भी आसमान छू रही है। सबसे अधिक हैरानी केले की कीमत को लेकर है, जो तीन हजार रुपये किलोग्राम मिल रहा है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
किम जोंग-उन के राज में दाने-दाने के मोहताज हुए उत्‍तर कोरियाई, ₹3000 में बिक रहा 1 किलो केला
मुख्य बातें
  • किम जोंग-उन के शासन वाला उत्तर कोरिया भारी आर्थिक तंगी से जूझ रहा है
  • एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां एक किलोग्राम केला 3000 रुपये में बिक रहा है
  • उत्‍तर कोरिया के हालात को लेकर किम जोंग-उन ने एक शीर्ष बैठक भी बुलाई

प्‍योंगयांग : उत्तर कोरिया के शीर्ष नेता किम जोंग उन ने हाल ही में देश की आर्थिक स्थिति को लेकर बड़ी स्‍वीकारोक्ति करते हुए कहा था कि देश को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहने की जरूरत है। उत्‍तर कोरिया की खस्‍ताहाल आर्थिक स्थिति को लेकर बीते काफी समय से रिपोर्ट्स आती रही हैं, लेकिन अब जो रिपोर्ट सामने आई है, वह चौंकाने वाली है। यहां अब लोग भोजन के लिए भी तरस रहे हैं और उन्‍हें जरूरत की किसी भी चीज के लिए सामान्‍य से कई गुना अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है।

उत्‍तर कोरिया पर नजर रखने वाली वेबसाइट 'एनके न्‍यूज' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां जरूरत की कई चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। शैंपू की एक बोतल $200 में बिक रही है तो केले $45 प्रति ग्राम के हिसाब से बिक रहे हैं। भारतीय मुद्रा में देखें तो शैंपू की एक बोतल की कीमत तकरीबन 15 हजार रुपये हो जाती है, जबकि एक किलोग्राम केले की कीमत 3 हजार रुपये से कुछ अधिक होती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आयातित वस्‍तुओं के दाम में यहां नाटकीय बढ़ोतरी देखी गई है।

भोजन के संकट से जूझ रहा उत्‍तर कोरिया

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जबकि अभी दो दिन पहले बुधवार को ही उत्‍तर कोरिया के शीर्ष नेता किम जोंग-उन ने अपनी पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं के साथ एक बैठक में स्‍वीकार किया कि देश खाद्यान्‍न संकट से जूझ रहा है और लोगों के लिए भोजन की स्थिति भी तनावपूर्ण होती जा रही है। उत्‍तर कोरिया के शीर्ष नेतृत्‍व ने यह भी स्‍वीकार किया कि देश में कृषि क्षेत्र अनाज की पैदावार के लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रहा। इसकी वजह बीते साल आए तूफानों और उसके कारण आई बाढ़ बताई गई है।

उत्‍तर कोरिया के शीर्ष नेता ने इस साल अप्रैल में भी माना था कि उनका देश कठिनाइयों के दौर से गुजर रहा है। इससे पहले अक्‍टूबर 2020 में सत्‍तारूढ़ वर्कर्स पार्टी की 75वीं वर्षगांठ के दौरान किम की आंखों में आंसू देखे जाने और जनता से 'मुश्किल वक्‍त' में उनके साथ खड़ा नहीं होने के लिए माफी मांगे जाने की बात भी सामने आई थी। एक 'विजेता नेता' की छवि वाले किम इस रुख ने पूरी दुनिया को हैरान किया था। तब विश्‍लेषकों ने इसे उत्‍तर कोर‍िया में आम लोगों को हो रही परेशानी और उससे किम प्रशान पर बढ़ते दबाव से जोड़कर देखा था।

उत्‍तर कोरिया में क्‍यों बिगड़ रहे हालात?

अंतरराष्‍ट्रीय विश्‍लेषकों का अब भी मानना है कि किम देश में व्‍याप्‍त गरीबी, भुखमरी दूर करने में नाकाम रहे, जिसका वादा उन्‍होंने तब अपने देशवासियों से किया था, जब उन्‍होंने अपने पिता से सत्ता हासिल की थी। उन्‍होंने लोगों से संपन्न भविष्य का वादा किया था, लेकिन हुआ उल्‍टा और लोग खाने को भी तरस रहे हैं। उत्‍तर कोरिया में बिगड़ते आर्थिक हालात की एक बड़ी वजह कोरोना संकट और परमाणु कार्यक्रम की वजह से उत्‍तर कोरिया पर लगे अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिबंधों को भी बताया जा रहा है।

कोरोना संक्रमण के कारण उत्‍तर कोरिया ने बीते डेढ़ साल से भी अधिक समय से अपनी सीमाएं बंद कर रखी हैं, जिससे उसे भारी नुकसान हो रहा है। उसका ज्‍यादातर व्‍यापार चीन से होता रहा है। खाने के अधिकतर सामान, खाद और ईंधन के लिए उत्‍तर कोरिया काफी हद तक चीन पर निर्भर है। लेकिन कोरोना संकट की वजह से सीमा बंद करने के बाद चीन से व्‍यापार को गहरा धक्‍का लगा है। वहीं, परमाणु कार्यक्रम की वजह से उत्‍तर कोरिया पर अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिबंध भी लगे हैं, जिसका असर उसके आर्थिक विकास पर हो रहा है।