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पाकिस्‍तान के पूर्व तानाशाह को मिली सजा-ए-मौत, आखिर क्‍या है मुशर्रफ का गुनाह?

Updated Dec 17, 2019 | 14:09 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Pervez Musharraf Death Penalty reason: पाकिस्‍तान के पूर्व सेना प्रमुख व राष्‍ट्रपति रहे परवेज मुशर्रफ को यहां की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई है। आखिर क्‍या है मामला, जिसमें उन्‍हें इतनी बड़ी सजा सुनाई गई है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई गई है

इस्‍लामाबाद : पाकिस्‍तान के पूर्व सैन्‍य तानाशाह परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई गई है। विशेष अदालत की तीन सदस्‍यीय पीठ ने उन्‍हें देशद्रोह के मामले में यह सजा सुनाई है। पीठ ने बहुमत के आधार पर मुशर्रफ के खिलाफ इस सजा का ऐलान किया, जिसमें एक सदस्‍य ने इससे असहमति जताई। पाकिस्‍तान के इतिहास में यह इस तरह का पहला मामला है।

मुशर्रफ को यह सजा सुप्रीम कोर्ट को धता बताते हुए 3 नवंबर, 2007 को देश में आपातकाल लागू करने को लेकर सुनाई गई है और उनके खिलाफ यह मामला दिसंबर 2013 से ही लंबित पड़ा था, जब उनके खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। इस मामले में उनके खिलाफ 31 मार्च, 2014 को अभियोग तय हुआ था और उसी साल सितंबर में अभियोजन पक्ष ने विशेष अदालत के समक्ष इस सिलसिले में सभी सबूत पेश किए थे। 

हालांकि इस मामले में कई अपीलीय मंचों पर याचिका होने की वजह से पाकिस्‍तान के पूर्व सैन्‍य शासक के खिलाफ अदालती कार्यवाही शुरू होने में वक्‍त लगा और इस बीच मार्च 2016 में वह पाकिस्‍तान छोड़कर चले गए। मुशर्रफ फिलहाल संयुक्‍त अरब अमीरात के दुबई में रह रहे हैं।

क्‍या है मामला?
मुशर्रफ के खिलाफ इस मामले की शुरुआत 1999 से ही हो गई थी, जब उन्‍होंने तत्‍कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का तख्‍ता पलट कर सत्‍ता हथिया ली थी। तीन साल बाद 2002 में हुए आम चुनाव में वह जीते भी, हालांकि आलोचकों ने इसे धांधली से मिली जीत बताया।

इसके 5 साल बाद 6 अक्टूबर, 2007 को हुए राष्ट्रपति चुनाव में वह फिर जीते, लेकिन इस बार उनके खिलाफ शिकायतों पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया था, जिसके आदेश का मुशर्रफ को इंतजार करना था। सुप्रीम कोर्ट में इस पर 2 नवंबर को चर्चा हुई थी, जिसके बाद शीर्ष अदालत के फैसले से पहले ही 3 नवंबर, 2007 को मुशर्रफ ने पाकिस्तान में आपातकाल लगा दिया था।

इसके बाद 24 नंवबर, 2007 को पाकिस्‍तान के चुनाव आयोग ने मुशर्रफ के राष्ट्रपति के तौर पर फिर से निर्वाचित होने की पुष्टि कर दी थी, जिस पर मुशर्रफ ने सेना की वर्दी छोड़ दी और इस मुल्‍क के असैनिक राष्ट्रपति के तौर पर पद संभाला। लेकिन लगभग एक बार बाद पाकिस्‍तान में बनी नई गठबंधन सरकार ने मुशर्रफ के खिलाफ महाभियोग चलाने का फैसला किया और 11 अगस्त, 2008 को पाकिस्‍तान की संसद में मुशर्रफ के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई शुरू हुई, जब उनका जन्‍मदिन भी था।

कौन हैं मुशर्रफ?
परवेज मुशर्रफ का जन्‍म 11 अगस्त, 1943 को अविभाजित भारत के नई दिल्‍ली स्थित दरियागंज में हुआ था। 1947 में विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्‍तान चला गया था। उनके पिता पाकिस्‍तानी विदेश मंत्रालय से जुड़े रहे और इस दौरान उनकी पोस्टिंग तुर्की में भी हुई। मुशर्रफ की शुरुआती शिक्षा तुर्की में हुई, जहां उन्‍होंने तुर्की की भाषा भी सीखी। बाद में जब वह पाकिस्‍तान लौटे तो कराची के सेंट पैट्रिक स्‍कूल और लाहौर के फॉरमैन क्रिशचन कॉलेज से उन्‍होंने पढ़ाई की।

मुशर्रफ वर्ष 1961 में पाकिस्‍तान की सेना में शामिल हुए, जिसके चार साल बाद ही 1965 में भारत और पाकिस्‍तान में जंग छिड़ गई। इसके बाद 1971 में जब भारत और पाकिस्‍तान में युद्ध छिड़ा, तब भी मुशर्रफ पाकिस्‍तानी सेना का हिस्‍सा थे। इन दोनों युद्धों में पाकिस्‍तान को करारी शिकस्‍त का सामना करना पड़ा था। मुशर्रफ अक्‍टूबर 1998 में पाकिस्‍तान के सेना प्रमुख बने, जिसके बाद 1999 में उन्‍होंने नवाज शरीफ की सरकार का तख्‍ता पलट किया। 1999 में कारगिल युद्ध के लिए भी मुशर्रफ को ही जिम्‍मेदार ठहराया जाता है, जिसमें भारत ने एक बार फिर फतह हासिल की।