बैंकाक : म्यांमार में इस साल फरवरी में तख्ता पलट के बाद सैन्य शासन ने सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया है, जिनमें पत्रकार भी शामिल हैं। पत्रकारों पर गलत रिपोर्टिंग करने और भड़काऊ जानकारी देने सहित कई अन्य आरोप लगाए गए हैं। ऐसे ही एक मामले में अब अमेरिकी पत्रकार को म्यांमार की अदालत ने 11 साल कैद की सजा सुनाई है। अमेरिकी पत्रकार डैनी फेंस्टर को गलत और भड़काऊ जानकारी फैलाने समेत कई आरोपों में हिरासत में लिया गया था, जिस मामले में कोर्ट ने अब अमेरिकी पत्रकार को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है।
अमेरिका के मिशिगन से ताल्लुक रखने वाले फेंस्टर (37) को 24 मई को यांगून अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था, जब वह अमेरिका के लिए फ्लाइट लेने वाले थे। फेंस्टर को यांगून में देश की सबसे बड़ी इनसेन जेल में रखा गया था। अमेरिकी पत्रकार को करीब 5 महीने तक यहां बंद रखा गया, जिसके बाद अब उसे सजा सुनाई गई है। फेंस्टर के वकील थान जॉ आंग ने बताया कि कोर्ट ने शुक्रवार को तीन मामले में फेंस्टर को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।
मिशिगन में 2014 में एक कर्यक्रम के दौरान अपने पिता रोज फेंस्टर के साथ डैनी फेंस्टर (तस्वीर साभार : AP)
कई पत्रकारों को लिया गया हिरासत में
अमेरिकी पत्रकार को वीजा नियमों के उल्लंघन, अवैध संगठनों से संपर्क रखने और 'झूठी खबर' फैलाने वाली टिप्पणियों को प्रकाशित या प्रसारित करने के मामले में दोषी ठहराया गया है। म्यांमार में 1 फरवरी को तख्तापलट करने वाली सैन्य सरकार ने अमेरिकी पत्रकार पर ये आरोप लगाए थे। फेंस्टर पर 50 डॉलर के बराबर स्थानीय मुद्रा में जुर्माना भी लगाया गया। इस मामले की सुनवाई इनसेन जेल के अंदर एक सैन्य अदालत में हुई थी। फेंस्टर अकेले विदेशी पत्रकार हैं, जिन्हें गंभीर अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है।
2018 अपने गृह नगर मिशिनगर के डेट्रॉट में अपनी वैन के बाहर कार्यरत डैनी फेंस्टर (तस्वीर साभार : AP)
अमेरिकी पत्रकार पर अभी आतंकवाद रोधी कानून के उल्लंघन के तहत भी केस चल रहा है, जो स्थानीय अदालत में विचाराधीन हैं। फेंस्टर पर राजद्रोह का मामला भी चल रहा है। अगर इन मामलों में फेंस्टर को दोषी ठहराया जाता है तो 7 से 20 साल तक की सजा हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद से यहां लगभग 126 पत्रकारों या मीडिया कर्मियों को हिरासत में लिया गया, जिनमें से करीब 47 अब भी सलाखों के पीछे हैं। यहां सेना ने फरवरी में तख्तापलट कर आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था।