- चीन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ अमेरिका की बड़ी अपील
- 'बीजिंग की नीतियों के खिलाफ दुनिया के दूसरे मुल्क भी एक साथ आएं'
- 'घरेलू मोर्चे के साथ साथ वैश्विक स्तर पर चीन की चालबाजी से हर कोई परेशान'
नई दिल्ली। चीन की तरफ से चुमार सेक्टर में भी घुसपैठ की कोशिश की गई।लेकिन भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया। दरअसल चीन एक तरफ कहता है कि वो किसी के भी एक इंच जमीन पर न तो काबिज है और ना ही ऐसी सोच रखता है। यह बात अलग है कि जमीनी हकीकत कुछ और है। चीनी विस्तारवाद पर अमेरिका पहले ही अपने रुख को स्पष्ट कर चुका है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत और चीन के बीच ताजा विवाद पर हमारी नजर है, हम भी चाहते है कि विवाद का शांति से निपटारा हो। विदेश मंत्री माइक पोंपियो पहले भी कह चुके हैं कि चीन जिस तरह से घरेलू और वैश्विक स्तर पर चीन का आक्रामक रुख चिंताजनक है।
ताइवान स्ट्रेट से लेकर जिनजियांग तक
अमेरिकी विदेश मंत्रालय का यह भी कहना है कि ताइवान स्ट्रेट से लेकर जिनजियांग तक, दक्षिण चीन सागर से लेकर हिमालय तक, साइबर स्पेस से लेकर अंतरराष्ट्रीय संगठनों तक हम चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी से लड़ रहे हैं। बड़ी बात यह है कि चीन न केवल अपने लोगों पर अत्याचार कर रहा है बल्कि पड़ोसी देशों को भी धमका रहा है। इससे बचने के लिए बीजिंग के खिलाफ हर किसी को उठ खड़े होने की आवश्यकता है। अमेरिका का कहना है कि हाल के दिनों में जिस तरह से चीन ने आक्रामक बर्ताव किया है, उसके विश्लेषण की जरूरत है।
मंगलवार को चुमार में हुई थी घुसपैठ की कोशिश
बता दें कि 29-30 अगस्त की रात चीन की तरफ से पैंगोंग लेक के जरिए एलएसी के दक्षिण तरफ आने की कोशिश की गई थी। लेकिन जब वो ऐसा कर पाने में नाकाम रहा तो बौखला गया। चीन की तरफ से बयान आया कि भारत ने उसकी सीमा में घुसपैठ की है और उसके बाद शाम होते होते चीनी सेना की तरफ से चुमार में घुसपैठ की कोशिश हुई। हालांकि उसे नाकाम कर दिया गया। चीन की इस तरह की हरकत से वो भरोसा खो चुका है। चीन एक तरफ कहता है कि वो किसी की एक इंच जमीन पर काबिज नहीं है तो उसकी सच्चाई की पोल खुल जाती है।