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Nepal Recalls Envoys:नेपाल ने 12 देशों में नियुक्त राजदूतों को बुलाया वापस, जानें क्या है मामला

Updated Sep 22, 2021 | 16:38 IST

Nepal Government Recalls Envoys:प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली नेपाल सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली द्वारा 12 देशों में नियुक्त किए गए अपने राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला किया है।

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नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा
मुख्य बातें
  • नेपाल सरकार ने 12 देशों में नियुक्त किए गए अपने राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला किया
  • इनमें भारत में नेपाल के राजदूत निलांबर आचार्य भी शामिल हैं
  • नेपाल के विदेशों में 33 में से 23 कूटनीति मिशन अगले तीन हफ्तों से एक महीने तक खाली रहेंगे 

काठमांडू: प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (Nepal PM Sher Bahadur Deuba) के नेतृत्व वाली नेपाल सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली द्वारा 12 देशों में नियुक्त किए गए अपने राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला किया है। इनमें भारत में नेपाल के राजदूत निलांबर आचार्य  (Nilamber Acharya) भी शामिल हैं। 'द काठमांडू पोस्ट' ने एक खबर में बताया कि इस फैसले के साथ ही नेपाल के विदेशों में 33 में से 23 कूटनीति मिशन अगले तीन हफ्तों से एक महीने तक खाली रहेंगे। साथ ही 11 मिशनों में लंबे समय से कोई राजदूत नहीं है।

विधि, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने कहा, 'आज मंत्रिमंडल की एक बैठक में ओली सरकार द्वारा राजनीतिक कोटे के तहत नियुक्त किए गए राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला लिया गया।' इस फैसले का मतलब है कि नेपाल के कुछ महत्वपूर्ण देशों में राजदूत नहीं होंगे जिनके साथ उसके 'बहुत करीबी' कामकाजी संबंध हैं। इनमें भारत, चीन, अमेरिका और ब्रिटेन शामिल हैं।

आचार्य को फरवरी 2019 में दिल्ली में नेपाल का राजदूत नियुक्त किया गया था

देउबा सरकार के नए फैसले के अनुसार आचार्य के अलावा बीजिंग, वाशिंगटन डीसी और लंदन में काम कर रहे राजदूतों क्रमश: महेंद्र बहादुर पांडेय, युवराज खातीवाडा और लोक दर्शन रेगमी को वापस लौटना होगा।आचार्य को फरवरी 2019 में दिल्ली में नेपाल का राजदूत नियुक्त किया गया था।

राजदूतों के तौर पर ओली सरकार द्वारा की गयी 11 अनुशंसाओं को रद्द कर दिया था

नयी सरकार के गठन के पांच दिन बाद 18 जुलाई को देउबा मंत्रिमंडल ने विभिन्न देशों में राजदूतों के तौर पर ओली सरकार द्वारा की गयी 11 अनुशंसाओं को रद्द कर दिया था। खबर में कहा गया है कि नेपाल में वर्षों से राजदूत समेत विभिन्न पदों पर नियुक्तियों पर राजनीतिक हितों का प्रभाव रहता है और लोगों को पार्टियों से निकटता के आधार पर ऐसे पद मिलते हैं।