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नेपाल की इस कोशिश से क्‍या पिघलेगी भारत-पाकिस्‍तान रिश्‍तों पर जमी बर्फ?

Updated Jan 25, 2020 | 13:18 IST

Nepal pitches for India-Pakistan talks: भारत और पाकिस्‍तान में तनाव के बीच नेपाल ने दक्षेस को फिर से सक्रिय करने पर जोर दिया है तो भारत-पाकिस्‍तान के बीच बातचीत की जरूरत भी बताई है।

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नेपाल ने भारत-पाकिस्‍तान तनाव को दूर करने पर जोर दिया है (फाइल फोटो)

काठमांडू/नई दिल्‍ली : नेपाल ने सागरमाथा संवाद के लिए भारत, पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्रियों को आमंत्रित किया है। यह सागरमाथा संवाद का पहला संस्‍करण होगा, जो शांगरी ला डायलॉग की तर्ज पर शुरू किया जा रहा है। इसमें भारत और पाकिस्‍तान के अलावा नेपाल ने चीन, दक्षेस देशों के नेताओं और कुछ यूरोपीय देशों को भी आमंत्रित किया है। अगर सबकुछ ठीक रहता है तो भारत और पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री काठमांडू में आयोजित होने वाले इस अंतरराष्‍ट्रीय कार्यक्रम के दौरान एक-दूसरे से मिल सकते हैं।

सागरमाथा संवाद का आयोजन 2-3 अप्रैल को होना है, जिसके लिए नेपाल को भारतीय प्रधानमंत्री की हां का इंतजार है। इस संवाद का नाम दुनिया की सबसे ऊंची चोटी सागरमाथा (माउंट एवरेस्‍ट) पर रखा गया है, जिसका विषय 'जलवायु परिवर्तन, पहाड़ और मानवता का भविष्‍य' रखा गया है। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार गयावली का कहना है कि इस संवाद का आयोजन हर दो साल पर होगा, जिसका मुख्‍य मकसद जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर राजनीतिक इच्‍छाशक्ति को मजबूत बनाना है।

इस दौरान उन्‍होंने यह उम्‍मीद भी जताई कि भारत और पाकिस्‍तान अपने रिश्‍तों को आपसी बातचीत के जरिये सुलझा लेंगे। दोनों देशों के बीच बंद पड़ी बातचीत को शुरू करने पर जोर देते हुए उन्‍होंने पाकिस्‍तान को लेकर भारत के सख्‍त रुख की वजह से दक्षेस सम्‍मेलन में आए गतिरोध को दूर करने की भी आवश्‍यकता जताई। उन्‍होंने कहा, 'नेपाल क्षेत्रीयतावाद और बहुलतावाद में यकीन रखता है। हम इसे लेकर आशान्वित हैं कि इसे एक बार फिर से प्रभावी बनाया जा सकेगा।' उन्‍होंने यह भी कहा कि नेपाल दक्षेस की अध्‍यक्षता पाकिस्‍तान को देने के लिए तैयार हैं।

उन्‍होंने भारत को यह भी आश्‍वस्‍त किया कि नेपाल अपनी धरती का इस्‍तेमाल पड़ोसी देशों के खिलाफ किसी भी गतिव‍िधि के लिए नहीं होने देगा और किसी भी क्षेत्रीय या अंतरराष्‍ट्रीय खेल में नहीं उलझेगा। इस दौरानर उन्‍होंने कालापानी में भारत-नेपाल सीमा विवाद पर भी बात की और कहा कि दोनों देशों में इस वक्‍त मजबूत और दूरदृष्टि वाले नेता हैं, जो कूटनीतिक माध्‍यमों से समस्‍याओं का समाधान कर सकते हैं। उन्‍होंने कहा, 'अगर भारत अन्‍य देशों के साथ अपने सीमा विवाद सुलझा सकता है तो नेपाल के साथ क्यों नहीं?' उन्‍होंने यह भी कहा कि कूटनीतिक माध्‍यमों का कोई विकल्‍प नहीं है।