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नेपाल में ओली और प्रचंड के बीच ठनी, संसद भंग, मध्‍यावधि चुनाव की तारीखों का ऐलान

Updated Dec 20, 2020 | 17:31 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अनुशंसा पर राष्‍ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने संसद भग करते हुए देश में चुनाव के लिए नई तारीखों का ऐलान कर दिया है। यहां चुनाव अप्रैल-मई में कराए जाएंगे।

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नेपाल में ओली और प्रचंड के बीच ठनी, संसद भंग, मध्‍यावधि चुनाव की तारीखों का ऐलान

काठमांडू : नेपाल में सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में आंतरिक कलह चरम पर पहुंच गया है, जिसके परिणामस्‍वरूप अंतत: संसद भंग करने की नौबत आ पड़ी है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आज (रविवार, 20 दिसंबर) सुबह ही संसद भंग करने की अनुशंसा राष्‍ट्रपति विद्या देवी भंडारी से की, जिसे मंजूर करते हुए राष्‍ट्रपति ने देश में मध्‍यावधि चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है।

नेपाल के राष्‍ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी नोटिस के अनुसार, राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अनुशंसा पर संसद भंग करते हुए अप्रैल-मई में मध्यावधि आम चुनाव कराए जाने की घोषणा की है। इसके अनुसार, नेपाल में दो चरणों में यह चुनाव संपन्‍न होगा। पहले चरण में जहां 30 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे, वहीं दूसरे चरण में 10 मई को मतदान होगा।

पीएम ने बुलाई थी आपात बैठक

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की रविवार सुबह एक आपात बैठक बुलाई थी, जिसमें संसद भंग करने का फैसला लिया गया और इसकी अनुशंसा राष्‍ट्रपति से की गई। ओली पर संवैधानिक परिषद अधिनियम से संबंधित एक अध्यादेश को वापस लेने का दबाव था, जिसे उन्होंने मंगलवार को जारी किया था। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने इस अध्‍यादेश को उसी दिन मंजूरी दे दी थी।

प्रधानमंत्री ने रविवार सुबह जब कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई तो यही उम्मीद की जा रही थी कि वह इस अध्‍यादेश के संबंध में कोई फैसला लेंगे, लेकिन उन्‍होंने सभी को चौंकाते हुए संसद को भंग करने का फैसला लिया। राष्‍ट्रपति से इसकी अनुशंसा के साथ ही ओली सरकार के सात मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया। नेपाल में संसद को भंग करने का यह फैसला सत्‍तारूढ़ पार्टी में जारी आंतरिक कलह के बीच आया है।

ओली और प्रचंड में ठनी

नेपाल में सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में दो गुटों के बीच टकराव पिछले कई महीनों से चरम पर है, जिनमें एक धड़े का नेतृत्व 68 वर्षीय ओली कर रहे हैं तो दूसरे धड़े की अगुवाई पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री 'प्रचंड' कर रहे हैं। ओली सरकार पर हाल ही में नेपाल में राजशाही के समर्थन में हुई रैलियों की हिमायत करने का भी आरोप है। इन रैलियों में नेपाल में फिर से संवैधानिक राजशाही बहाल करने की मांग की गई थी।