- पाकिस्तानी सेना ने अपनी किताब में कश्मीर और बालाकोट पर लेख प्रकाशित किए
- ग्रीन बुक 2020 किताब में कश्मीरियों के लिए फंड जुटाने की बात कही गई है
- बाजवा के अलावा इस नए संस्करण में पत्रकारों, शिक्षाविदों एवं पूर्व राजनयिकों के भी लेख
नई दिल्ली : कश्मीर पर हर मोर्चे पर नाकाम होने के बाद भी पाकिस्तानी हुक्मरान कश्मीर का राग अलापने से बाज नहीं आ रहे। अब पाकिस्तानी सेना की तरफ से छपने वाली एक किताब में कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने और बालाकोट एयर स्ट्राइक के बारे में लेख प्रकाशित किए गए हैं। खास बात यह है कि 'द ग्रीन बुक 2020' नाम से प्रकाशित इस नए संस्करण में पाक सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का लेख भी प्रकाशित है। इस संस्करण के ज्यादातर लेख सेना के अधिकारियों, पूर्व राजनयिक, शिक्षाविदों एवं पत्रकारों की ओर से लिखे गए हैं।
भारत के खिलाफ छापी सामग्री
इस संस्करण में सभी सामग्री भारत के खिलाफ है। इसमें कश्मीरियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए फंड जुटाने और कश्मीर घाटी में संचार संपर्क कायम करते हुए साइबर युद्ध शुरू करने की बात कही गई है। यह किताब पाकिस्तानी सेना दो वर्ष में एक बार प्रकाशित करती है। माना जाता है कि यह किताब पाकिस्तानी सेना की सोच एवं उसकी रणनीति को जाहिर करने के लिए प्रकाशित की जाती है लेकिन इस बार यह संस्करण कश्मीर पर केंद्रित है। जनरल बाजवा ने अपने लेख में कश्मीर को 'न्यूक्लियर फ्लैश प्वाइंट' बताया है।
बाजवा ने अलापा कश्मीर राग
'ग्रीन बुक 2020' में दिए गए अपने संदेश में जनरल बाजवा ने लिखा है कि दक्षिण एशिया में स्थितियां जटिल बनी हुई हैं और तरह-तरह के युद्धकला के बीच की रेखा धुंधली हो रही है। बाजवा ने लिखा है, 'साल 2019 में दो महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं और इन घटनाओं ने क्षेत्र की भू-राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला है। पहला 26 फरवरी को भारतीय वायु सेना का बालाकोट में एयरस्ट्राइक और दूसरा पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कश्मीर में अनुच्छेद 370 एवं 35ए को खत्म करना।'
किताब में बालाकोट, पुलवामा का भी जिक्र
बाजवा ने आगे लिखा है, 'कश्मीर पर न्यूक्लियर युद्ध हो सकता है। यहां अंतरराष्ट्रीय नियमों की अनदेखी हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पड़ोस को खतरे में डालने के साथ-साथ ही पूरी दुनिया पर दबाव बनाया है।' ग्रीन बुक में हाल के कुछ अंकों में पाकिस्तान की आतंरिक समस्याओं के बारे में बात की जाती रही है लेकिन इस बार इस पुस्तक के केंद्र बिंदु में कश्मीर को लाया गया है। पुस्तक में कई लेख पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए हमले पर केंद्रित हैं। पुस्तक में 1999 के कारगिल युद्ध और 2008 में मुंबई के आतंकवादी हमले का भी जिक्र किया गया है।