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Pakistan news: पत्रकारों के हत्‍यारे जहां घूमते हैं खुलेआम, नहीं होती सजा, दुनिया के ऐसे सबसे खराब हालात वाले देशों में शामिल है पाकिस्‍तान

Updated Oct 30, 2021 | 16:09 IST

Pakistan news in Hindi: पत्रकारों पर हमले और उनके हत्यारों को सजा के मामले में पाकिस्‍तान दुनिया के उन देशों मं शामिल है, जहां हालात सबसे खराब हैं। ऐसे देशों में सोमालिया, सीरिया, इराक, दक्षिण सूडान भी शामिल है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
Pakistan news: पत्रकारों के हत्‍यारे जहां घूमते हैं खुलेआम, नहीं होती सजा, दुनिया के ऐसे सबसे खराब हालात वाले देशों में शामिल है पाकिस्‍तान
मुख्य बातें
  • पाकिस्‍तान पत्रकारों की सुरक्षा के लिहाज से सर्वाधिक खराब हालात वाले देशों में शामिल है
  • कमेटी टू प्रोटेक्‍ट जर्नलिस्‍ट्स (CPJ) के सालाना इंडेक्‍स में इसे नौवें स्‍थान पर रखा गया है
  • CPJ के आंकड़ों के अनुसार, पत्रकारों की हत्‍या से जुड़े अधिकतर मामले अनसुलझे रह जाते हैं

इस्लामाबाद: कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) ने इस साल अपने वार्षिक ग्लोबल इंप्यूनिटी इंडेक्स में पाकिस्तान को नौवें स्थान पर रखा है, जो उन देशों को उजागर करता है, जहां प्रेस के सदस्यों पर निशाना साधा जाता है और उनके हत्‍यारे खुलेआम घूमते हैं और उन्‍हें सजा भी नहीं होती। 'जियो न्यूज' की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्‍तान साल 2008 से ही इस सूची में बना हुआ है।

CPJ के वार्षिक ग्लोबल इंप्युनिटी इंडेक्स में पत्रकारों की अनसुलझी हत्याओं के लिए सोमालिया के हालात को दुनिया में सबसे खराब बताया गया है। इस सूचकांक में एक साल पहले के मुकाबले हालांकि थोड़ा बदलाव देखने को मिला है। सूची में इस बार सीरिया, इराक और दक्षिण सूडान भी सोमालिया के पीछे पहुंच गए हैं। संघर्ष, राजनीतिक अस्थिरता और कमजोर न्यायिक तंत्र के साथ ये चार देश दुनिया के उन देशों में शामिल हैं, जहां पत्रकारों के खिलाफ हिंसा का दौर जारी है।

पांचवें नबर पर अफगानिस्‍तान

CPJ का नवीनतम डेटा, जो 1 सितंबर, 2011 से 31 अगस्त, 2021 की अवधि के बीच का है, में हालांकि अफगानिस्तान में पत्रकारों के सामने बढ़ते खतरे को पूरी तरह से नहीं दर्शाता है। पत्रकारों पर हमले और इसके लिए जवाबदेह लोगों के खिलाफ कार्रवाई के मामले में अफगानिस्तान दुनिया के सबसे खराब देशों में पांचवें स्थान पर है। वह बीते दो वर्षों से इस जगह बना हुआ है।

10 साल की सूचकांक अवधि के दौरान - एक अशांत समय जिसमें सीरिया का गृहयुद्ध, अरब सरकारों के खिलाफ व्यापक विरोध और चरमपंथी समूहों तथा संगठित अपराध सिंडिकेट द्वारा मीडिया कर्मियों के खिलाफ हमले शामिल हैं, दुनियाभर में 278 पत्रकारों की जान चली गई, जो बस अपना काम कर रहे थे।

इनमें से 226 यानी 81 प्रतिशत ऐसे मामले रहे, जिसमें CPJ ने पाया कि अपराध के लिए किसी को दोषी नहीं ठहराया गया। पिछली सूचकांक अवधि (1 सितंबर, 2010 से 31 अगस्त, 2020) के दौरान CPJ ने पाया कि 83 प्रतिशत पत्रकारों की हत्याएं अनसुलझी रह गईं।