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पाकिस्‍तान : ईसाई लड़की को अगवा कर कराया गया था धर्म परिवर्तन, अब कोर्ट ने निकाह को ठहराया वैध

Pakistan court rules that marriage of underage christian girl is valid as she had first menstrual cycle
Updated Feb 08, 2020 | 17:10 IST

पाकिस्‍तान में एक ईसाई लड़की को अगवा कर जबरन उसका धर्म परिवर्तन कराया गया था। कोर्ट ने इस आधार पर उसकी शादी को वैध ठहराया है कि उसे मासिक धर्म शुरू हो चुका है।

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तस्वीर साभार:&nbspGetty Images
पाकिस्‍तान में ईसाई लड़की को अगवा कर जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया था (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

कराची : कुछ दिनों पहले ही पाकिस्‍तान से भारत पहुंचे हिन्‍दू समुदाय के लोगों ने बताया था कि वे वहां किस तरह से धार्मिक उत्‍पीड़न का शिकार होते हैं और उनकी बेटियां किस कदर वहां असुरक्षित महसूस करती हैं। पाकिस्‍तान में सिर्फ अल्‍पसंख्‍यक हिन्‍दू बिरादरी का यह हाल नहीं है, बल्कि अन्‍य अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के लोग भी इसका शिकार होते हैं।

बीते साल अक्‍टूबर में एक नाबालिग ईसाई लड़की के अपहरण का मसला सामने आया था, जिसे अगवा कर जबरन उसका धर्म परिवर्तन करवा दिया गया। लड़की के परिजनों ने कोर्ट का रुख किया तो यहां से भी उन्‍हें इंसाफ नहीं मिला। मामला अक्‍टूबर 2019 में 14 साल की किशोरी के अपहरण का है। उसके परिजनों का कहना है कि अपहरण के बाद जबरन उसका धर्म परिवर्तन भी करा दिया गया और उसकी शादी एक मुस्लिम लड़के से करवा दी गई।

सिंध हाई कोर्ट में जब मसला पहुंचा तो कोर्ट ने यह कहते हुए उसे अगवा करने वाले जब्बार के साथ उसकी शादी को वैध ठहराया दिया कि उसके पीरियड्स आ चुके हैं और शरिया कानून के मुताबिक अगर किसी लड़की को मासिक धर्म शुरू हो जाता है तो उस उम्र की लड़की का विवाह मान्य होगा।

लड़की का नाम हुमा बताया जा रहा है। उसके पिता यूनिस और मां नगीना मसीह ने अदालत के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया गया है। उनका कहना है कि यह फैसला सिंध चाइल्‍ड मैरिज रिस्‍ट्रेंट एक्‍ट, 2014 के खिलाफ है, जिसमें 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी को गैर-कानूनी बनाया गया। इस कानून को लाने का मकसद ही यह था कि कम उम्र की लड़कियों, खासकर हिन्‍दू और क्रिश्‍चन समुदाय की किशोरियों को जबरन अगवा कर होने वाली शादियों पर रोक लग सके।