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बेंगलुरु हिंसा पर ना 'पाक' नसीहत, बीजेपी और आरएसएस के विचार को बताया जिम्मेदार

Updated Aug 13, 2020 | 00:17 IST

Pakistan reaction on Bengaluru Violence: बेंगलुरु हिंसा पर पाकिस्तान ने विरोध जताते हुए बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधा है। पाकिस्तान का कहना है कि भारत में यह अतिवाद का नतीजा है।

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इमरान खान पाकिस्तान के पीएम
मुख्य बातें
  • बेंगलुरु हिंसा पर पाकिस्तान ने भारत की दी नसीहत , पाक के विदेश मंत्रालय ने जताया विरोध
  • बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा को पाकिस्तान ने बताया जिम्मेदार
  • पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक समाज से जुड़ी एक हजार लड़कियों हर साल होता है निकाह

नई दिल्ली। एक कहावत है सूप तो सूप चलनी भी हंसे जिसमें बहत्तर छेद। यह कहावत पाकिस्तान के ऊपर सटीक बैठती है। मसलन आतंकवाद का सबसे बड़ा प्रायोजक देश है लेकिन खुद को आतंकवाद से पीड़ित बताता है। पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ किस तरह का बर्ताव होता है लेकिन वो भारत को नसीहत देता है। ताजा मामला बेंगलुरु हिंसा से जिसमें पाकिस्तान ने टांग अड़ाने की कोशिश की है और भारत की सीख देने के साथ साथ बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधा है। 

बेंगलुरु हिंसा पर पाकिस्तान का विरोध
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने उस घटना पर विरोध दर्ज कराया जिसका उससे किसी तरह का लेनादेना नहीं है। पाकिस्तान के  विदेश मंत्रालय की तरफ से ट्वीट किया गया कि कर्नाटक के बेंगलुरु में पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट पर भारत के साथ पाकिस्तान ने कड़े शब्दों में निंदा और विरोध दर्ज कराया है। यही नहीं पाकिस्तान ने बीजेपी र आरएसएस के खिलाफ  जहर उगला। पाकिस्तान का कहना है कि भारत में धार्मिक घृणा अपराध की बढ़ती घटनाएं आरएसएस-बीजेपी गठबंधन की अतिवादी हिंदुत्व की विचारधारा का  प्रमाण है।

पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक खत्म होने के कगार पर
यह बात अलग है कि पाकिस्तान को यह याद नहीं रहता है कि उसके यहां अल्पसंख्यक हिंदू, ईसाई, बौद्ध, जैन और सिखों के साथ कैसा बर्ताव होता है। अगर भारत पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी की बात करें तो 1947 के बाद से भारत में अल्पसंख्यकों की आबादी तेजी से बढ़ी है  लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यक अब खत्म होने के कगार पर आ गए हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ धार्मिक आधार पर भदभाव किया जाता है कई बार तो उन्हें ईशनिंदा के झूठे केस में भी फंसाया भी जाता है, आसिया बीबी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।



पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून है लागू
जिया-उल-हक के शासनकाल में पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लागू किया गया था। पाकिस्तान पीनल कोड में सेक्शन 295-बी और 295-सी जोड़कर ईशनिंदा कानून बनाया गया।  पाकिस्तान को ईशनिंदा कानून ब्रिटिश शासन से विरासत में मिला है। 1860 में ब्रिटिश शासन ने धर्म से जुड़े अपराधों के लिए कानून बनाया था जो और बड़े रूप में ईशनिंदा कानून के तौर पर मौजूद है। मूवमेंट फॉर सॉलिडैरिटी एंड पीस के मुताबिक पाकिस्तान में हर साल 1000 से ज्यादा ईसाई और हिंदू महिलाओं या लड़कियों का अपहरण किया जाता है। जिसके बाद उनका धर्म परिवर्तन करवा कर इस्लामिक रीति रिवाज से निकाह करवा दिया जाता है। पीड़ित लड़कियां ज्यादातर नाबालिग होती हैं।