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कहीं भारी न पड़ जाए 'चीनी प्रेम'! इमरान खान पर बढ़ रहा 'ड्रैगन' के प्रति नीतियों में बदलाव का दबाव

Updated Jul 04, 2020 | 18:45 IST

Pakistan news: भारत-चीन सैन्‍य टकराव के बाद पाकिस्‍तान में भी खलबली मची हुई है। जिस तरह दुनियाभर से भारत को समर्थन मिला है, उससे पाकिस्‍तान को डर है कि चीन के प्रति 'प्रेम' का खामियाजा उसे भुगतना पड़ सकता है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
कहीं भारी न पड़ जाए 'चीनी प्रेम'! इमरान खान पर बढ़ रहा 'ड्रैगन' के प्रति नीतियों में बदलाव का दबाव
मुख्य बातें
  • इमरान सरकार पर चीन के प्रति नीतियों में बदलाव का दबाव बढ़ रहा है
  • भारत के साथ चीन के सैन्‍य टकराव के बाद सरकार को आगाह किया जा रहा है
  • पाकिस्‍तान को डर है कि उसे दुनिया की आर्थिक महाशक्तियों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है

इस्‍लामाबाद : चीन से भारत के टकराव के बीच पाकिस्‍तान पर भी चीन के प्रति अपनी नीतियों में बदलाव को लेकर दबाव बढ़ता जा रहा है। दरअसल, चीन आज अपनी विस्‍तारवादी नीतियों व कोरोना वायरस संक्रमण के कारण दुनियाभर में आलोचनाओं के केंद्र में है, जिसे लेकर अब पाकिस्‍तान को भी चिंता सताने लगी है। उसे डर है कि अगर इसी तरह जारी रहा तो 'चीनी प्रेम' की कीमत उसे भी चुकानी पड़ सकती है और दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकतों की नाराजगी उसे झेलनी पड़ सकती है। यही वजह है कि इमरान सरकार पर चीन के प्रति नीतियों की समीक्षा का दबाव बढ़ता जा रहा है।

झेलनी पड़ सकती है नाराजगी

सूत्रों के अनुसार, पाकिस्‍तान का विदेश कार्यालय प्रधानमंत्री इमरान खान पर इसे लेकर लगातार दबाव बना रहा है। उसने चेताया कि अगर पाकिस्‍तान चीन के प्रति अपनी नीतियों की समीक्षा नहीं करता तो उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है और दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकतों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है, जो भारत के साथ चीन के टकराव के बाद बीजिंग को अलग-थलग करने में जुटे हैं। ये देश कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पहले से ही चीन के खिलाफ हैं और उसके खिलाफ मुहिम चला रहे हैं।

यहां उल्‍लेखनीय है कि पाकिस्‍तान और चीन की दोस्‍ती सदाबहार रही है और इस्‍लामाबाद, बीजिंग पर आंख बंदकर भरोसा करता रहा है। लेकिन अब इसके खिलाफ पाकिस्‍तान में ही आवाज उठने लगी है। खास तौर पर यूरोपीय देशों द्वारा पाकिस्‍तानी एयरलाइन के विमानों की लैंडिंग यहां प्रतिबंधित किए जाने के बाद इस तरह की आवाजें मुखर होने लगी हैं। इस्‍लामाबाद ने इस संबंध में अपना पक्ष रखने की कोशिश की, लेकिन यूरोपीय संघ ने स्‍पष्‍ट कर दिया कि केवल अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर क्‍वाल‍िफाइड पायलट ही इन रूट्स पर उड़ान भर सकते हैं। 

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, भारत के साथ सैन्‍य टकराव के बाद जिस तरह से यूरोपीय देश चीन को कूटनीतिक स्‍तर पर अलग-थलग करने की कोशिशों में जुटे हैं, उससे पाकिस्‍तान को डर है कि चीन के साथ उसके गहरे रिश्‍तों का खामियाजा उसे भुगतना पड़ सकता है।

पाकिस्‍तान में भी चीन से नाराज तबका

इसके अतिरिक्‍त चाइना-पाकिस्‍तान इकोनोमिक कोरिडोर (CPEC) के लिए चीन जिस तरह से पाकिस्‍तान के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहा है, उसे लेकर भी बलूचिस्‍तान और गिलगित बाल्टिस्‍तान के बाशिंदों में चीन के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है। चीनी कंपनियां यहां अपने काम को पूरा करने के लिए सस्‍ते चीनी श्रमिक ला रही हैं, जिसकी वजह से स्‍थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है।

यही नहीं, चीन में उइगर मुसलमानों के साथ जिस तरह की ज्‍यादती की जाती है, उसे लेकर भी पाकिस्‍तान के एक तबके में भारी नाराजगी है। ऐसे में इमरान सरकार पर चीन के प्रति अपनी नीतियों में बदलाव को लेकर दबाब बढ़ता जा रहा है।