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पाकिस्तान 'आजादी मार्च': विपक्ष की मांग के आगे झुके इमरान खान पर नहीं देंगे इस्तीफा

Updated Nov 05, 2019 | 19:56 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Pakistan Azadi March: पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज इमरान खान सरकार के सामने मौलाना फजल्रर्हमान के नेतृत्व में विपक्ष का 'आजादी मार्च' वहां की सरकार के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। 

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (फाइल फोटो)
मुख्य बातें
  • पाकिस्तान में विपक्षी दलों का आजादी मार्च 31 अक्टूबर से चल रहा है
  • आजादी मार्च का नेतृत्व तेजतर्रार मौलवी तथा मौलाना फजलुर्रहमान कर रहे हैं
  • इमरान ने कहा कि वह अपने इस्तीफे को छोड़कर 'आजादी मार्च' की सभी 'जायज' मांगें मानने को तैयार हैं

नई दिल्ली: पाकिस्तान के हालात इस समय बेहद खराब हैं इमरान खान (Imran Khan) के इस्तीफे की मांग को लेकर वहां विपक्षी दलों का आजादी मार्च (Azadi March) 31 अक्टूबर से चल रहा है। इस मार्च में कई मांगे उठाई गई हैं इसमें अहम है पीएम इमरान खान (Imran Khan) के इस्तीफे की मांग इसको लेकर विपक्षी दलों के तेवर बेहद तीखे हैं और वो इसको लेकर आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। 

मीडिया रिपोर्टों की मानें तो कहा जा रहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मंगलवार को कहा कि वह अपने इस्तीफे को छोड़कर 'आजादी मार्च' में शामिल प्रदर्शनकारियों की सभी 'जायज' मांगें मानने को तैयार हैं।आजादी मार्च का नेतृत्व तेजतर्रार मौलवी तथा मौलाना फजलुर्रहमान ( Maulana Fazlurahman) कर रहे हैं। 

'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने खान के हवाले से कहा, 'सरकार इस्तीफे को छोड़कर सभी जायज मांगें मानने को तैयार है।' इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी शुजात हुसैन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार रात फजलुर्रहमान से मुलाकात की। इससे कुछ ही घंटे पहले रक्षा मंत्री परवेज खत्ताक के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जेयूआई-एफ नेता अकरम खान दुर्रानी के नेतृत्व वाली रहबर समिति के साथ मुलाकात कर उनकी मांगों पर चर्चा की। मौलाना फजलुर्रहमान प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से हटाने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) समेत विपक्षी दलों ने भी इस सरकार विरोधी प्रदर्शन को समर्थन दिया है। गौरतलब है कि कराची से 'आजादी मार्च' की शुरुआत करने वाले जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) के मुखिया फजलुर रहमान का अपने हजारों समर्थकों के साथ इस्लामाबाद में धरना जारी है। मौलाना अपनी मांगों पर अडिग हैं जबकि इमरान सरकार का कहना है कि प्रदर्शन के शांतिपूर्ण रहने तक वह मौलाना और उनके समर्थकों को इस्लामाबाद छोड़ने के लिए बाध्य नहीं करेगी। 

इस बीच, मुख्य विपक्षी पार्टियों पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने मौलाना के धरने से एक तरह से दूरी बना ली है। इसके बाद मौलाना ने अपने समर्थनकों से कहा है कि आगे की रणनीति बनाने के लिए उन्होंने विपक्षी पार्टियों की बैठक बुलाई है।

(तस्वीर-AP)

मौलाना का 'आजादी मार्च' गत 31 अक्टूबर को इस्लामाबाद में प्रवेश किया। इमरान सरकार के खिलाफ यह धरना इस्लामाबाद के 'डी-चौक' के पास होना था लेकिन बाद में मौलाना 'डी-चौक' की जगह एच-9 पर धरना देने के लिए तैयार हो गए। इस धरने के बारे में इमरान सरकार का कहना था कि मौलाना के प्रदर्शन से सरकार को कोई खतरा नहीं है।

वहीं, इस्लामाबाद में धरना दे रहे मौलाना के तेवर नरम नहीं पड़े हैं। वह अपनी मांगों पर कायम हैं। जियो टीवी की न्यूज के मुताबिक अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, 'सरकार हमें चुनाव आयोग के पास जाने के लिए कह रही है लेकिन आयोग हमसे कहीं ज्यादा लाचार है।' मौलाना ने कहा कि चुनाव आयोग यदि मजबूर नहीं होता तो इस्लामाबाद में इतनी बड़ी भीड़ इकट्ठा नहीं हुई होती। 

उन्होंने कहा था, 'हमने फैसला किया है कि हम किसी कोर्ट अथवा चुनाव आयोग के पास नहीं जाएंगे। चुनाव में धांधली के बारे में फैसला केवल एक संसदीय समिति ही कर सकती है। हम ऐसे मोड़ पर आ चुके हैं जहां से वापस नहीं जा सकते है। हम पीएम आवास में यदि घुसना चाहे तो हमें कोई रोक नहीं सकता।'